विचित्र भारतीय इतिहासकार, जो संस्कृत नहीं जानते लेकिन प्राचीन इतिहास लिख देते हैं। वैदिक भाषा नहीं जानते लेकिन आर्य आगमन पर दृढ़ हैं। पशुपति कह देंगे लेकिन उसे शिव कहते ही चिढ़ जाते हैं। अरबी, फ़ारसी और हिब्रू नहीं जानते लेकिन एक स्वर से कुरान को सही सही व्याख्या कर लेते हैं। आईने अकबरी और […]
Month: November 2022
अंग्रेज़ी के ‘वाइफ’ शब्द का सही अर्थ
पत्नी क्या है? हो सकता है कि ये सवाल आपको पेचीदा लग रहा हो और इसे पढ़कर आपको लगे कि उफ्फ ये क्या पूछ लिया। पर अगर आपसे पत्नी की एग्जैक्ट डेफिनेशन पूछी जाए तो आपका जवाब क्या होगा? मुझे नहीं लगता कि इसकी एग्जैक्ट डेफिनेशन आपको पता होगी। पत्नी तो चलिए हिंदी शब्द है, […]
महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री शिक्षक आर्य रत्न लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों के महाकुंभ में दिनांक 02 नवंबर को “भारतीय इतिहास के कुछ अनछुए पृष्ठ” विषय पर […]
गौतम मोरारज गुजरात में दो चरणों में होने जा रहे चुनाव में एक खास बात यह है कि 3,24,422 मतदाता इस बार पहली बार मतदान करेंगे। नये वोटरों का रुझान सभी पार्टियों के लिए काफी मायने रखता है इसलिए देखना होगा कि राजनीतिक दल अपने अपने चुनावी घोषणापत्रों में किन वादों का ऐलान करते हैं। […]
– कार्तिक अय्यर विधर्मी लोग हिंदुओं पर आक्षेप करते है कि तुम्हारे वेद और पुराण में ब्रह्मा यानी प्रजापति द्वारा स्वयं की बेटी यानी सरस्वती के साथ संभोग करने की कथा विद्यमान है।हाल ही में एक ‘समीर मोहम्मद’ नामक मुल्लाजी ने यह आक्षेप किया है। आक्षेपकर्ता का कहना है के ऋग्वेद में इस मंत्र मैं […]
-स्व० विश्वनाथ पाकिस्तान बनने से पहले पंजाब की दो प्रमुख आर्यसमाजें थीं जहां से पंजाब ही नहीं, किसी सीमा तक देश भर के आर्यजगत् की गतिविधियों की कल्पना की जाती थी और उन्हें साकार किया जाता था। आर्यसमाज अनारकली आर्य प्रादेशिक सभा की प्रमुख समाज थी उसके प्रेरणा स्त्रोत महात्मा हंसराज जी थे। दूसरी थी- […]
भोजन – श्रम -पाचन – ऊर्जा=यह शारीरिक बल का सामान्य सूत्र है। एक 3 वर्षीय बैल पकड़ में नहीँ आ रहा था। पकड़ने वालों ने हाँक लगाई और बैल उधर चला गया जहाँ एक #विश्नोई महिला गाय दुह रही थी। बैल ज्यों ही उस महिला के पास से निकला उसने बैठे बैठे ही पिछली टांग […]
कुछ बनने के लिए बन में बसो हमारे ऋषियों की व्यवस्था रही है कि इस प्रकार स्नातक अर्थात् ब्रह्मचर्य्यपूर्वक गृहाश्रम का कर्त्ता द्विज अर्थात् ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य गृहाश्रम में ठहर कर निश्चितात्मा और यथावत् इन्द्रियों को जीत के वन में वसें। कुछ बनने के लिए प्रकृति के सानिध्य में अर्थात मन में बसना ही […]
सभ्यताएँ जब अपने शिखर पर पहुँचती हैं तो उसके उपरांत बस पराभव की ओर ही जा सकती हैं। मानव सभ्यता क्या ऐसे ही दौर में है। विज्ञान व प्रौद्योगिकी व बाजार की उपलब्धियों के इस स्वर्णिम काल में हम सबसे ज़्यादा डरे हुए हैं और हताश व निराश हैं। यूँ तो मानव अपने उद्भव काल […]
मौत झोली लिए घूम रही है….
मौत झोली लिए घूम रही है मृत्यु उस बंदर की तरह है जो एक मक्के के खेत में घुस जाने पर नए-नए भुट्टे तोड़ता जाता है, और बगल में लगाता जाता है। अफसोस कि बंदर जैसे ही दूसरा भुट्टा अपनी बगल में लगाता है, पहला बगल से गिरता जाता है, बंदर सारा खेत समाप्त कर […]