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समाज

लिव इन रिलेशनशिप- मानव सभ्यता की महानतम खोज….

डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी पिछली रात मेरे सपने में चमकदार पगड़ी वाले एक बुजुर्ग आए थे। आते ही पूछने लगे, क्या हालचाल है? अपना हिन्दू समाज किस दिशा में जा रहा है? उनकी छवि जानी-पहचानी लग रही थी परन्तु मैंने उन्हें पहचाना नहीं। मेरी स्थिति को पगड़ी वाले बुजुर्ग भांप गए- आपने मुझे पहचाना नहीं। मुस्कुराते […]

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विधि-कानून

जजों की नियुक्ति ? अपनों ही द्वारा होना बेढंगा है

के. विक्रम राव एक वैधानिक संयोग हुआ। बड़ा विलक्षण भी ! दिल्ली में कल भारतीय संविधान की 73वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर शीर्ष न्यायपालिका तथा कार्यपालिका में खुला वैचारिक घर्षण दिखा। दो विभिन्न मंचों पर, विषय मगर एक ही था : “जजों की नियुक्ति-प्रक्रिया।” वर्तमान तथा भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश, दोनों ही अलग […]

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देश विदेश विविधा स्वास्थ्य

पड़ोसी देश चीन में एक बार फिर पैर पसारता कोरोना, भारत को भी संभलना होगा

-अशोक भाटिया चीन में एक बार फिर से कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। हाल ही में चीन में कोविड मामलों की संख्या में रिकॉर्ड उछाल दर्ज किया गया। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक बीते दिन चीन में 31656 नए कोरोना पॉजिटिव केस दर्ज किए गए। चीन में एक दिन में कोविड-19 के […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर की उपासना का फल मनुष्य को जीवन में शीघ्र मिलता है

हमें आज दिनांक 27-11-2022 को आर्यसमाज राजपुर, देहरादून के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन समारोह में उपस्थित होने का अवसर मिला। आयोजन का आरम्भ प्रातः यज्ञ से हुआ। यज्ञ में आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी, आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी, आचार्य प्रदीप शास्त्री, श्री प्रेमप्रकाश शर्मा आदि ऋषिभक्त उपस्थित थे। यज्ञ की समाप्ति के बाद एक बड़े पण्डाल […]

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भारतीय संस्कृति

सत्यार्थ प्रकाश में इतिहास विर्मश ( एक से सातवें समुल्लास के आधार पर) अध्याय – 24 क सभा और सभासद

सभा और सभासद स्वामी दयानंद जी महाराज जी द्वारा स्थापित आर्य समाज की राजनीति की विचारधारा पर विचार व्यक्त करते हुए क्षीतिश वेदालंकार जी अपनी पुस्तक “चयनिका” के पृष्ठ संख्या 65 पर लिखते हैं कि -“आर्य समाज स्पष्टत: न तो एकतंत्र का न बहुतंत्र का, न ही दल तंत्र का, प्रत्युत लोकतंत्र का पक्षपाती है। […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व धर्म-अध्यात्म

गीता कर्मयोग का सुन्दर प्रबोधन है

ह्रदय नारायण दीक्षित गीता दर्शन ग्रंथ है। इसका प्रारम्भ विषाद से होता है और समापन प्रसाद से। विषाद पहले अध्याय में है और प्रसाद अंतिम में। अर्जुन गीता समझने का प्रभाव बताते हैं, “नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत।“ हे कृष्ण आपके प्रसाद से – त्वत्प्रसादान्मयाच्युत मोह नष्ट हो गया। प्रश्न उठता है कि यह विषाद क्या […]

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विधि-कानून

भारतीय संविधान : सत्य की विजय का उद्घोषक संविधान 

डॉ घनश्याम बादल आज संविधान दिवस है , 73 वर्ष पहले 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ ।  इस दिन की महत्ता को प्रतिपादित करने के लिए 2015 से संविधान दिवस मनाना शुरू हुआ । इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था । भारतीय संविधान दुनिया […]

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धर्म-अध्यात्म

स्वाहा का अर्थ क्या होता है ?

प्रश्न :- स्वाहा का अर्थ क्या होता है ? उत्तर :- निरुक्तकार यास्क जी कहते हैं की “स्वाहाकृतयः स्वाहेत्येतस्तु आहेति वा स्वा वागाहेति वा स्वं प्राहेति वा स्वाहुतं हविर्जुहोतीति वा तासामेषा भवति || ||निरुक्त अध्याय 8/खण्ड २०||” स्वाहा शब्द का अर्थ यह है – १) (सु आहेति वा) सु अर्थात् कोमल, मधुर, कल्याणकारी, प्रिय वचन […]

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समाज

बाल विवाह के विरुद्ध जागृत होती किशोरियां

जैसे जैसे देश में शिक्षा का प्रसार बढ़ता गया, वैसे वैसे अनेकों सामाजिक बुराइयों का अंत होता चला गया. लेकिन बाल विवाह अब भी एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जो समाज में पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है. इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव किशोरियों के जीवन पर पड़ता है. जो न केवल शिक्षा से वंचित […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महर्षि दयानन्द जी और दलित सुधार

महर्षि दयानंद ने जीवन भर हिन्दू समाज में फैली हुई जातिभेद की कुरीति का पुरजोर विरोध किया। उनके जीवन में से अनेक प्रसंग ऐसे मिलते हैं जिनसे जातिवाद को जड़ से मिटाने की प्रेरणा मिलती हैं। खेद है अपनी राजनैतिक महत्कांक्षा के चलते दलित समाज डॉ अम्बेडकर, ज्योति बा फुले आदि का नाम तो गर्व […]

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