दादरी ( विशेष संवाददाता ) वरिष्ठ अधिवक्ता और जाने-माने लेखक एवं इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य का यहां तहसील दादरी के सभागार में सार्वजनिक अभिनंदन किया गया। ज्ञात रहे कि डॉक्टर आर्य ने भारत के 1235 वर्ष के स्वाधीनता संग्राम को सन 712 से लेकर 1947 तक 6 खंडों में प्रकाशित किया है। जिस पर […]
महीना: सितम्बर 2022
ओ३म् =========== प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी ऋषि दयानन्द के विद्यागुरु थे। उन्होंने ही स्वामी दयानन्द को अष्टाध्यायी-महाभाष्य पद्धति से व्याकरण पढ़ाया था और शेष समय में उनसे शास्त्रीय चर्चायें करते थे जिससे स्वामी दयानन्द जी ने अनेक बातें सीखी थी। स्वामी विरजानन्द की एक प्रमुख बात यह थी कि वह ऋषि मुनियों के प्रशंसक […]
महरौनी (ललितपुर) । महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्यसमाज महरौनी जिला ललितपुर के तत्वावधान में आर्यरत्न शिक्षक लखन लाल आर्य के संयोजकत्व में आयोजित “हमारा स्वर्णिम अतीत : विश्व गुरु के रूप में भारत” विषय पर लगातार तीसरे दिन बोलते हुए सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारतीय इतिहास और संस्कृति की […]
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय 70 वर्ष तक अपने देश पर शासन करने के पश्चात ( 8 सितंबर 2022 को निधन होने के पश्चात ) अब इस संसार में नहीं रही हैं। उनका अंतिम संस्कार ब्रिटिश शाही परंपरा के अनुसार करने के लिए तैयारी की जा रही है। भारत ने उनके अंतिम संस्कार में सम्मिलित […]
*भारत में वैदिक युग के सूत्रधार – स्वामी विरजानन्दजी दण्डी* (जन्म-१७७८ई. – निर्वाण १८६८ ई.) १.आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के विद्यादाता एवं पथ-प्रदर्शक महान गुरु विरजानन्द दण्डी (बचपन का नाम व्रजलाल) का जन्म पूज्य पिता श्रीनारायणदत्त के भरद्वाज गोत्र सारस्वत ब्राह्मणकुल में १७७८ ई. में करतापुर, जिला जालन्धर (पंजाब) में हुआ था। […]
विश्वात्मा भाषा : संस्कृत डॉ० राकेश कुमार आर्य भारत जब-जब भी भारतीयता की और भारत केे आत्म गौरव को चिन्हित करने वाले प्रतिमानों की कहीं से आवाज उठती है, तो भारतीयता और भारत के आत्मगौरव के विरोधी लोगों को अनावश्यक ही उदरशूल की व्याधि घेर लेती है। अब मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी […]
लेखक – प्रो० मंगलदेव ‘लाम्बा’, एम० ए० स्त्रोत – समाज संदेश सितंबर 1971 गुरुकुल भैंसवाल कलां का मासिक पत्र प्रस्तुति – अमित सिवाहा राष्ट्रभाषा के महत्व पर यहां कुछ कहने की गुंजाइश नहीं है बाईबल में बेवल के मिनार की एक कथा आती है कि आदम के बेटों ने आसमान तक पहुंचने के लिए एक […]
45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और […]
अचानक भारतीय कंपनीयों का ही विरोध क्यों ? जबकि विदेशी कंपनियाँ बहुत समय से कई क्षेत्रों मे कब्जा करके बैठी हैं” उनका क्यों नहीं? अडानी” ओर “अंबानी “जिस जिस व्यापार मे आये, विदेशी कंपनियों की बैंड बजा दी । बस यही कारण है की इन विदेशी एजेंटों द्वारा अपने ही देश का बहिष्कार हो रहा […]
अस्त्र-शस्त्र का उत्तर अस्त्र-शस्त्र से देना उचित है। लेकिन विचारों का उत्तर तो विचार ही हो सकता है। किसी विचार, किसी लेख-कविता या पुस्तक के उत्तर में तलवार निकालना मजबूती नहीं, कमजोरी की निशानी है। किन्तु अरब से लेकर यूरोप, एसिया, अफ्रीका तक, हर कहीं इस्लामी नेता और संगठन सरल, संयत, वैचारिक संघर्ष से बचते […]