उगता भारत ब्यूरो 15 अगस्त 1947 का वो दिन जब देश एक तरफ आजादी का जश्न मना रहा था तो वहीं दूसरी तरफ दर्दनाक नजारे दिल को दहला रहे थे।अंग्रेज सत्ता ने भारत को आजादी की खुशियां भी बंटवारे की बहुत बड़ी कीमत चुकाकर सौंपी थीं। 14 अगस्त को भारत और पाकिस्तान दो हिस्सों में […]
महीना: अगस्त 2022
उगता भारत ब्यूरो भारत का विभाजन-14-15 अगस्त, 1947 को एक नहीं बल्कि दो राष्ट्र भारत और पाकिस्तान अस्तित्व में आए। भारत और पाकिस्तान का विभाजन दर्दनाक था तथा इस पर फैसला करना और अमल में लाना और भी कठिन था। विभाजन के कारण– ⦁ मुस्लिम लीग ने ‘द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त’ की बात की थी। इसी कारण […]
हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे […]
2 अगस्त 1858 को हम भारतीय इंग्लैंड की रानी के गुलाम हुए। 15 अगस्त की ट्रांसफर ऑफ पावर को हम धूमधाम से मनाते हैं परन्तु 2 अगस्त की ट्रांसफर ऑफ पावर को हम भुला देना चाहते हैं। कही इस का कोई जिक्र ही नहीं होता। बस अंतर इतना है कि पहली में सत्ता भारतीयों से […]
#वनराज स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व से ही ईसाई मिशनरियों ने गोंड जाति का विशेष अध्ययन करने के प्रयत्न किये। सर्वप्रथम 1842 में जर्मनी से चार ईसाई धर्म प्रचारक (पादरी) मंडला आये और उन्होंने अमरकंटक के पास #करंजिया गाँव में अपना क्षेत्र बनाया, परन्तु जलवायु अनुकूल न होने से प्राकृतिक प्रकोप के कारण चारों की मृत्यु […]
दुर्योधन ने उस अबला स्त्री को दिखा कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो उसकी जंघा तोड़ी गयी। दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी। महारथी कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया, तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया। भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंध कर […]
निष्काम कर्ममय जीवन से मुक्ति साधु पुरुष जब होते दु:खी भगवान की इस सृष्टि में। और अनिष्टकारी शक्तियां होतीं हैं प्रबल सृष्टि में।। तब उनके भी विनाश हेतु शक्तियां होतीं प्रकट सृष्टि में। कर्म फल मिलता सभी को , भगवान की इस सृष्टि में।। कुछ काल के लिए कभी साधु पुरुष साध जाते मौन हैं। […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-2 – नरेन्द्र सहगल – सात समुद्र पार से आए ईसाई व्यापारियों की निरंकुश सत्ता को जड़ मूल से समाप्त करने के लिए 1857 में समस्त देशवासियों ने जाति-मजहब से ऊपर उठकर राष्ट्रव्यापि सशस्त्र संघर्ष का बिगुल बजा दिया। मंगल पांडे, नाना साहब पेशवा, कुंवर सिंह, […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-1 – नरेन्द्र सहगल – परतंत्रता के विरुद्ध निरंतर एक हजार वर्षों तक सशस्त्र संघर्ष करने के फलस्वरूप अंततः हमारा अखंड भारतवर्ष दो भागों में विभाजित होकर ‘स्वतंत्र’ हो गया। गुलामी की जंजीरों को तोड़ डालने के लिए कश्मीर से कन्या कुमारी तक भारत के प्रत्येक […]
*क्या आपको पता है ?* *कि “किवाड़” की जो जोड़ी होती है !* *उसका एक पल्ला “पुरुष” और,* *दूसरा पल्ला “स्त्री” होती है।* *ये घर की चौखट से जुड़े-जड़े रहते हैं।* *हर आगत के स्वागत में खड़े रहते हैं।।* *खुद को ये घर का सदस्य मानते हैं।* *भीतर बाहर के हर रहस्य जानते हैं।।* *एक […]