आत्म व्यवहार के अनुरूप परिणाम जब पतन वैचारिक होता है तो गिरता जाता मानव दल । जब उत्थान वैचारिक होता है तो बढ़ता जाता मानव दल।। ऐश्वर्याभिलाषी जीव सदा यहाँ , ऐश्वर्य हेतु ही आता। बलवीर्ययुक्त समर्थ जीवन को कोई बड़भागी ही पाता।। समझो ! हीनवीर्य हो जाना अपनी मृत्यु को है आमंत्रण । देना […]
महीना: अगस्त 2022
लेखक:- डॉ. जीतराम भट्ट, (निदेशक, डॉ. गो.गि.ला.शा. प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान) कुछ लोगों का कहना है कि संस्कृत केवल पूजा-पाठ की ही भाषा है। किन्तु यह सत्य नहीं है। संस्कृत-साहित्य के केवल पॉच प्रतिशत में धर्म की चर्चा है। बाकी में तो दर्शन, न्याय, विज्ञान, व्याकरण, साहित्य आदि विषयों का प्रतिपादन हुआ है। संस्कृत पूर्ण रूप से […]
आज तिरंगा शान है, आन, बान, सम्मान। रखने ऊँचा यूँ इसे, हुए बहुत बलिदान।। नहीं तिरंगा झुक सके, नित करना संधान। इसकी रक्षा के लिए, करना है बलिदान।। देश प्रेम वो प्रेम है, खींचे अपनी ओर। उड़े तिरंगा बीच नभ, उठती खूब हिलोर।। शान तिरंगा की रहे, दिल में लो ये ठान। हर घर, हर […]
ओ३म् ========= वेद मनुष्य के गुण, कर्म व स्वभाव को महत्व देते हैं। जो मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव वाला है वह द्विज और गुण रहित व अल्पगुणों वाला है उसे शूद्र कहा जाता है। द्विज ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य को कहते हैं जो गुण, कर्म व स्वभाव की उत्तमता से होते हैं। ब्राह्मण […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-12 नरेन्द्र सहगल यद्यपि प्रथम विश्व युद्ध के समय लड़खड़ाते ब्रिटिश साम्राज्यवाद के सीने पर भारतीय सशस्त्र क्रांतिकारियों द्वारा लगने वाला प्रचंड प्रहार मात्र एक अंग्रेज भक्त की गद्दारी के कारण विफल हो गया परंतु इस विफलता से सरफरोशी देशभक्त क्रांतिकारियों के मन में अपने वतन […]
श्रावण माह अज्ञानियों के लिए ज्ञान का संदेशवाहक बनकर आता है और जनसामान्य को कल्याणपथ पर चलने की ओर प्रेरित करता है। गर्मी के बाद जब वर्षा होती है, तो मानव चित्त वातावरण के अनुकूल होने से शान्त रहता है तथा मन प्रसन्न रहता है। श्रावणी का उत्सव इसी वर्षा के साथ आता है और […]
संस्कृत ईश्वरीय, देव वाणी है, संसार की सबसे प्राचीन समृद्ध वैज्ञानिक भाषा है ।नित वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को वर्ष 1969 से अपने देश में संस्कृत दिवस व संस्कृत सप्ताह का आयोजन हो रहा है…. संस्कृत सप्ताह संस्कृत दिवस से 3 दिन पूर्व 3 दिन पश्चात तक मनाया जाता है…. किसी भी भाषा का […]
स्वामी श्रद्धानन्दजी की कलम से- रक्षाबन्धन का संदेश [‘रक्षाबन्धन’ पर्व पर विशेष रूप से प्रकाशित ] माता का पुत्र पर जो उपकार है उसकी संसार में सीमा नहीं। यही कारण है कि हर समय और हर देश में मातृशक्ति का स्थान अन्य शक्तियों से ऊंचा समझा जाता है। जहां ऐसा नहीं है वहां सभ्यता और […]
योग युक्त मुनि और ईश्वर प्राप्ति सुखदाई शरण भगवान की है ज्ञानी जन उसको हैं पाते। योग युक्त जीवन जीते और संसार में हैं पूजे जाते।। उलझी सितार की तारों को जो सुलझाने में लगा रहा। खार जार में उलझ गया और मनचाहा कुछ पा न सका।। निरर्थक ऐसे जीवन हैं ,जो काल के थप्पड़ […]
#रक्षा_बन्धन का मूल नाम #श्रावणी_उपाकर्म, #ऋषि_तर्पण, #वेद_स्वाध्याय #यज्ञोपवीत_धारण_पर्व है। १) #श्रावणी_उपाकर्म – “#श्रावण” शब्द का अर्थ सुनना और श्रावणी जिसका अर्थ होता है सुनाये जाने वाली। क्या सुनाये जाने वाली? जिसमें वेदों की वाणी को सुना जाये। वह “श्रावणी” कहाती है। अर्थात् जिसमें निरन्तर वेदों का श्रवण और स्वाध्याय और प्रवचन होता रहे। वह श्रावणी […]