स्वराज्य शब्द के जन्म दाता ऋषि दयानन्द || आज लोग डींगे हांक रहे हैं स्वराज्य शब्द को लेकर, की इस स्वराज्य शब्द बाल गंगाधर तिलक जी की उपज है उन्होंने कहा था स्वराज्य प्राप्त करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है | इतना कह देने मात्र से बात नहीं बनती पंडित बाल गंगाधर तिलक जी को […]
महीना: अगस्त 2022
आयरलैंड के डबलिन में जॉन स्कॉटस सीनियर स्कूल के संस्कृत शिक्षक रटगर कोर्टेनहोस्र्ट का सम्बोधन जो भारतीय धरोहर पत्रिका में वर्ष 2015 में प्रकाशित हुआ है – देवियों और सज्जनों, हम यहां एक घंटे तक साथ मिल कर यह चर्चा करेंगे कि जॉन स्कॉट्टस विद्यालय में आपके बच्चे को संस्कृत क्यों पढऩा चाहिए? मेरा दावा […]
सर्व व्यापक में दृष्टि से उत्थान मैत्री का सम्मान करो , कुछ करुणा का भी ध्यान करो । मुदिता भी अपनाइए समय पर उपेक्षा का बर्ताव करो।। सुखीजनों को देख कीजिए – प्रेमपूर्ण मित्रता का अनुबंध। दु:खीजनों को देख कीजिए, करुणा का दया पूर्ण संबंध।। करते हों जो पुण्य जगत में , उनसे हर्षित हो […]
भले ही गांधी की धोती , तेरे खातिर गहना था .. मुझे दिखा दो बस वो फंदा, जिसे भगत सिंह ने पहना था … * चलो मान लिया कि चरखे ने ही, उन सारे अंग्रेजों को पटका था … पर हमको दे दो वो पावन रस्सी , जिस पर मेरा बिस्मिल लटका था.. * हम […]
*राष्ट्र-चिंतन* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* =================== भाजपा को एक बार फिर नीतीश कुमार ने लात मारी, एक बार फिर भाजपा मूर्ख बन गयी। नीतीश कुमार के सामने भाजपा के बड़े-बड़े महाराथी और तिस्मारखां संस्कृति के नेता देखते रह गये और नीतीश कुमार भाजपा को एक झटके में जमीन पर पटक कर अपना अलग गठबंधन खड़ा कर […]
कांग्रेस और उसके नेताओं ने देश को एक ऐसी मूर्खता पूर्ण अवधारणा प्रदान की जिसके सहारे हमारा अपना बौद्धिक संपदा संपन्न देश अपनी चाल को ही भूल गया। इस मूर्खता पूर्ण अवधारणा का नाम स्वतंत्र भारत में धर्मनिरपेक्षता माना गया। जिसका अभिप्राय है कि जिससे धर्म की अपेक्षा ही नहीं की जा सकती। ऐसी धारणा […]
*राष्ट्र-चिंतन* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* ================ बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने फतवा और मौलवियों पर एक गंभीर प्रश्न उठायी है। इस गंभीर प्रश्न पर दुनिया भर में संपूर्ण व्याख्या होनी चाहिए। उन्होने फतवे और मौलवियों को लेकर उन्होंने कौन सा प्रश्न उठाया है? उनका प्रश्न है कि मनुष्यता का सिर कलम करने का फतवा […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-17 नरेन्द्र सहगल विश्व के एकमात्र प्रथम राष्ट्र भारत को यदि ‘अध्यात्मिक राष्ट्र’ की संज्ञा से सम्मानित किया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारतीय संतों ने सदैव ‘भक्ति से शक्ति’ के सिद्धांत को चरितार्थ करते हुए समाज को जागृत रखा। विदेशी एवं विधर्मी आक्रांताओं द्वारा […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग 16 नरेन्द्र सहगल “तुम मुझे खून दो – मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के गगनभेदी उद्घोष के साथ आजाद हिंद फौज के सेनापति और सशस्त्र क्रांति के अंतिम ध्वज-वाहक सुभाष चंद्र बोस ने 90 वर्षों तक निरंतर चले ‘स्वातंत्र्य-यज्ञ’ में अपने प्राणों से पूर्ण आहुति दी […]
समदर्शी योगी जिसको न इस संसार की कोई चाह शेष ही रही, जो कहता रहा हर हाल में जो भी मिला वो ही सही। चाह मिटी – चिंता मिटी , और शांत किया हो चित्त को, जो मग्न है प्रभु ध्यान में , योगी तो बस होता वही ।। जो आसक्त हो संसार में, वह […]