डा. राधेश्याम द्विवेदी वसिष्ठ यानी सर्वाधिक पुरानी पीढ़ी का निवासी:- महर्षि वसिष्ठ का निवास स्थान से सम्बन्धित होने के कारण बस्ती का नामकरण उनके नाम के शब्दों को समेटा जा रहा है। प्राचीन काल में यह अवध की ही इकाई रही हैं। वसिष्ठ मूलतः ‘वस’ शब्द से बना है जिसका अर्थ – रहना, निवास, प्रवास, […]
महीना: जून 2022
दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुँह पर आ जाता है। देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूँजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 28 जून, 1547 को हुआ था। उनके पिता श्री भारमल्ल तथा माता श्रीमती कर्पूरदेवी थीं। श्री भारमल्ल […]
(27 जून को स्मृति दिवस पर प्रकाशित) पं. गणपति शर्मा जी का जन्म राजस्थान के चुरु नामक नगर में सन् 1873 में श्री भानीराम वैद्य जी के यहां हुआ था। आप पाराशर गोत्रीय पारीक ब्राह्मण थे। आपके पिता ईश्वर के सच्चे भक्त व उपासक थे। पिता का यही गुण उनके पुत्र गणपति शर्मा में भी […]
दर्शनी प्रिय बिहार की धरती अनेक रीति रिवाजों की जननी रही है। यहां परंपराएं लोकायत रूप में पल्लवित होती गई और इतिहास उन्हें करीने से पीढ़ी दर पीढ़ी उत्कृष्ट खांचे में ढालता रहा। परंपरा के केंद्र में बसे रस्मों रिवाजों से आरूढ़ इस क्षेत्र ने रीतियों को प्रतीकात्मक रूप से अनुकरणीय बनाया है। लोक रवायतों […]
प्रज्ञा पाण्डेय योग चित्त को शांत कर, संयम, अनुशासन और दृढ़ता के मूल्यों पर जोर देता है। जब समुदायों और समाजों पर लागू किया जाता है, तो योग स्थायी जीवन का मार्ग प्रदान करता है। अपनी इन विशेषताओं के कारण कोरोना महामारी में भी आम लोगों के लिए योग मददगार रहा। आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस […]
निधि अविनाश आज के युग की बात करें तो शरीर के अगल-अलग अंगों के ऑपरेशन के लिए अब कई अलग-अलग डॉक्टर हैं लेकिन 2600 साल पहले मेडिकल साइंस के आदि पुरुष सुश्रुत प्लास्टिक सर्जरी भी करते थे जिन्हें फादर ऑफ प्लास्टिक सर्जरी भी कहा जाता था। भारत ने प्राचीन काल में मेडिकल साइंस की ऐसी […]
कुलदीप नैयर (वरिष्ठ पत्रकार) 18 जनवरी 1977 को मोरारजी आदतन सुबह उठकर टहलने निकल गए जैसा कि पिछले कई महीनों से एक रूटीन बन गया था । वह दिन भी और दिनों की ही तरह था । रूटीन भले ही नीरस हो , पहले से बेहतर था । जब उन्हें पहली बार हिरासत में लिया […]
दो बूंद गंगाजल अरुण तिवारी (वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐसे कारणों को राजनीति और अर्थशास्त्र के फौरी लाभ के तराजू पर तौलकर मुनाफे की बंदरबांट में मगन दिखाई दे रही है। जन-जागरण के सरकारी व स्वयंसेवी प्रयासों […]
*वेद, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रंथ, महाभारत गीता, योगदर्शन, मनुस्मृति में एक “ओंकार का ही स्मरण और जप” करने का उपदेश दिया गया है।* वेदाध्ययन में मन्त्रों के आदि तथा अन्त में ओ३म् शब्द का प्रयोग किया जाता है। यजुर्वेद में कहा है- *ओ३म् क्रतो स्मर ।।-(यजु० ४०/१५)* “हे कर्मशील ! ‘ओ३म् का स्मरण कर।” यजुर्वेद के […]
गीता हमारे लिए एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है, जिसमें वेदों और उपनिषदों का रस या सार निकाल कर रख दिया गया है। जीवन की ज्योति बुझने ना पाए और किसी भी ‘अर्जुन’ का ‘युद्ध’ को देखकर उत्साह ठंडा न पड़ने पाए, इसके लिए ‘गीता’ युगों-युगों तक मानव जाति का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखती है। […]