Categories
आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

पराधीन भारत में शिक्षा की लौ जलाने वाले तपस्वी शिक्षाविद महात्मा हंसराज

डॉ. विवेक आर्य भारत के शैक्षिक जगत में डी.ए.वी. विद्यालयों का बहुत बड़ा योगदान है। विद्यालयों की इस शृंखला के संस्थापक हंसराज जी का जन्म महान संगीतकार बैजू बावरा के जन्म से धन्य हुए ग्राम बैजवाड़ा (जिला होशियारपुर, पंजाब) में 19 अप्रैल, 1864 को हुआ था। बचपन से ही शिक्षा के प्रति इनके मन में […]

Categories
आज का चिंतन

देव पूजा, संगतिकरण और दान

यज्ञ में देव पूजा संगतिकरण और दान का विधान है। देव पूजा जहां ब्राह्मण वर्ण से संबंधित है, वहीं संगतिकरण क्षत्रिय वर्ण से और दान वैश्य वर्ण के लोगों से संबंधित है। देव पूजा ज्ञान प्रधान होने से ब्राह्मण वर्ण पर यह कार्य आरोपित करती है कि उन्हें समाज से अज्ञान नाम के शत्रु को […]

Categories
आज का चिंतन

*शिक्षा शिक्षार्थी शिक्षक और यजुर्वेद*

वैदिक गुरुकुलीय आर्ष शिक्षा पद्धति संसार की सबसे प्राचीन वैज्ञानिक तार्किक बहुआयामी विकसित शिक्षा पद्धति है। जिसे भारतीय शिक्षा पद्धति के नाम से भी पहचाना संबोधित किया जाता है ।अंग्रेजों के भारत आगमन से पूर्व भारतीय शिक्षा पद्धति भारत के लाखों ग्रामों में स्थापित एकछत्र व्यापकता से प्रचलित थी। भारतीय अर्थात गुरुकुलीय वैदिक शिक्षा पद्धति […]

Categories
भारतीय संस्कृति

वेदों के पारायण यज्ञ से राष्ट्र यज्ञ की ओर

आर्य जाति की अधोगति और आर्य समाज के सिकुड़ने के क्या कारण हैं ? जाति वही जीवित रहती है जो अपनी रक्षा स्वयं कर सकती है। जाति वही सुरक्षित है जिसमें बुद्धि भी है और बल भी है । बल और बुद्धि का सम्मिश्रण केवल मनुष्य जाति ही नहीं प्रत्युत प्रत्येक प्राणी के जीवित रहने […]

Categories
उगता भारत न्यूज़

वैदिक संस्कृति को अपनाकर ही हो सकती है विश्व शांति स्थापित : आलोक कुमार गुप्ता

ग्रेटर नोएडा। (अमन आर्य) उगता भारत समाचार पत्र परिवार की ओर से आयोजित किए गए यजुर्वेद पारायण यज्ञ का ध्वजारोहण एसडीएम दादरी श्री आलोक कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। जबकि दीप प्रज्जवलन की रस्म तहसीलदार दादरी श्री विवेकानंद मिश्र द्वारा पूरी की गई। उनके साथ इस अवसर पर नायब तहसीलदार सचिन कुमार पवार भी उपस्थित […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

कोई भी चोर, पापी कभी उत्पन्न न हो

उत्तम कर्म की सिद्धि के लिए ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए । ईश्वर का सानिध्य और सामीप्य प्राप्त करने से हमें असीम आनंद की अनुभूति होती है। धीरे धीरे जैसे-जैसे अभ्यास बढ़ता जाता है वैसे वैसे उस अतुलित आनंद की अनुभूति हमें अपने साथ बांधने लगती है। उत्तम कर्म की सिद्धि के लिए ईश्वर […]

Categories
भारतीय संस्कृति

शरीर अन्त में भस्म होने वाला होता है

परमपिता परमेश्वर की असीम अनुकंपा से हमें यह मानव का चोला मिला है ।जो लोग इस चोले को पाकर इतराते हैं और इसका दुरुपयोग करते हैं वे अंत में पछताते हैं । अच्छी बात यही है कि हम संसार से जाने से पहले सावधान हो जाएं। यजुर्वेद के इस मंत्र में ऐसी ही चेतावनी मनुष्य […]

Categories
Uncategorised

वेद होना चाहिए संसार का संविधान

कुटिलता युक्त पाप रूप कर्म मनुष्य से भयंकर से भयंकर गलतियां करवाता है। जिससे उसका जीवन निरर्थक हो जाता है। अनेक पापीजन संसार में रहकर कुटिलता युक्त पापरूप कर्म में लगे रहते हैं । ऐसे लोग संसार में आकर कुछ भी ऐसा नहीं कर पाते जिसे सार्थक कहा जा सके। वह संसार की प्रगति और […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीने की इच्छा करो

योगेश्वर कृष्ण जी का कहना है कि हमें अपना मन ‘परब्रह्म’ से युक्त कर देना चाहिए, उसके साथ उसका योग स्थापित कर देना चाहिए। उससे मन का ऐसा तारतम्य स्थापित कर देना चाहिए कि उसे ब्रह्म से अलग करना ही कठिन हो जाए। भाव है कि जिन लोगों को अपनी समाधि में ऐसी उच्चावस्था प्राप्त […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

प्राचीन अरब का समाज और भारत के वेद

प्राचीन अरबी काव्य-संग्रह ‘शायर-उल्-ओकुल’ में एक महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का रचयिता ‘लबी-बिन-ए-अख़्तर-बिन-ए-तुर्फा’ है। यह मुहम्मद साहब से लगभग 2300 वर्ष पूर्व (18वीं शती ई.पू.) हुआ था । इतने लम्बे समय पूर्व भी लबी ने वेदों की अनूठी काव्यमय प्रशंसा की है तथा प्रत्येक वेद का अलग-अलग नामोच्चार किया है— ‘अया मुबारेक़ल अरज़ युशैये […]

Exit mobile version