भारत जैसे-जैसे आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहा है, वैसे वैसे भारतीयों पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है । पूर्व में स्कूलों और कॉलेजों में हल्दी-कुमकुम की रस्में मनाई जाती थीं । समाज और राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले समाज सुधारकों और क्रांतिकारियों की जयंती और वर्षगांठ मनाई जा रही […]
महीना: दिसम्बर 2021
किसी भी संप्रदाय, मत, धर्म के मानने वालों के लिए कुछ आवश्यक कार्य निर्देशित किए जाते हैं, दुर्भाग्य से उस धर्म के अनुयाई उस मत का होने का दावा तो करते हैं, परंतु उसके आवश्यक कार्य नहीं करते, अधिकतर को तो यह भी नहीं पता होता कि उस धर्म के क्या कार्य हैं, उसमें वैदिक […]
डॉ.मनोहर भण्डारी एक तरफ पूरा वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत जानता और मानता है कि सीसा मानव शरीर के लिए शुद्ध रूप से जहर (लेड पाइजनिंग) है, इसकी शरीर में जरा-सी भी उपयोगिता नहीं है I यह भी ज्ञात सच है कि सीसे की निरापद सूक्ष्मतम मात्रा वैज्ञानिकों को पता नहीं है, अर्थात् सीसे की सूक्ष्मतम […]
अनिल सिंदूर म.प्र. दतिया के प्रथम शासक की छोटी सी रियासत पहाड़ों तथा जंगलों के बीच घिरी बडोनी से शुरू हुई थी लेकिन समाप्त ओरछा के शासक बनने पर हुई। दतिया राज्य के अंग बुंदेलखंड राज्य की नींव कन्नौज के गुर्जर-प्रतिहारों तथा चंदेलों ने डाली थी। सबसे पहले बुंदेला राजा रुद्रप्रताप ने अप्रैल 1531 में […]
साभार: इंडियन एक्सप्रेसकांग्रेस नेता और तमिल वक्ता नेल्लई कन्नन को 2021 के कामराजर कथिर पुरस्कार (Kamarajar Kathir Award) से नवाजा गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की उपस्थिति में […]
क्या आप सपने में भी सोच सकते है कि केंद्र मे कांग्रेस का शासन, और गुजरात के कांग्रेसी मुख्य मंत्री के हेलिकाप्टर को पाकिस्तान मार गिराए!!😳 पूरे भारत🇮🇳 में किसी राज्य के मुख्यमंत्री को यदि किसी दूसरे देश ने मारा है तो वह गुजरात के कांग्रेस से ही मुख्यमंत्री स्वर्गीय बलवंत राय मेहता थे। स्वर्गीय […]
अध्याय-1 1071 ईस्वी- कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर पहली बार महमूद गनजवी ने तोड़ा था । 1150 ईस्वी- 79 साल के बाद 1150 ईस्वी में कृष्णजन्मभूमि पर एक गहड़वाल राजा ने दोबारा मंदिर बनवाया 1351 ईस्वी- 201 साल बाद दिल्ली के सुल्तान बने फिरोज शाह तुगलक ने फिर उस मंदिर को तोड़वा दिया लेकिन स्थानीय लोगों […]
इतिहास कभी भी गलतियों को दोहराने के लिए नहीं होता है और ना ही अतीत की कड़वाहटों को खुजला – खुजलाकर घाव बनाते रहने के लिए होता है । इसके विपरीत इतिहास अतीत की गलतियों से शिक्षा लेकर वर्तमान को सुंदर से सुंदर बनाने के लिए लिखा हो जाता है। ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की परंपरा […]
लेखक :- आचार्य विरजानन्द दैवकरणि पुस्तक :- भारत के प्राचीन मुद्रांक प्रस्तुतकर्ता :- अमित सिवाहा भारत की धार्मिक परम्परा में स्वस्तिक चिह्न का अङ्कन अत्यन्त प्राचीनकाल से चला आ रहा है । भारत के प्राचीन सिक्कों , मोहरों , बर्तनों और भवनों पर यह चिह्न बहुशः और बहुधा पाया जाता है । भारत के प्राचीनतम […]
“किसी न किसी को तो बाइबल की असलियत को उजागर करना ही चाहिए। ईसाई उपदेशक ऐसा करने का साहस इसलिए नहीं करते क्योंकि वे समझते है कि उनको मंच से निकाल दिया जाएंगा। कॉलेज के प्रोफेसर इसलिए ऐसा नहीं करते क्योंकि उन्हें वेतन मिलना बंद हो जएगा (नौकरी से निकाल दिया जाएगा)। राजनेता इसलिए ऐसा […]