प्राचीन काल में मास का आरम्भ अमा के उपरान्त प्रथम चन्द्रदर्शन से किया जाता था। चन्द्रदर्शन की प्रथम रात्रि ही शुक्ल प्रतिपदा कहलाती थी। शुक्ल पक्ष १४ रात्रियों का होता था जिसकी अन्तिम १४वीं रात्रि पूर्णिमा कहलाती थी। कृष्ण पक्ष १५-१६ रात्रियों का होता था और चन्द्रप्रकाश से रहित इसकी अन्तिम तीनों रात्रियों का समुच्चय […]
