नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने […]
महीना: नवम्बर 2021
आखिर पंजाब कांग्रेस में हो क्या रहा है? कभी अमरिंदर सिंह का विरोध, कभी अमरिंदर सिंह की तारीफ, कभी सीएम चन्नी का विरोध, कभी उनकी तारीफ, कभी कांग्रेस के 18 सूत्री एजेंडे का विरोध, कभी 13 सूत्री एजेंडे को लागू करने की मांग, कभी पंजाब मॉडल से सूबे को चमकाने का वादा तो अब पंजाब […]
दिल्ली वालों ने मुफ्तखोरी के लालच के कारण किस अराजक के हाथ दिल्ली की सत्ता दी है, अनेकों बार खुलासा हो चूका है, लेकिन मुफ्तखोर दिल्लीवासियों ने अपनी आंखें और दिमाग नहीं खोली। अपने स्वार्थ के लिए जो उन्हीं की जान को कदम-कदम पर जोखिम में डाल रहा है। दिल्लीवासियों थोड़ा दिमाग पर जोर डालो, […]
मनोज कुमार जनजातीय गौरव दिवस 15 नवम्बर के लिए विशेष मनोज कुमार मध्यप्रदेश के इतिहास में एक और दिन 15 नवम्बर ऐतिहासिक दिन के रूप में लिखा जाएगा जब जनजातीय गौरव दिवस के रूप में बिरसा मुंडा की जयंती का जयघोष होगा। ह्दयप्रदेश मध्यप्रदेश हमेशा से बड़े दिल का रहा है और रांची के इस […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ईश्वर और उसके अन्य सभी गुण, कर्म और सम्बन्ध वाचक नाम वेदों से संसार में प्रसिद्ध हुए हैं। वेद, सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यों की अमैथुनी सृष्टि के साथ परमात्मा की ओर से चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा के माध्यम से प्राप्त हुए ज्ञान व उसकी पुस्तकें हैं। इस […]
वैद्य राहुल पाराशर हेमंत शीतकालीन ऋतु है। इसका समयकाल आमतौर पर नवम्बर से दिसम्बर तक जाता है, लेकिन हाल के बरसों में मौसम में हो रहे लगातार बदलाव से इसके लक्षण कुछ देर से देखे जा रहे हैं। भारतीय महीनों के हिसाब से ये समय से ये मार्गशीर्ष से पौष तक का होता है। इसमें […]
सचिन कुमार जैन ब्रिटेन ने भारत में सांप्रदायिक विभाजन की इतनी गहरी खाई पैदा कर दी थी कि आजादी के समय यह सबसे बड़ी चुनौती तथा टकराव और हिंसा का कारण बनी।तत्कालीन राष्ट्रीय और वैश्विक राजनीतिक-आर्थिक परिस्थितियों के चलते ब्रिटेन को भारत से अपना राज-काज तो समेटना ही था। दूसरे विश्व युद्ध के आर्थिक दुष्प्रभाव, […]
कुमारी श्रेया देश में कितने स्वतंत्रता सेनानी हुए जिन्होंने इस देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण हंसते-हंसते नौछावर कर दिए। आज़ादी की इस लड़ाई में सिर्फ पुरुषों का ही नहीं बल्कि महिलाओं का योगदान भी काफी सराहनीय रहा है। लेकिन इस पितृसतात्मक समाज में अनगिनत महिलाओं को कभी वह स्थान नहीं दिया गया जिसकी […]
भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ? श्रीराम या ……. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा श्रीराम, अध्याय – 9 क ससदुपदेश पर करो अमल खर और दूषण के अंत को दो राक्षसों का अंत तो कहा जा सकता है परंतु श्री राम की समस्याओं का अंत उनके अंत के साथ हो गया हो – यह नहीं कहा […]
वंशिका पाल सुंदर, सुशील, संस्कारी, आज्ञाकारी और घर संभालने वाली लड़की की तलाश बरसों से यह पितृसत्तात्मक समाज करता आया है। इन सब ‘गुणों’ के साथ उन्हें चाहिए होती है एक ऐसी लड़की जो अपने साथ कई बैगों में समान भरकर ससुराल ला सके। यह सामान कहने को तो लड़की की पसंद के बताए जाते हैं […]