नरेंद्र मोदी भारत ने टीकाकरण की शुरुआत के मात्र 9 महीनों बाद ही 21 अक्तूबर, 2021 को टीके की 100 करोड़ खुराक का लक्ष्य हासिल कर लिया है। कोविड-19 से मुकाबला करने में यह यात्रा अद्भुत रही है, विशेषकर जब हम याद करते हैं कि 2020 की शुरुआत में परिस्थितियां कैसी थीं। मानवता 100 साल […]
Month: October 2021
ज्ञाानेन्द्र रावत बीते दिनों केरल में आयी लगातार मूसलाधार बारिश ने भीषण तबाही मचाई। बारिश ने सितम्बर में महाराष्ट्र, गुजरात, उ.प्र., बिहार, असम आदि कुछ दूसरे राज्यों में कहर बरपाया। नदियां खतरे के निशान को पार कर गयीं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। हाई अलर्ट जारी हुआ। मुम्बई में लगातार तीसरे साल […]
भरत झुनझुनवाला वर्ष 2016 की तुलना में आज अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 3 गुना हो गए हैं। इसी के समानांतर अपने देश में पेट्रोल का दाम लगभग 70 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 100 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसका सीधा प्रभाव महंगाई पर पड़ता है। हमारे लिए यह मूल्य वृद्धि […]
कर्मयोग में शान्ति रस,ज्ञानयोग में अखण्ड कर्मयोग में शान्ति रस, ज्ञानयोग में अखण्ड। भक्तियोग में अनन्त रस, यदि होवै प्रचण्ड ॥1503॥ व्याख्या:- प्रायः लोग कर्मयोग से अभिप्राय कर्म करने मात्र से लेते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि कर्मयोग नि:स्वार्थ भाव से केवल दूसरों के हित के लिए कर्म करता है। इससे उसके मन को […]
————२५ नवम्बर १९४९ ई. को संविधान सभा में मसौदे को अन्तिम स्वरूप देते हुवे डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने कहा था कि ‘ दिनाँक २६ जनवरी १९५० ई. को हिन्दुस्थान एक स्वतंत्र देश होगा’(संसद सभा चर्चा खण्ड ११ व प्रष्ठ ९७७से) १४ अगस्त १९४७ को पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ परन्तु शेष भारत गवर्नर जेनरल माउंटबेटन […]
अनूप भटनागर हमारी न्यायपालिका भले ही नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकारों और कार्यपालिका की कार्रवाई के खिलाफ उनकी वैयक्तिक स्वतंत्रता और हितों की रक्षा के बारे में बार-बार आश्वासन देती है लेकिन इसके बावजूद आज भी आम नागरिक अदालत के नाम से डरता है। आम नागरिकों में एक धारणा गहरे तक पैठ किये है कि […]
प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र) प्राचीन भारतीय अर्थशास्त्रियों के आर्थिक विचारों से आधुनिक युग के अर्थशास्त्री सर्वथा अपरिचित से प्रतीत होते हैं। जिस एक ‘श्रम सिद्धान्त’के कारण ही ‘एडमस्मिथ’को अर्थशास्त्र का पिता कहा जाता है, वह श्रम विभाजन भी प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारकों के लिए कोई नवीन विचार एवं नवीन […]
प्रस्तुति -श्रीनिवास आर्य भारत के राजनेताओं का यह कत्र्तव्य है कि वे चुनाव से पहले मतदाताओं को अर्थात् राष्ट्र को यह बतलाएँ कि उनकी दृष्टि में भारत का बल क्या है और भारत की निर्बलता या कमजोरी क्या है? साथ ही बल को बढ़ाने के लिए और कमजोरी को खत्म करने के लिए कौन से […]
विमल भाई नदियां हमारी संस्कृति और सभ्यता की प्रतीक हैं। पूरी दुनिया में सभ्यताएं नदियों के किनारे ही विकसित हुईं हैं। मानव सभ्यता के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे देश में तो नदियों को पूजने की परंपरा रही है। हमारे यहां कहा गया है कि गंगा के जल से यदि आचमन भर कर […]
वैदिक संपत्ति गतांक से आगे… दो प्रकार की विद्याएं हैं,एक परा दूसरी अपरा। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष आदि अपरा विद्याए हैं और जिससे वह अक्षर प्राप्त होता है, वह परा विद्या है। इस वर्णन से ज्ञात होता है कि, वेदों में परा विद्या का वर्णन नहीं है, अर्थात वेद […]