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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राजनीति की हर पेचीदगी को सुलझाना जानती थी मुझे राजे सिंधिया

अंकित सिंह  विजया राजे सिंधिया ने 1980 ने भाजपा की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष से बनाया गया। जब पार्टी ने राम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई तब विजया राजे सिंधिया ने भी इसको बखूबी आगे बढ़ाते रहीं। जनवरी 2001 में उनकी मृत्यु हो गई। जब […]

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मुद्दा राजनीति

एक बार पायलट को शिकस्त दे चुके गहलोत अगली बार भी मुख्यमंत्री बनने का करने लगे हैं दावा

रमेश सर्राफ धमोरा पंजाब में घटे राजनीतिक घटनाक्रम से अशोक गहलोत को काफी मजबूती मिली है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के दौरान उन्होंने खुलकर कांग्रेस आलाकमान के समर्थन में बयान दिया ताकि आलाकमान उनको लेकर कड़ा रुख नहीं अपनाये। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस की राजनीति में सशक्त होकर उभरे हैं। कुछ दिनों […]

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भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ?- श्रीराम या …. … पुस्तक का नाम : सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा: श्री राम

लेखकीय निवेदन भारत और भारतीय संस्कृति के विषय में कवि की कितनी सुंदर और सार्थक पंक्तियां हैं :— ज्ञान ही हमने दिया था ज्ञान का भंडार भारत। आज के इस विश्व का भी है अमर आधार भारत।। है अमित सामर्थ्य तुझ में मत किसी से याचना कर। अरे साधक साधना कर ! अरे साधक साधना […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

*फिल्म जगत और यह दीवाली:*

फिल्म जगत और यह दीवाली: एक समय था, जब भगत सिंह पर फ़िल्म बनी “शहीद”! मनोज कुमार ने इसके लिए उनके जीवित साथी बटुकेश्वर दत्त से बहुत कुछ जानकारी ली! जब फ़िल्म का लोकार्पण हुआ (रिलीज़ हुई) तो पटकथा लेखन में उनका नाम था ! वह यह देख कर रो पड़े थे ! भगत सिंह […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राजनीति से पहले संगठन को प्राथमिकता देते थे नानाजी देशमुख

विजय कुमार  1947 में रक्षाबन्धन के शुभ अवसर पर लखनऊ में ‘राष्ट्रधर्म प्रकाशन’ की स्थापना हुई, तो नानाजी इसके प्रबन्ध निदेशक बनाये गये। वहां से मासिक राष्ट्रधर्म, साप्ताहिक पांचजन्य तथा दैनिक स्वदेश अखबार निकाले गये। ग्राम कडोली (जिला परभणी, महाराष्ट्र) में 11 अक्तूबर, 1916 (शरद पूर्णिमा) को श्रीमती राजाबाई की गोद में जन्मे चंडिकादास अमृतराव […]

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मुद्दा

सिर्फ राम, कृष्ण ही क्यों ? किसी भी राष्ट्रपुरुष या महापुरुष का अपमान नहीं होना चाहिए

डॉ. वेदप्रताप वैदिक  किसी भी महापुरुष का अपमान नहीं किया जाना चाहिए और यदि उनके विरुद्ध कोई अश्लील टिप्पणी करे और जिससे दंगे भी भड़क सकते हों तो उस पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन यह बात सिर्फ राम और कृष्ण के बारे में ही लागू क्यों हो? इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश शेखर […]

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इतिहास के पन्नों से

भारतीय धर्म और संस्कृति के बारे में महात्मा गांधी के कैसे विचार थे ?

गांधी के विचार क्या थे ? १- हवन मे घी जलाए, यह तो हिंसा हुई।(हरिजन सेवक २०मई १९५० काका कालेकर संस्मरण। २-महाभारत के कृष्ण कभी भूमंडल पर नही हुए। (तेज ५ अक्टूबर १९२५) ३-दयानन्द ने सूक्ष्म मूर्ति पूजा चलाई है क्योंकि उन्होनें वेद को ईश्वरीय ज्ञान कहा है। वेद अक्षर है और सब सत्य विद्याओ […]

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शिक्षा/रोजगार

आर्यसमाज और भारतीय शिक्षा पद्धति

आर्यसमाज और भारतीय शिक्षा पद्धति लेखक – डॉ० भवानीलाल भारतीय अजमेर स्त्रोत – सुधारक (गुरुकुल झज्जर का मासिक पत्र) जुलाई 1976 प्रस्तुतकर्ता – अमित सिवाहा लाला लाजपतराय ने अपनी पुस्तक ‘ दुःखी भारत ‘ ( Unhappy India ) में यह बताया है कि अंग्रेजों के भारत में आगमन से पूर्व भारत में एक व्यवस्थित शिक्षा […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

लोकनायक जयप्रकाशजी ने भारतीय राजनीति को ही नहीं बल्कि आम जनजीवन को दी नई दिशा

ललित गर्ग  लोकनायक जयप्रकाशजी का सबसे बड़ा आदर्श था जिसने भारतीय जनजीवन को गहराई से प्रेरित किया, वह था कि उनमें सत्ता की लिप्सा नहीं थी, मोह नहीं था, वे खुद को सत्ता से दूर रखकर देशहित में सहमति की तलाश करते रहे और यही एक देशभक्त की त्रासदी भी रही थी। हिन्दुस्तान के इतिहास […]

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महत्वपूर्ण लेख

लखीमपुर खीरी की घटना और बड़े लोगों का अहंकार

अशोक मधुप आमतौर पर देखने में आया है कि परिवार के किसी सदस्य को राजनैतिक दल में पद मिलने के बाद संबंधित महानुभाव और उनके परिवार जन अपने को समाज और कानून से ऊपर समझने लगते हैं। उनमें ये भावना कर जाती है कि वे सुपर पावर हैं। लखीमपुर खीरी प्रकरण में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री […]

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