इन दिनों बार-बार ऐसी घोषणा की जा रही है,जिससे भारत और विश्व को यह विश्वास हो जाये कि इस्लाम शान्ति का संदेश देने वाला मजहब है।यह घोषणाए कुरान का संदर्भ की जाती है।आजकल ऐसी घोषणाओ ने एक फैशन का रुप ले लिया है,जबकि भारत और विश्व का अनुभव इसके बिल्कुल विपरीत है।जहाँ तक भारत का […]
Month: September 2021
संजय पंकज देश हमारा हमको प्यारा इस पर अर्पित जीवन सारा पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण एक लगाया हमने नारा देश हमारा, देश हमारा! अपने नारे फरियाद हुए इसके बल पर आजाद हुए कोटि-कोटि कंठों से उमड़े जन-गण-मन जिंदाबाद हुए पुरखों ने जो दिया सहारा उसके बलपर कभी न हारा देश हमारा, देश हमारा! नानक तुलसी […]
* संजय पंकज अंगड़ाई लेकर पंखुड़ियों की मरमराहट से मुक्त होती हुई कली जैसे ही खिलखिला कर खिली कि उतर आए गरमाहट लिए गुनगुन करते भंवरे। तो क्या कली ने भंवरे को अपने चितवन से चकित करते हुए आमंत्रित किया ! या फिर रस के लोभी भंवरे अपनी टोह लगाती, खोज करती भटकन में ऐसे […]
वैदिक संपत्ति : सम्प्रदाय प्रवर्तन
गीता और उपनिषदों में मिश्रण गतांक से आगे… इसी तरह की बात छान्दोग्य 8/ 13/1 में लिखी है कि ‘चन्द्र इव राहोर्मुखात् प्रमुच्य’अर्थात् जैसे चन्द्रमा राहु के मुख से छूट जाता है।यह दृष्टांत भी उन्हीं गैवारू बातों की चरितार्थ करता है,जो चन्द्रग्रहण के विषय में प्रचलित है। अर्थात् चन्द्रमा को राहु खा जाता है और […]
विश्व सभ्यताओं का जनक :भारत (एक शोध ग्रंथ) डॉक्टर अखिलेश चंद्र शर्मा जी द्वारा लिखित यह पुस्तक भारत के गर्व और गौरव को परिभाषित, स्थापित और व्याख्यायित करने वाला महान शोध ग्रंथ है। पुस्तक की प्रत्येक पंक्ति से लेखक की देशभक्ति, वेद भक्ति और प्रभु भक्ति की झलक दिखाई देती है। वास्तव में किसी भी […]
जीवन में संचित करो, जितना हो हरि- नाम। मानुष-धन रह जाएगा, काम आये हरि-नाम॥ 1439॥ व्याख्या:- कैसी विडम्बना है मनुष्य अपनी उर्जा का अधिकांश भाग धन-संग्रह में लगा देता है जबकि होना यह चाहिए था कि उसे अपनी जीवन- ऊर्जा को धर्म- संग्रह और प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए। उसके जीवन का अन्तिम लक्ष्य भी […]
द्वितीय चरण में विस्तार होता है। छोटा चर्च अब एक बड़ा बन जाता है। उसका विस्तार हो जाता है। अब वह छुप-छुप कर नहीं अपितु आत्म विश्वास से अपनी उपस्थिती दर्ज करवाता है। स्थानीय सभा के स्वरुप में परिवर्तन- अब वह हर रविवार को आम सभा में लाउड स्पीकर लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है। […]
ईसाई धर्मान्तरण: एक विश्लेषण भाग (1)
#डॉविवेकआर्य मेरे एक मित्र ने ईसाई मत की प्रचारनीति के विषय में मुझसे पूछा। ईसाई समाज शिक्षित समाज रहा है। इसलिए वह कोई भी कार्य रणनीति के बिना नहीं करता। बड़ी सोच एवं अनुभव के आधार पर ईसाईयों ने अपनी प्रचार नीति अपनाई है। ईसाईयों के धर्मान्तरण करने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती हैं। […]
पारिस्थितिकीय संतुलन में सुरक्षित भविष्य
ज्ञाानेन्द्र रावत आज एशिया की जल मीनार के रूप में विख्यात हिमालयी पर्वत शृंखला का अस्तित्व खतरे में है। जबकि भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान समेत इन आठ देशों की जलवायु, जैव-विविधता और पारिस्थितिकी के मामले में एशिया की इस जल मीनार पर निर्भरता जगजाहिर है। यह समूचा क्षेत्र आपदाओं और […]
भागम भाग के दौर में बेदम होती जिंदगी
प्रस्तुति : श्रीनिवास आर्य किसी ने सोचा था कि कभी ऐसा ही समय आयेगा कि किसी के पास समय ही नहीं रहेगा। दिन अभी भी चौबीस घंटों का है। और घंटों में मिनट भी पहले जितने ही हैं पर पता नहीं समय कहां चला गया है। किसी के पास किसी के लिये टाइम नहीं है। […]