ओ३म् ========== अथर्ववेद के एक मन्त्र ‘अन्ति सन्तं न जहात्यन्ति सन्तं न पश्यति। देवस्य पश्य काव्यं न ममार न जीर्यति।।’ में कहा गया है कि ईश्वर जीवात्मा के अति समीप है। वह जीवात्मा का त्याग नहीं करता। इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि ईश्वर हमारे अति समीप है, जीवात्मा उसका त्याग नहीं कर सकता […]
महीना: अगस्त 2021
ब्राह्मणवाद को आरोपित करने वाली स्वरा पहुंची ब्राह्मणों की शरण में बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने हाल ही में अपने नए घर के लिए गृह प्रवेश समारोह की कुछ तस्वीरें साझा की थीं। तस्वीरों में उन्हें एक नई शुरुआत के लिए देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करते हुए देखा जा सकता है। उनकी […]
31 अगस्त: आज ही अंग्रेजों के बजाय उनके भारतीय गद्दार मुखबिर को जेल में घुस कर मारा था क्रांतिकारियों ने .. एक ऐसा इतिहास जिसे निगल गए नकली कलमकार स्वाधीनता प्राप्ति के प्रयत्न में लगे क्रांतिकारियों को जहां एक ओर अंग्रेजों ने लड़ना पड़ता था, वहां कभी-कभी उन्हें देशद्रोही भारतीय, यहां तक कि अपने गद्दार […]
(लेखक: शंकर शरण) बादशाह अकबर के समय मुहावरा शुरू हुआ: ‘हिन्दू हाथों में इस्लाम की तलवार’। तब जब अकबर ने राजपूतों से समझौता कर अपने साम्राज्य के बड़े पदों पर रखना शुरू किया। जिन राजपूतों ने चाहे-अनचाहे पद लिए, उन्हें अकबर की ओर से हिन्दू राजाओं के विरुद्ध भी लड़ने जाना ही होता था। सो, […]
🌷 ईश्वर की सत्ता 🌷 वेद ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हैं और आस्तिकता के प्रचारक हैं। वेद नास्तिकता के विरोधी हैं। परन्तु संसार में कुछ व्यक्ति हैं जो ईश्वर की सत्ता को स्वीकार नहीं करते। वेद ऐसे लोगों की बुद्धि पर आश्चर्य प्रकट करता है और उनकी भर्त्सना करता है। न तं विदाथ […]
अफगान छोड़ कर जितने भी भागे सब के सब पुरुष और नौजवान भागे। एक भी महिला या बच्चा भागते हुए नजर नहीं आया। क्या ऐसा मुमकिन है, कि घर पर और सर पर मौत मंडरा रही हो और आप अपनी मां , बहन, बीवी और बच्चों को छोड़कर भाग जाएं? आप भाग जाएं सो तो […]
#डॉविवेकआर्य एक मित्र ने शंका के माध्यम से पूछा कि क्या आप श्री कृष्ण जी को भगवान् मानते है? मेरा उत्तर इस प्रकार से है- महाभारत में श्री कृष्ण जी के विषय में लिखा है- वेद वेदांग विज्ञानं बलं चाप्यधिकं तथा। नृणां हि लोके कोSन्योSस्ति विशिष्ट: ।। अर्थात आज के समुदाय में वेद वेदांग के […]
ब्रह्मानन्द में लीन जो,दूर रहें सन्ताप ब्रह्मानन्द में लीन जो, दूर रहें सन्ताप। सर्दी को हर लेते है, ज्यों सूरज का ताप॥1487॥ व्याख्या:- जिस प्रकार सूर्य की तेज धूप सर्दी को हर लेती है,ठीक इसी प्रकार ब्रह्मानन्द में लीन रहने वाले साधक के सारे सन्ताप स्वतः दूर हो जाते हैं।इस संदर्भ में तैत्तीरोपनिषद् ( ब्रह्मानन्द […]
गतांक से आगे.. उपनिषदों की नवीनता का दूसरा प्रमाण तो बहुत ही स्पष्ट है। छान्दोग्य 3/17/ 6 में लिखा है कि ‘तद्वैतद् धोरआंगिरसः कृष्णाय देवकीपुत्राय’अर्थात् घोर आंगिरस के शिष्य देवकीपुत्र कृष्ण के लिए। इनमें देवकीपुत्र कृष्ण का नाम आया है।यह वाक्य कृष्ण के बाद ही लिखा गया है। हम प्रथम खण्ड में कृष्णकालीन महाभारतयुद्ध को […]
अक्सर आरक्षण समर्थक यह कहते हैं कि हजारों साल शोषण किया गया, इसलिए आरक्षण हमारा हक़ है।चलिए हजारो साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं। सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछवारे की पुत्री सत्यवती से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की। सत्यवती के बेटे बाद में […]