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आज का चिंतन

बंधु बांधवों, मित्रों, परिजनों की क्या पहचान बताते हैं आचार्य चाणक्य

चाणक्य नीति आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे। राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धवः।। यहां आचार्य चाणक्य बंधु-बांधवों, मित्रों और परिवारजनों की पहचान बताते हुए कहते हैं कि रोग की दशा में‒जब कोई बीमार होने पर, असमय शत्रु से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में तथा मृत्यु पर श्मशान भूमि में ले जाने वाला […]

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आतंकवाद राजनीति

भारत में हिंदुओं का राजनीतिक प्रतिरोध

हिन्दुओं का राजनीतिक प्रतिरोध विश्व की सभ्यताओं तथा संस्कृतियों के सृजन तथा विकास में भारत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्राचीनतम देशों में होने के कारण यह देश विश्व की अनेक घुमक्कड़ जातियों, कबीलों तथा काफिलों की शरणस्थली रहा है। यूनानी, ईरानी, शक, हूण, पठान तथा मुगल समय-समय पर भारत में घुसपैठ करते रहे हैं, […]

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मुद्दा

मुनव्वर राणा साहब सौ कौरव पैदा करके धृतराष्ट्र बनने से क्या लाभ होगा ?

🙏बुरा मानो या भला🙏 * —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” उत्तरप्रदेश जनसंख्या नियंत्रण कानून पर “दरबारी शायर” और कथित बुद्धिजीवी मुन्नवर राना साहब ने एक बयान देते हुए कहा कि- “दो से ज्यादा बच्चे इसलिए पैदा किए जाते हैं क्योंकि दो बच्चे एनकाउंटर में मार दिए जाते हैं. एकाध को कोरोना हो जाता है. एकाध एक्सीडेंट में […]

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इतिहास के पन्नों से

नेहरू की इतिहास दृष्टि, भाग – 1

  लेखक:- डॉ. शंकर शरण बहुतेरे विदेशी लोग, और बड़ी संख्या में भारतीय उच्च-शिक्षित लोग भी भारत में ब्रिटिश राज से पहले के शासन को सामान्यतः ‘मुगल शासन’ के रूप में ही जानते हैं। वे समझते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य वस्तुत: मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी था। उन्हें यह मोटा सा तथ्य ध्यान नहीं रहता कि […]

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मुद्दा

विपक्ष के हर प्रश्न का संसद में जवाब देने के लिए तैयार है सरकार

ललित गर्ग विपक्ष के तेवरों से प्रतीत हो रहा है कि वह दोनों सदनों में सरकार की घेराबंदी के किसी मौके को नहीं छोड़ना चाहेगा, ऐसी स्थितियां बनना देशहित में नहीं है। विरोध या आक्रामकता यदि देशहित के लिये, ज्वलंत मुद्दों पर एवं समस्याओं के समाधान के लिये हो तभी लाभदायी है। लोकतंत्र में सफलता […]

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आतंकवाद

इतिहास की एक भूल थी ‘पाकिस्तान’

संजय खाती पाकिस्तान कोई मुल्क नहीं है। वह एक भूलभुलैया है, एक पहेली जिसे आज तक पाकिस्तानी खुद भी हल नहीं कर पाए। न्यूयॉर्क टाइम्स के डेक्लान वॉल्श से एक पाकिस्तानी अफसर ने कहा था, यह कई कमरों वाले एक मकान की तरह है, जिसमें एक कमरे को दूसरे की खबर नहीं होती। खुद वॉल्श […]

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आओ कुछ जाने

1936 से प्रारंभ हुआ ओलम्पिक खेलों का विरोध

योगेश कुमार गोयल ओलम्पिक खेलों के संबंध में सबसे रोचक तथ्य यह है कि भले ही ये खेल दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं लेकिन इनके आयोजन को लेकर विरोध प्रदर्शन भी होते रहे हैं। इस साल भी टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों का दुनियाभर में कई जगहों पर प्रबल विरोध हो रहा है। ओलम्पिक खेल […]

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आज का चिंतन

संसार में सभ्यता और आनंद के साथ रहना चाहिए : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

. “थोड़े दिन का जीवन है, कोई हजारों साल यहां नहीं रहेगा। इसलिए सभ्यता से रहना चाहिए, और आनंद से जीवन जीना चाहिए।” आजकल लोगों में सहनशक्ति बहुत घटती जा रही है। छोटी-छोटी बातों पर गर्मा-गर्मी हो जाती है। “लोग गुस्सा कर लेते हैं। लड़ाई झगड़ा कर लेते हैं। गाली गलौच करते हैं। मारपीट करते […]

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धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति के अमर बोल

चाणक्य नीति यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः। न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।। अर्थ- जिस देश में सम्मान न हो, जहां कोई आजीविका न मिले, जहां अपना कोई भाई-बन्धु न रहता हो और जहां विद्या अध्ययन संभव न हो, ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए। अर्थात् जिस देश अथवा शहर में निम्नलिखित […]

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महत्वपूर्ण लेख राजनीति

संतो की भूमि बंगाल में क्यों बिगड़ गए इतने हालात

बंगाल संतों की भूमि है। चैतन्य महाप्रभु, रामकृष्ण परमहंस, श्यामा चरण लाहिड़ी, स्वामी विवेकानंद, सदृश्य अनेक संतों का प्रादुर्भाव बंगाल की पवित्र भूमि पर हुआ है। भगवान ने स्वयं कहा है कि मोते अधिक संत कर लेखा। अर्थात संत वह भी दे सकते हैं जो भगवान नहीं दे सकते। बंगाल की भूमि पर गौवंश के […]

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