माही भारत में पिछले कई दशकों से हम नोट और सिक्कों की मदद से ही लेनदेन करते आ रहे हैं. हालांकि, पिछले कुछ सालों से लेनदेन ‘डिजिटल पेमेंट्स’ के ज़रिए भी होने लगी है, लेकिन आज भी एक तबका ऐसा है जो कैश में ही लेनदेन करना पसंद करता है। हमारे देश में मौजूदा समय […]
महीना: मई 2021
किसान आंदोलन ‘धनाढ्य किसानों’ का ही आंदोलन
डॉ. वेदप्रताप वैदिक किसान नेताओं को आंदोलन करने का पूरा अधिकार है लेकिन उन्होंने काला दिवस मनाते हुए जिस तरह से भी छोटे-मोटे विरोध-प्रदर्शन किए हैं, उनमें कोरोना की सख्तियों का पूरा उल्लंघन हुआ है। सैंकड़ों लोगों ने न तो शारीरिक दूरी रखी और न ही मुखपट्टी लगाई। किसान आंदोलन को चलते-चलते छह महीने पूरे […]
पत्रकारिता के ‘पितामह’ नारद मुनि
डॉ. पवन सिंह मलिक समाचारों में मुद्दों पर सामूहिक चेतना का प्रचलन बढ़ा है, परन्तु व्यावसायिक पत्रकारिता के कारण वैचारिक पत्रकारिता में कमी आयी है, जो कि युवा शक्ति के लिए शुभ नहीं है। मनोरंजन को प्रमुखता दे कर समाज को दिशा भ्रमित भी किया जा रहा है। आज पूरा विश्व भारत की ओर आशा […]
कुशल राजनीतिज्ञ चाणक्य का कहना है कि जब विरोधी पक्ष में हाहाकार मच रहा हो, समझ लो, राजा सख्त है। नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में शाहीन बाग बनाए गए, हिन्दू विरोधी दंगे और फिर जैसाकि 6 माह पूर्व शुरू हुए कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे किसान आन्दोलन के बारे में कहा […]
वेद और महर्षि दयानंद
वेद और ऋषि दयानन्द पं० मदनमोहन विद्यासागर [जब हम ‘वेद’ को भूलकर अपने को भुला चुके थे तब ऋषिवर दयानन्द ने लुप्त ज्ञान भंडार ‘वेद’ पुनः संसार को दिया, इसके लिए मानव-जाति सदा ऋषि की ऋणी रहेगी। इस लेख के लेखक पं० मदनमोहन विद्यासागर जी ने ऋषि दयानन्द जी के मत से वेद की महत्ता […]
आयुर्वेद लिखनेवाले पुरुष को आप्त कहा जाता है, जिनको त्रिकाल (भूत, वर्तमान, भविष्य) का ज्ञान था। यद्यपि आयुर्वेद बहुत पुराने काल में लिखा गया है, तथापि वर्तमान में नये रूप में उभरनेवाली हर बीमारियों का समाधान इसमें समाहित है। आयुर्वेद मतलब जीवनविज्ञान है। अतः यह सिर्फ एक चिकित्सा-पद्धति नहीं है, जीवन से सम्बधित हर […]
========== यह एक व्यक्ति मात्र नहीं, एक संस्था मात्र नहीं अपितु एक अक्षय विचारधारा का नाम है। वह विचारधारा जो गुलामी की स्याह कारा में रहकर भी आजादी का लौ जला सकती है। वह विचारधारा को गुरुगोविन्द सिंह की तरह अपने समस्त परिजनों को बलिवेदी के निमित्त न्यौछावर कर सकती है। वह विचारधारा जो उस […]
प्रार्थना और प्रभु! हमारे अंदर जो प्रभु विराजमान हैं, उनको हम उर में बोलेंगे तो वे हमारा काम कर देंगे! जो हम चाहते हैं उससे पहले वे हमारा वह कार्य करना करवाना चाहते हैं! उनकी बिना इच्छा के हम इच्छा भी नहीं कर पाते! प्रार्थना, स्वाध्याय, रीति रिवाजों व अपनी अभी की मान्यताओं से परे […]
हमारा यह लेख अब से 7 वर्ष पूर्व उगता भारत में प्रकाशित हुआ था जो आज भी उतना ही समसामयिक है। इसलिए आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है:- बात 10 मई 1957 की है। सारा देश 1857 की क्रांति की शताब्दी मना रहा था। दिल्ली में रामलीला मैदान में तब एक भव्य कार्यक्रम हुआ था। हिंदू […]
भारत को अजेय शक्ति बनाने के लिए “हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है और राष्ट्रीयत्व ही हिंदुत्व है’ के उद्द्घोषक स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर आज तन से हमारे मध्य नहीं हैं। लेकिन उनकी संघर्षमय प्रेरणादायी अविस्मरणीय मातृभूमि के प्रति समर्पित गाथा युगों युगों तक भारतभक्तों का मार्ग प्रशस्त करती रहेंगी। मुख्यतः हम उनकी पुण्य जन्म […]