अनिल सिन्हा महामारियों से लड़ने में हमारी विफलता को समझने के लिए हमें औपनिवेशिक भारत के इतिहास पर नजर दौड़ाना चाहिए। प्लेग, हैजा, चेचक, मलेरिया या स्पेनिश फ्लू के नियंत्रण में अंग्रेज सरकार की नाकामी ने एक बड़ी आबादी की जान ले ली थी। उसकी नाकामी का सबसे बड़ा कारण था महामारियों के नियंत्रण के […]
महीना: मई 2021
डॉ. वेदप्रताप वैदिक यूरोपीय संघ बनने के बाद या यों कहिए कि द्वितीय महायुद्ध के बाद के वर्षों में स्कॉटलैंड के लोगों ने महसूस किया कि व्यापार और राजनीति के हिसाब से वे लोग अंग्रेजों के मुकाबले नुकसान में रहते हैं। वे स्कॉटलैंड को इंग्लैंड से अलग करना चाहते हैं। ग्रेट ब्रिटेन ने 1947 […]
डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र अब भारतीय जनमानस को तय करना होगा कि उसे पहली धारा को सशक्त कर सनातन भारतीय परंपराओं को चिरजीवी बनाना है या फिर दूसरी धारा का अंधा समर्थन कर तीसरी धारा को अपने मंसूबे पूरे करने का अवसर देना है। पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के वंशज परस्पर संघर्ष कर रहे हैं। […]
सोनिया ने पर्दे के पीछे किस कदर लूट की होगी ? सोचिये… तब 40 करोड़ के लिए सोना गिरवी रखा था… जबकि 64 करोड़ की दलाली तो सिर्फ बोफोर्स में खाई गयी थी… RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार… काँग्रेस के शासनकाल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के […]
ओ३म् ========= हम और ईश्वर दो अलग अलग सत्तायें हैं। दोनों की सामर्थ्य भी अलग अलग हैं। मनुष्य अल्प शक्तिवाला है तो ईश्वर सर्वशक्तिमान है। मनुष्य अल्पज्ञ वा अल्पज्ञान वाला है तो ईश्वर सर्वज्ञ वा सभी प्रकार का पूर्ण ज्ञान रखने वाली सत्ता है। दोनों की सत्ता में कुछ समानतायें हैं और कुछ असमानतायें हैं। […]
(14 मई को जन्मदिवस पर विशेष रूप से प्रचारित) #डॉविवेकआर्य वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भा जी को अयोग्य आदि की संज्ञा देकर बदनाम करते हैंl जबकि सत्य ये है कि अगर वीर शम्भा जी कायर होते तो वे औरंगजेब की दासता स्वीकार कर इस्लाम ग्रहण कर लेते। वह न केवल अपने प्राणों की […]
[भाग १] पूरे विश्व में केवल भारत ऐसा देश है, जहाँ यहूदी, ईसाई, पारसी आदि विभिन्न मत-मजहबों के लोग आक्रांताओं से उत्पीडित होकर या जीविका की तलाश में अपनी धरती छोडकर यहाँ आए तो हिंदू धर्म की उदारता और हिंदूओं की सहिष्णुता के कारण उन लोगों को भारत में ससम्मान रहने का स्थान और […]
लेखक- श्री प्रोफेसर विश्वनाथजी विद्यालंकार प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ अथर्ववेद ७/९५/१-३, तथा ७/९६/१ में दो गीधों का वर्णन मिलता है। गीध-पक्षियों का काम है मांस भक्षण, मुर्दे के मांस को खाना। अथर्ववेद के इन दो सूक्तों में दो आध्यात्मिक गीधों का वर्णन है। गीधों को इन मन्त्रों में “गृध्रौ” कहा है। ये गृध्र गर्धा के […]
भारतीय धर्म संस्कृति और इतिहास की पवित्रता में विश्वास रखने वाले हम सब भारतवासियों के लिए यह बहुत गर्व और गौरव का विषय है कि भारत ने विश्वगुरु के रूप में एक समय सारे विश्व को मर्यादा व्यवस्था और शांति का पाठ पढ़ाया था। भारत के विश्व गुरु रहते हुए संपूर्ण संसार व्यवस्थित रहा। […]
रमेश सर्राफ धमोरा यूनिसेफ द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के कई क्षेत्रों में अब भी बाल विवाह हो रहा है। इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत में बाल विवाह की दर में कमी आई है। लेकिन कई प्रदेशों में यह प्रथा अब भी जारी है। […]