Categories
Uncategorised

मोदी के भाषणों में है किसानों का गुस्सा शांत करने की क्षमता

  डॉ. वेदप्रताप वैदिक  राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाबी भाषण सुनकर मेरी त्वरित प्रतिक्रिया यह हुई कि किसान—आंदोलन का संतोषजनक समाधान संभव है। जिन अफसरों और सलाहकारों ने उनका यह भाषण तैयार करवाया है, वे प्रशंसा के पात्र हैं, क्योंकि यह भाषण सरकार और किसानों के बीच फंसी गांठ को खोल सकता […]

Categories
पर्यावरण महत्वपूर्ण लेख

देश में पर्यावरण और बढ़ते शहरीकरण के बीच संतुलन बिठाना आवश्यक

एक अनुमान के अनुसार, देश में वर्ष 2050 तक शहरों की आबादी 80 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी। यानी, उस समय की देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत से अधिक और आज की शहरी आबादी से लगभग दुगुनी यथा भारत एक शहरी देश के तौर पर उभर कर सामने आ जाएगा। आज, 2011 […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

दनकौर का युद्ध और बहादुर बे दल चंदू गुर्जर

डॉ. सुशील भाटी Key Words- Bharatpur, Jat Kingdom, Gujar General, Dankour, Jats, Gujars चंदू गूजर भरतपुर के जाट राज्य अंतर्गत ¬रामगढ़ किले का किलेदार और कोइल क्षेत्र (वर्तमान अलीगढ) का सूबेदार था| जे. एम. सिद्दीकी (1981) ने उसका वास्तविक नाम चंद्रभान बताया हैं जबकि के. आर. कानूनगो (1925) ने उसका वास्तविक नाम चन्दन बताया हैं| […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

बस्तर के इतिहास पर गहरी छाया है रामायण की

राजीव रंजन प्रसाद रामायण को ले कर प्रगतिशील कहे जाने वाले समाज के अपने पूर्वाग्रह हैं तथा उसके बीच अंतर्निहित अतीत की ओर कोई शोध भरी दृष्टि से देखने का जोखिम नहीं उठाना चाहता। धार्मिक समाज भी मन की गुफाओं में प्रसन्न है; वह सदियों से स्थापित कविता की कल्पनाशीलता से बाहर नहीं आना चाहता […]

Categories
Uncategorised

आयुर्वेदिक रसायन चिकित्सा को ही दी जानी चाहिए प्राथमिकता

डॉ. दीप नारायण पाण्डेय मोटे तौर पर हर साल 58 लाख भारतीय दिल और फेफड़े के रोगों, स्ट्रोक, कैंसर और मधुमेह से मर जाते हैं। देश में छह करोड़ से अधिक मधुमेह रोगियों के कारण भारत को मधुमेह की वैश्विक राजधानी कहा जाने लगा है। लगभग 77 लाख लोग मधुमेह से पीडि़त होने की कगार […]

Categories
भारतीय संस्कृति

वैलेंटाइन डे और भारत की परंपरा

बालमुकुंद आखिर वैलंटाइन डे आ पहुंचा। यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है। यह ल्यूपरसेलिया नामक एक प्राचीन रोमन त्योहार है, जो 14 वीं शताब्दी तक आते-आते प्रेम की अभिव्यक्ति के दिन में बदल गया। यहां वह अब इतना प्रचलित हो चला है कि संस्कृति के रक्षकों को पहरेदारी करनी पड़ती है। लेकिन भारत में […]

Categories
मुद्दा

उत्तराखंड में घटी घटना की ओर संकेत कर रही है?

अनिल पी जोशी चिपको आंदोलन की जमीन रैणी और लाता में ऋषिगंगा नदी पर बने बांध का बह जाना कई सवाल खड़े करता है। पहला सवाल तो यही बनता है कि क्या हिमालय से जुड़े गाद-गदेरों और नदियों को बांधों की कतारों से बांध देना उचित है? और अगर हमने ऐसा किया है तो क्या […]

Categories
भाषा

डॉ राकेश कुमार आर्य की आगामी पुस्तक ‘हिंदुत्व की चेतना के स्वर’ के विषय में

‘हिंदुत्व की चेतना के स्वर’ – भारत की संस्कार आधारित संस्कृति को स्पष्ट करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। संस्कारों का निर्माण कर भारत ने अपनी संस्कृति का निर्माण किया है। इन संस्कारों ने व्यष्टि से समष्टि तक एक ऐसी सुन्दर व्यवस्था विकसित की, जिसे विश्व संस्कृति के नाम से भी संबोधित किया जा सकता […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

माता -पिता की सेवा से जीवन में सुख और आशीर्वाद मिलता है

मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसका आत्मा ज्ञान व कर्म करने की शक्ति से युक्त होता है। मनुष्य को ज्ञान अपने माता, पिता व आचार्यों से मिलता है। माता-पिता सन्तानों को श्रेष्ठ आचरण की शिक्षा देते हैं। आचार्य भी वेद व ऋषियों के ग्रन्थों सहित आधुनिक विषयों का ज्ञान अपने अपने शिष्य व विद्यार्थियों को […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महाराजा सूरजमल जाट : 13 फरवरी जन्म दिवस पर विशेष

मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से […]

Exit mobile version