डॉ. वेदप्रताप वैदिक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाबी भाषण सुनकर मेरी त्वरित प्रतिक्रिया यह हुई कि किसान—आंदोलन का संतोषजनक समाधान संभव है। जिन अफसरों और सलाहकारों ने उनका यह भाषण तैयार करवाया है, वे प्रशंसा के पात्र हैं, क्योंकि यह भाषण सरकार और किसानों के बीच फंसी गांठ को खोल सकता […]
Month: February 2021
एक अनुमान के अनुसार, देश में वर्ष 2050 तक शहरों की आबादी 80 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी। यानी, उस समय की देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत से अधिक और आज की शहरी आबादी से लगभग दुगुनी यथा भारत एक शहरी देश के तौर पर उभर कर सामने आ जाएगा। आज, 2011 […]
डॉ. सुशील भाटी Key Words- Bharatpur, Jat Kingdom, Gujar General, Dankour, Jats, Gujars चंदू गूजर भरतपुर के जाट राज्य अंतर्गत ¬रामगढ़ किले का किलेदार और कोइल क्षेत्र (वर्तमान अलीगढ) का सूबेदार था| जे. एम. सिद्दीकी (1981) ने उसका वास्तविक नाम चंद्रभान बताया हैं जबकि के. आर. कानूनगो (1925) ने उसका वास्तविक नाम चन्दन बताया हैं| […]
राजीव रंजन प्रसाद रामायण को ले कर प्रगतिशील कहे जाने वाले समाज के अपने पूर्वाग्रह हैं तथा उसके बीच अंतर्निहित अतीत की ओर कोई शोध भरी दृष्टि से देखने का जोखिम नहीं उठाना चाहता। धार्मिक समाज भी मन की गुफाओं में प्रसन्न है; वह सदियों से स्थापित कविता की कल्पनाशीलता से बाहर नहीं आना चाहता […]
डॉ. दीप नारायण पाण्डेय मोटे तौर पर हर साल 58 लाख भारतीय दिल और फेफड़े के रोगों, स्ट्रोक, कैंसर और मधुमेह से मर जाते हैं। देश में छह करोड़ से अधिक मधुमेह रोगियों के कारण भारत को मधुमेह की वैश्विक राजधानी कहा जाने लगा है। लगभग 77 लाख लोग मधुमेह से पीडि़त होने की कगार […]
वैलेंटाइन डे और भारत की परंपरा
बालमुकुंद आखिर वैलंटाइन डे आ पहुंचा। यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है। यह ल्यूपरसेलिया नामक एक प्राचीन रोमन त्योहार है, जो 14 वीं शताब्दी तक आते-आते प्रेम की अभिव्यक्ति के दिन में बदल गया। यहां वह अब इतना प्रचलित हो चला है कि संस्कृति के रक्षकों को पहरेदारी करनी पड़ती है। लेकिन भारत में […]
अनिल पी जोशी चिपको आंदोलन की जमीन रैणी और लाता में ऋषिगंगा नदी पर बने बांध का बह जाना कई सवाल खड़े करता है। पहला सवाल तो यही बनता है कि क्या हिमालय से जुड़े गाद-गदेरों और नदियों को बांधों की कतारों से बांध देना उचित है? और अगर हमने ऐसा किया है तो क्या […]
‘हिंदुत्व की चेतना के स्वर’ – भारत की संस्कार आधारित संस्कृति को स्पष्ट करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। संस्कारों का निर्माण कर भारत ने अपनी संस्कृति का निर्माण किया है। इन संस्कारों ने व्यष्टि से समष्टि तक एक ऐसी सुन्दर व्यवस्था विकसित की, जिसे विश्व संस्कृति के नाम से भी संबोधित किया जा सकता […]
मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसका आत्मा ज्ञान व कर्म करने की शक्ति से युक्त होता है। मनुष्य को ज्ञान अपने माता, पिता व आचार्यों से मिलता है। माता-पिता सन्तानों को श्रेष्ठ आचरण की शिक्षा देते हैं। आचार्य भी वेद व ऋषियों के ग्रन्थों सहित आधुनिक विषयों का ज्ञान अपने अपने शिष्य व विद्यार्थियों को […]
मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से […]