संसार को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाला भारत सबसे पहला और प्राचीन देश है । इसके उपरांत भी यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की राजनीति आज भी कई प्रकार की विसंगतियों और जटिलताओं में जकड़ी हुई है । हम अभी भी संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र तो हैं परंतु सबसे ‘परिपक्व लोकतंत्र’ अभी भी […]
महीना: जनवरी 2021
मिथिलेश कुमार सिंह बर्थ एंड डेथ रजिस्ट्रेशन में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं कई लोग आज भी जन्म मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो उनके लिए यह समझना जरूरी है कि कानूनन यह बहुत जरूरी प्रक्रिया है, जिसे आप को समय रहते पूरा कर लेना चाहिए। यूं भी जन्म प्रमाण-पात्र […]
ओ३म् -जन्म दिवस 1 जनवरी पर शुभकामनायें ========= आचार्य चन्द्र शेखर शास्त्री जी का जीवन साहित्य, समाज एवं संस्कृति के प्रति पूर्णतः समर्पित हैं। वेदकथा के साथ श्रीमद्भगवद् गीता, रामायण, उपनिषद् आदि में भी उनकी गहरी पैठ है। अपने इसी गुण के कारण उन्हें देश विदेश में प्रवचनों के लिए आमंत्रित किया जाता है। आचार्य […]
ओ३म् ========== हमारा यह जन्म मनुष्य योनि मे हुआ था और हम अपनी जीवन यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं। हमें पता है कि कालान्तर में हमारी मृत्यु होगी। ऐसा इसलिये कि सृष्टि के आरम्भ से आज तक सृष्टि में यह नियम चल रहा है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु अवश्य ही होती […]
लेखक:- डॉ. मुरली मनोहर जोशी (लेखक पूर्व केद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री हैं) कालगणना की युगपद्धति अथवा कल्पपद्धति हमारे देश के व्यावहारिक जगत् में बहुप्रचलित एवं सर्वमान्य थी। तब प्रश्न यह उठता है कि मानव के पृथ्वी पर प्रादुर्भाव के इतने पूर्व की कालगणना का आधार क्या था? कल्पारंभ से गणना करना अथवा उसका […]
पाकिस्तानी नागरिक बानो बेग़म (साभार: hindustantimes) नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में जगह-जगह बने शाहीन बाग़ों की सच्चाई सामने आने लगी है। चुटकी भर पैसों, बिरयानी और नाश्ते के लालच में दूध पीते बच्चों को कड़क ठंठ में […]
राजीव रंजन प्रसाद धीमा जहर कैसे फैलाया जाता है और मिथक कथाओं के माध्यम से सर्वदा विद्यमान जातिगत खाइयों को किस तरह चौड़ा किया जा सकता है, इसका उदाहरण है इन दिनों महिषासुर पर चलाई जा रही कुछ चर्चाएं। बस्तर में सिपाहियों की शहादत पर दारू छलका कर जश्न मनाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, […]
हम आज ऐसी बातों पर लड़ रहे हेैं जो लड़ाई के मुद्दे हो ही नहीं सकते। वैचारिक लचीलेपन का दावा करने के बावजूद हम हर पचास सौ सालों में पैदा होने वाले पंथों के बीच ऐसी अभेद्य दीवारें खड़ी कर रहे हैें कि हजारों मील दूर विकसित धर्मों और पंथों के साथ संवाद करना […]
सत्य सनातन सर्वहितकारी आएगा जब चैत्र माह। नूतनता सर्वत्र दिखेगी हर्ष का होगा प्रवाह।। तब आप करेंगे अभिनंदन और मैं बोलूंगा नमन नमन। पसरेगी नूतनता कण-कण में मुस्काएंगे नयन नयन।। प्रतीक्षा करो उसकी बंधु अभी शरद यहां डोल रहा। अभी नूतनता का बोध नहीं अभी यहाँ पुरातन बोल रहा।। अभी इच्छा नहीं गले मिलन की […]
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है सूना है प्रकृति का आँगन कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं हर कोई […]