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पर्यावरण समाज

दिल्ली में बढ़ता जा रहा है प्रदूषण भयानक स्तर तक और सरकार पर नहीं पड़ रहा कोई फर्क

  ललित गर्ग दमघोंटू प्रदूषण की चादर में लिपटी हुई है दिल्ली, मगर सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता इन दिनों दिल्ली में तेज हवा की वजह से पारे में तेज गिरावट तो आई और उससे ठंड की तस्वीर और बिगड़ी, मगर उससे हवा के साफ होने की भी गुंजाइश बनी थी। अब एक बार […]

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राजनीति

महाराष्ट्र में सरपंच पद के लिए बोली लगना स्वशासन की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है

  डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा इन संस्थाओं के चुनावों में निष्पक्ष चुनावों की या यों कहें कि निष्पक्ष मतदान की बात की जाए तो उसका कोई मतलब ही नहीं है। साफ हो जाता है कि कुछ ठेकेदार बोली लगाकर सरपंच बनवा देते हैं और आम मतदाता देखता ही रह जाता है। भले ही महाराष्ट्र के […]

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आओ कुछ जाने

आइए जानें : को विन एप के बारे में

  अंकित सिंह कोरोना वैक्सीन के लिए जरूरी है Co-Win ऐप, कराना होगा रजिस्ट्रेशन, यहां जानें सब कुछ तो सबसे पहले आपको बता दें कि को भी Co-Win ऐप है? सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक भारत में कोरोना टीकाकरण की योजना, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए Co-Win ऐप विकसित किया गया […]

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आर्थिकी/व्यापार

पलायन व बेरोजगारी कमेगा ग्रामीण व लघु उद्योगों को बढ़ावा देने से

  अशोक “प्रवृद्ध” झारखण्ड सहित देश के अधिकांश राज्यों में ग्रामीण व लघु उद्योगों के माध्यम से आजीविका संवर्द्धन के अनेकानेक विकल्प होने के बावजूद सरकारी अथवा गैरसरकारी स्तर पर उचित दिशा- निर्देश के साथ प्रशिक्षण केन्द्रों और तकनीकी ज्ञान के अभाव में ग्रामीण व लघु उद्योगों को देश- विदेश में न तो अलग पहचान […]

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आओ कुछ जाने कृषि जगत

वैदिक काल के किसानों में राष्ट्रीयता भरी थी कूट-कूट कर

आज मैं अथर्ववेद और यजुर्वेद पढ़ रहा था, वहाँ भूमि सूक्त और कृषि सूक्त के कुछ मंत्रों पर नजर गई, जिसका विश्लेषण आज के लेख में कर रहा हूँ।… वैदिक काल के किसानों में राष्ट्रीयता कूट-कूट कर भरी हुई थी। पृथ्वी सूक्त के एक मंत्र में किसान कहता है – “यत्ते भूमे विखनामि क्षिप्रं तदपि […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

कम्युनिस्ट न तो कभी देश के थे और ना कभी भविष्य में होंगे

____________________________ मार्क्सवाद के प्रणेता कार्ल माक्र्स की समग्र रचनाओं में “राष्ट्र” नामक इकाई के लिए कोई स्थान नहीं है। मार्क्सवादी तो केवल सर्वहारा को जानता है, जिसे मार्क्स ने “प्रोलेतेरियत” कहकर पुकारा है और जो उसके अनुसार भौतिक द्वंद्ववाद के आधार पर हो रहे ऐतिहासिक विकास-क्रम में पूंजीवाद की अन्तर्निहित कमजोरियों अथवा विरोधाभास के परिणामस्वरूप […]

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आओ कुछ जाने

एनसीईआरटी बिना किसी सबूत के पढ़ा रही है कुतुब मीनार किसने बनवाया?

                               क़ुतुब मीनार को लेकर दायर की गई RTI का NCERT ने दिया जवाब क़ुतुब मीनार परिसर के भीतर प्राचीन काल में कई मंदिरों के अस्तित्व की बात कुछ इतिहासकारों ने भी स्वीकार की है। आपने भी यही पढ़ा और सुना […]

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आज का चिंतन

वैदिक धर्म दुखों से रक्षार्थ सत्य को धारण करने की शिक्षा देता है

ओ३म् ========= मनुष्य का जो ज्ञान होता है वह सत्य व असत्य दो कोटि का होता है। मनुष्य के कर्म भी दो कोटि यथा सत्य व असत्य स्वरूप वाले हाते हैं। अनेक स्थितियों में मनुष्य को सत्य को अपनाने से क्षणिक व सामयिक हानि होती दीखती है और असत्य का आचरण करने से लाभ होता […]

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कविता

बलिदान जिसने हैं दिए ….

जिन आर्यों के धर्म पर हम भारतीयों को नाज है , जिनकी मर्यादा विश्व में कल बेजोड़ थी और आज है । उनको विदेशी मानना इस राष्ट्र का भी अपमान है , जो लोग ऐसा कह रहे समझो वह कोढ़ में खाज हैं।।’ संस्कृति रक्षार्थ बलिदान जिसने हैं दिए , भारत भूमि के लिए प्राण […]

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इतिहास के पन्नों से

जब तैमूर को हराया था मेरठ के वीर योद्धा गुर्जरों व जाटों ने

  डॉ. विवेक आर्य पिछले दिनों करीना कपूर ने जब अपने बेटे का नाम तैमूर रखा तो देश में एक चर्चा चल पडी कि एक विदेशी आक्रांता और निर्मम हत्यारे के नाम पर कोई अपने बेटे का नाम कैसे रख सकता है? इस क्रम में यह बात तो सबने कहा कि तैमूर ने लाखों लोगों […]

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