रामचरितमानस की एक चौपाई है “कोउ नृप होई हमै का हानि…”। कई दूसरी कविता-श्लोक के हिस्सों जैसा ही, इसे भी आधा-चौथाई ही सुनाया जाता है। सन्दर्भ का इस्तेमाल किये बिना जब कविता का इस्तेमाल किया जाए तो उसके काफी नुकसान होते हैं। अक्सर अर्थ का अनर्थ इसी तरीके से साबित किया जाता है। इसे समझना […]
