ज्ञानेंद्र बरतरिया छत्रपति शिवाजी महाराज आज अपने वक्त से ज्यादा प्रासंगिक हैं। छत्रपति शिवाजी ने युद्ध, राजनीति-कूटनीति और सौहार्द की जो नीतियां गढ़ीं, जो परंपराएं स्थापित कीं- उन्हें सोलहवीं सत्रहवीं सदी के भारत में भले जितना समझा गया हो लेकिन उनके विचारों, नीतियों को बीसवीं-इक्कीसवीं सदी तक दुनिया में सबसे ज्यादा अहमियत दी जा […]
Month: December 2020
ओ३म् ========== संसार में अनेक संगठन एवं संस्थायें हैं। इन सबमें आर्यसमाज ही एकमात्र ऐसा संगठन है जो मनुष्य मात्र के हित को ध्यान में रखकर ज्ञान व विज्ञान से पोषित सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार करता है। आर्यसमाज धर्म के नाम पर देश देशान्तर में फैले अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड तथा कुरीतियों का सुधारक […]
पोहा है भारतीय फास्ट फूड
एस बी मूथा चिवड़ा, चूड़ा, चूरा आदि नाम से जाना जाने वाला पोहा सबका प्रिय है। पोहा पेसिंग राइस से बनता है और इसे आयरन का एक बेहतर स्रोत माना गया है। पोहे को और अधिक पौष्टिक बनाने के लिए इसमें नींबू का रस और मौसमी सब्जियां मिलाकर भी बनाया जा सकता है। आजकल […]
तिब्बत : चीखते अक्षर , भाग- 6
युद्ध के दौरान चीनियों के अत्याचार इतने वीभत्स थे कि कई वर्षों तक तिब्बती कम्युनिस्ट नेता और तिब्बती राजनीतिक सलाहकार समिति के महत्त्वपूर्ण उपाध्यक्ष पद पर रहे फुंत्सोक वांग्याल को भी उन अत्याचारों का विरोध करने और तिब्बती स्वतंत्रता आन्दोलन से सहानुभूति प्रदर्शित करने के लिये बन्दी बना लिया गया। ल्हासा में पी एल ए […]
तिब्ब्त : चीखते अक्षर – भाग -5
गत पोस्ट से आगे… बीस वर्षीय युद्ध – चीनी सामान्यत: यह दावा करते हैं कि तिब्बतियों द्वारा उन के विरुद्ध लड़ा गया युद्ध मुख्यत: तिब्बती शासक वर्ग का था जिसे आसानी से 1959 में कुचल दिया गया। अब यह बात असत्य साबित हो गई है। इसके विपरीत वह ल्हासा की तिब्बती सरकार ही थी जो […]
लोकतंत्र को संसार की सर्वोत्तम शासन प्रणाली माना जाता है । हमारा भी मानना है कि लोकतंत्र वास्तव में ही संसार की सुंदरतम शासन प्रणाली है। दुर्भाग्य यह है कि आज का संसार लोकतंत्र की वास्तविक परिभाषा और परिस्थिति को समझ नहीं पाया है । सारे संसार में जहाँ – जहाँ भी लोकतांत्रिक शासन […]
सुबोध कुमार हर वर्ष मानसून का समय निकट आते ही देश में अटकलें लगाया जाना प्रारंभ हो जाता है कि इस वर्ष मानसून कम होगा या सामान्य होगा। हैरानी की ही बात कही जाएगी कि विज्ञान के भरपूर विकास के बाद भी इस मामले में मनुष्य प्रकृति पर ही निर्भर है। हालांकि यदि […]
आर.के.त्रिवेदी विश्व के कल्याण का भाव लेकर ही भारत में धातुकर्म विकसित हुआ था। धातुकर्म के कारण ही भारत में बड़ी संख्या में विभिन्न धातुओं के बर्तन बना करते थे जो पूरी दुनिया में निर्यात किए जाते थे। धातुकर्म विशेषकर लोहे पर भारत में काफी काम हुआ था। उस परम्परा के अवशेष आज […]
ओ३म् ========= अधिकांश लोग ईश्वर की सत्ता को तो मानते हैं परन्तु उन्हें ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा उसके गुण, कर्म व स्वभाव का पर्याप्त ज्ञान नहीं है। ईश्वर के सत्यस्वरूप का ज्ञान वेद और वेदों पर आधारित ऋषियों के ग्रन्थ उपनिषद एवं दर्शन सहित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि ग्रन्थों से भी प्राप्त होता है। वैदिक विद्वानों […]
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार राजेश खन्ना और मुमताज़ अभिनीत चर्चित फिल्म “दुश्मन” का एक गीत “सच्चाई छुप नहीं सकती, कभी बनावट के असूलों से, कि खुश्बू आ नहीं सकती, कभी कागज के फूलों से….” जो हो रहे किसान आंदोलन पर सटीक बैठ रहा है। जितनी जल्दी परतें इस आंदोलन की खुलनी शुरू हो चुकी हैं, उतनी जल्दी CAA विरोध […]