अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, पाकिस्तान व साऊथ अफ्रीका आदि देशों के कुछ नगरों में भारत में हो रहे किसान आंदोलन के नाम पर खालिस्तानियों को जोड़ा जा रहा है। जबकि सिक्खों का बड़ा वर्ग इसके विरोध में फिर भी उनको “खालिस्तान” व “सिक्खी” के नाम पर जुड़ने के लिए दबाव बनाया जाता है। मुख्यतः […]
महीना: दिसम्बर 2020
डॉ. साकेत सहाय इस वर्ष के उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् की दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षाओं में आठ लाख से ज्यादा छात्र अनुत्तीर्ण घोषित किए गए। आँकड़ों के अनुसार, बारहवीं के लगभग 2.70 लाख तथा दसवीं के लगभग 5.28 लाख छात्र हिंदी विषय में उत्तीर्ण अंक प्राप्त करने में असफल रहे। गत वर्ष […]
डॉ. महेश व्यास कोरोना के आज के आपत्काल में पंचकर्म भी एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि पंचकर्म वैसे तो शरीर की पूर्ण शुद्धि करता है और इसके स्वास्थ्यसंबंधी ढेर सारे लाभ हैं, परंतु पंचकर्म को इस तरह के रोगों की चिकित्सा में भी प्रयोग किया जा सकता है। […]
डॉ विजय कुमार सिंघल आँखों का कमजोर होना एक आम शिकायत है। आजकल बहुत छोटे-छोटे बच्चों की आँखों पर भी चश्मा चढ़ा हुआ दिखायी देता है। देर तक टीवी देखना, कम्प्यूटर या मोबाइल पर गेम खेलना और फास्ट फूड खाना इसके प्रमुख कारण हैं। आँखें ठीक करने के लिए आँखों के विशेष व्यायाम दिन […]
सुबोध कुमार वशामेवामृतमाहुर्वशां मृत्युमुपासते। वशेदं सर्वमभवद् देवा मनुष्या असुरा: पितर ऋषय:।। अथर्व 10-10-26 इस मंत्र का अर्थ है – प्रकृति की शक्ति अनश्वर (अमृतमान) है। यह शक्ति प्रकृति को गौ (सब शाकाहारी जीवों) से प्राप्त होती है। उनके (गौ इत्यादि के) नष्ट होने से प्रकृति का भी नष्ट होना अनिवार्य है और प्रकृति मत्र्य […]
मोक्ष सिद्धान्त मोक्ष की अवधि यह सिद्धान्त है कि जिसका आदि होता है, उसका अन्त भी अवश्य होता है और जो अनादि होता है, उसका अन्त कभी नहीं होता । जीव अनादि है, इसलिये उसका अन्त नहीं होता । काल जीव को सत्ता से नहीं मिटा सकता परन्तु काल के अन्तराल से जीव तीन […]
——————- लेखक :- धर्मपाल सिंह, लेखक किसान हैं। उत्तम खेती मध्यम बाण। निषिद्ध चाकरी भीख निदान। यह कहावत बचपन में सुनी थी। उस समय यह समझ नहीं आई थी। आज जब समझ में आई तो लगता है कि समय बहुत निकल चुका है। शेष बचा हुआ समय भी बहुत उपयोगी हो सकता है यदि कहावत […]
नवेन्दु उन्मेष कोलकाता की सड़कों पर भाजपा के लोग अकसर एक फिल्मी गीत गाते हुए मिलते हैं-एक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा, सोने का बंगला, चंदन का जंगला, अति सुंदर प्यारा-प्यारा। वहीं दीदी के कार्यकर्ता गाते हैं कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है। अब मुसीबत यह है कि एक दल के […]
जैसाकि अब जगजाहिर हो चूका है कि किसान आंदोलन के नाम पर ये जमावड़ा उन आढ़तियों का है, जो अब तक किसानों का शोषण कर रहे थे, लेकिन ये लोग जिन लोगों के हाथ खेल रहे हैं, वह आंदोलन शुरू पर ही सामने आ गया। फिर जिन पार्टियों कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्टों […]
12 दिसम्बर/बलिदान-दिवस 1857 के स्वाधीनता समर में भारतीयों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली; फिर भी संघर्ष लगातार जारी रहा। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र यद्यपि शिक्षा और आर्थिक स्थिति में दुर्बल था, फिर भी वहाँ के वीरों ने इस संघर्ष की अग्नि को धीमा नहीं पड़ने दिया। अंग्रेज मेघालय स्थित गारो पहाड़ को अपने कब्जे […]