ओ३म् ============= संसार में अनेक मत व सम्प्रदाय हैं जो ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करते हैं परन्तु सब मतों की ईश्वर विषयक मान्यतायें, जो कि परस्पर समान होनी चाहियें, नहीं हैं। एक वस्तु व द्रव्य परस्पर भिन्न गुणों व स्वरूप वाला कदापि नहीं हो सकता। अतः मत-मतान्तरों की मान्यताओं में कहीं न कहीं न्यूनतायें […]
