ललित गर्ग राज्यसभा में विपक्ष द्वारा कृषि विधेयकों के विरोध प्रकट करने का असंसदीय एवं आक्रामक तरीका, सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तकरार, आठ सांसदों का निलंबन और इन स्थितियों से उत्पन्न संसदीय गतिरोध लोकतंत्र की गरिमा को धुंधलाने वाले हंै। अपने विरोध को विराट बनाने के लिये सार्थक बहस की बजाय शोर-शराबा और नारेबाजी […]
महीना: सितम्बर 2020
कभी खबर आती है कि मुगलों के वंशज इस समय बांग्लादेश में लिखता चला रहे हैं तो कभी अखबारों में फोटो छप जाता है एक तथाकथित मुगल शहजादे प्रिंस तूसी का जो अपने आपको मुगलों का उत्तराधिकारी बताते हैं । प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी खुद को मुगलों का वंशज बताते हैं। ताजमहल को अपनी संपत्ति […]
डच वर्तमान नीदरलैंड (यूरोप) के निवासी हैं. भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से इन लोगों ने 1605 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी बनायीं और ये लोग केरल के मालाबार तट पर आ गए. ये लोग मसाले, काली मिर्च, शक्कर आदि का व्यापार करते थे. धीरे धीरे इन लोगों ने श्रीलंका, केरल, कोरमंडल, बंगाल, बर्मा […]
ओ३म् ============ मनुष्य को परमात्मा ने बुद्धि दी है जिससे वह ज्ञान को प्राप्त होता है तथा सत्यासत्य का निर्णय करता है। मनुष्य को ज्ञान को प्राप्त करने जैसी बुद्धि प्राप्त है वैसी अन्य प्राणियों को नहीं है। अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य की विशेषता अपनी बुद्धि के कारण ही होती है। जो मनुष्य […]
अंकित सिंह दिनकर जी का बचपन गांव में ही बीता। बचपन में ही दिनकर के पिता जी का देहावसान हो गया जिसके बाद उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से हासिल करने के बाद उन्होंने बगल के गांव से मिडिल स्कूल में पढ़ाई की। […]
रामेश्वर प्रसाद मिश्र (लेखक प्रसिद्ध विचारक हैं।) जब भी हम हिंदू समाज और उसकी दशा पर चर्चा करते हैं, तो हम इंग्लैंड में हिंदुओं की दशा, अमेरिका में हिंदुओं की दशा, मुस्लिम राज्य में हिंदुओं की दशा पर चर्चा नहीं कर सकते। ठीक इसी प्रकार 1947 के बाद भारत में जो हो रहा है, उसका […]
गांधीजी और भगत सिंह की फांसी देश में कुछ लोग हैं जिनको गांधी की आलोचना पचाये नहीं पचती । ऐसे सज्जनों की जानकारी के लिए :बीबीसी’ की ओर से जारी की गई एक समीक्षा को हम यहां प्रेषित कर रहे हैं । जिसमें ‘बीबीसी’ ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांधीजी ने […]
जब मुगलों ने पूरे भारत को एक किया तो इस देश का नाम कोई इस्लामिक नहीं बल्कि “हिन्दुस्तान” रखा , हाँलाकि इस्लामिक नाम भी रख सकते थे ! कौन विरोध करता ? जिनको इलाहाबाद और फैजाबाद चुभता है वह समझ लें कि मुगलों के ही दौर में “रामपुर” बना रहा तो “सीतापुर” भी बना रहा! […]
“चीर करके बादलों के व्यूह को, भानु मुस्काता हुआ फिर आ रहा। हाथ में लेकर कलम – दावात को, अवध जग का दर्द निर्भय गा रहा।।” साहित्य के व्यापक सिंधु में भावनाओं के विशुद्ध गंगाजल से अंजलि भर-भर हमारे कुल का एक कलमकार लेखनी से आचमन कर रहा है। उसे विश्वास है कि इस बार […]
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार भारत में नागरिकता संशोधक कानून कई वर्षों से तुष्टिकरण पुजारियों ने ठंठे बस्ते में डाला हुआ था, क्योकि उन्हें मुस्लिम वोट के खिसकने का डर सता रहा था। तुष्टिकरण पुजारी जानते थे कि इस कानून के बनने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और रोहिंग्या मुसलमानों को बाहर निकालने का मतलब है अपने वोट […]