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इतिहास के पन्नों से

ईसाई षडयंत्रों के अध्येता कृष्ण राव सप्रे

……………………….. 4 सितम्बर/जन्म-दिवस पर विशेष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना से कई प्रचारक शाखा कार्य के अतिरिक्त समाज जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम करते हैं। ऐसा ही एक क्षेत्र वनवासियों का भी है। ईसाई मिशनरियां उन्हें आदिवासी कहकर शेष हिन्दू समाज से अलग कर देती हैं। उनके षड्यन्त्रों से कई क्षेत्रों में अलगाववादी […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय मनीषियों का राजनीति पर चिंतन – परित्राणाय साधुनाम, विनाशाय च दुष्कृताम्

रवि शंकर राजनीति का सामान्य अर्थ है राज करने की नीति। राज करना यानी लोगों पर शासन करना नहीं होता। राज करने का अर्थ है लोगों को अभय यानी सुरक्षा प्रदान करना। प्रश्न उठता है कि किन लोगों को सुरक्षा प्रदान करना? एक प्रसिद्ध हिंदी फिल्म गब्बर इज बैक में प्रशासन भ्रष्टाचारी अधिकारियों को गब्बर […]

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समाज

स्त्रियों के प्रति अपराध अगर कम करने हैं तो वैदिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए

विकास पराशर आधुनिकता और शहरीकरण के नाम पर समाज में एक सोची समझी नीति के तहत हिंदुओं में पूजनीय स्त्री के प्रति निकृष्ट नजरिया सिनेमा जगत व अन्य संचार माध्यमों के द्वारा पैदा कर दिया गया है। इस सामाजिक पतन में संस्काररहित अधूरी शिक्षा नीति का योगदान है। इस शिक्षा से लोगों में भोगवादी नजरिया […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति से  ओतप्रोत परिवार, हमें त्याग सिखाता है

डॉ. कृष्णचंद्र पांडेय कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यूं तो सृष्टि के प्रत्येक प्राणी का अपना समाज होता है। परन्तु प्रत्येक प्राणी अपने सामाजिक धर्म के बन्धन से बंधा हो, यह आवश्यक नही है। परन्तु मनुष्य के साथ यह शर्त है कि वह धर्म से संचालित हो। आहार निद्रा भय मैथुन […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत में ज्योतिष के विद्वानों की लम्बी परम्परा में वराहमिहिर का स्थान आकाश में उदित होने वाले ज्योतिष्मान् नक्षत्र की भांति

सुद्युम्न आचार्य वराहमिहिर ने पृथ्वी सहित ग्रहों का सही परिभ्रमण काल की सटीक गणना प्रस्तुत की है। इस देश में प्राचीन काल से ज्योतिष के विद्वानों का अत्यधिक सम्मान रहा है। वेद की एक सूक्ति में कहा है- प्रज्ञानाय नक्षत्रदर्शम् (यजुर्वेद 30.10) अर्थात् सबसे बढिय़ा विज्ञान, सबसे अच्छी प्रतिभा प्राप्त करनी हो तो ‘नक्षत्रदर्श’ के […]

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समाज

आपका स्वागत (नहीं) है

सामाजिक व्यवस्था पर एक करारा व्यंग *************** – _राजेश बैरागी-_ किसी भी कार्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार स्वागत पटल से बाधित होता है। अच्छे खासे सूटेड-बूटेड आदमी से स्वागत पटल पर जैसी पूछताछ होती है वैसी शायद सीबीआई भी नहीं करती। स्वागत करने वाली बाला या बाल आपसे तनिक भी प्रभावित नहीं होते। उन्हें अंदर […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा (है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय – 17 (क) बाबा औघड़नाथ अर्थात महर्षि दयानंद और 18 57 की क्रांति

1857 का ‘अंग्रेजो ! भारत छोड़ो आन्दोलन’ सर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने सन 1853 की संसदीय समिति के सामने ‘भारत की अलग-अलग शिक्षा प्रणालियों के अलग-अलग राजनीतिक परिणाम’ – शीर्षक से एक लेख लिखकर प्रस्तुत किया था । इस लेख में उसने लिखा था कि :- “भारतीय राष्ट्र के विचारों को दूसरी ओर मोड़ने का केवल […]

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आज का चिंतन

केवल सांसारिक भोगों में ही जीवन का सच्चा सुख नहीं है

*केवल सांसारिक भोगों में ही जीवन का सर्वोच्च सुख नहीं है। वह तो आत्मा परमात्मा को जानने पर ही मिलता है।* संसार में लाखों योनियाँ हैं, जिनमें से केवल एक ही मनुष्य योनि विशेष सुविधाओं से युक्त है। शेष पशु पक्षी आदि योनियाँ तो प्रायः भोग योनियाँ हैं। उनमें कोई विशेष बुद्धि हाथ पैर कर्म […]

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पर्यावरण

पर्यावरण संरक्षण हेतु अनुपम बलिदान

5 सितम्बर/इतिहास-स्मृति प्रतिवर्ष पांच जून को हम ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाते हैं; लेकिन यह दिन हमारे मन में सच्ची प्रेरणा नहीं जगा पाता। क्योंकि इसके साथ इतिहास की कोई प्रेरक घटना के नहीं जुड़ी। इस दिन कुछ जुलूस, धरने, प्रदर्शन, भाषण तो होते हैं; पर उससे सामान्य लोगों के मन पर कोई असर नहीं होता। […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भीलों के देवता मामा बालेश्वर दयाल : जयंती के अवसर पर विशेष

5 सितम्बर/जन्म-दिवस भारत एक विशाल देश है। यहाँ सब ओर विविधता दिखाई देती है। शहर से लेकर गाँव, पर्वत, वन और गुफाओं तक में लोग निवास करते हैं। मध्य प्रदेश और गुजरात की सीमा पर बड़ी संख्या में भील जनजाति के लोग बसे हैं। श्री बालेश्वर दयाल (मामा) ने अपने सेवा एवं समर्पण से महाराणा […]

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