दुनिया में सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी भाषा अपने ही घर में विमाता बनाई गई है। गणतन्त्र भारत के सत्तर साल होने के बावजूद भी हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा का छोटा सा सफर भी तय न करने दिया गया। दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में राजनीतिक उथल पुथल मचाकर हर बार माँग को […]
Month: September 2020
श्रद्धानन्द जी की हत्या और गांधीजी 23 दिसम्बर 1926 को स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज को एक धर्मांध मुसलमान ने गोली मार दी थी । तब गांधी जी ने स्वामी श्रद्धानंद जी के हत्यारे के प्रति भी भाई जैसे सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया था। गांधीजी ने अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण की मानसिकता का परिचय देते हुए […]
लेखक- स्वामी ओमानन्द सरस्वती (आचार्य भगवान् देव) प्रस्तोता- अमित सिवाहा दिल्ली के चारों ओर डेढ़ सौ – डेढ़ सौ मील की दूरी तक का प्रदेश हरयाणा प्रान्त कहलाता है । सारे प्रान्त में जाट, अहीर, गूजर, राजपूत आदि योद्धा (जुझारू) जातियां बसती हैं । इसीलिये हरयाणा ने इस युद्ध में सब प्रान्तों से बढ़-चढ़कर भाग […]
जब सारा देश राम मंदिर निर्माण की बाट जोह रहा है और करोड़ों श्रद्धालु इस बात की प्रतीक्षा में हैं कि कब राम जी का मंदिर बनकर पूरा हो और उन्हें कभी यहां पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हो , तब कुछ ऐसे गिरे हुए लोग भी हैं जो इस पवित्र स्थल पर हो रहे […]
महान कवियत्री महादेवी वर्मा का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब साहित्य सष्जन के क्षेत्र में पुरुष वर्ग का वर्चस्व था; पर महादेवी ने केवल साहित्य ही नहीं, तो सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में अपनी सषक्त उपस्थिति से समस्त नारी वर्ग का मस्तक गर्व से उन्नत किया। उन्होंने काव्य, समालोचना, संस्मरण, सम्पादन तथा निबन्ध लेखन […]
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद निर्धन भूमिहीनों को भूमि दिलाने के लिए हुए ‘भूदान यज्ञ’ के प्रणेता विनायक नरहरि (विनोबा) भावे का जन्म 11 सितम्बर, 1895 को महाराष्ट्र के कोलाबा जिले के गागोदा ग्राम में हुआ था। इनके पिता श्री नरहरि पन्त तथा माता श्रीमती रघुमाई थीं। विनायक बहुत ही विलक्षण बालक था। वह एक बार […]
ओ३म् =========== हम मनुष्य शरीरधारी होने के कारण मनुष्य कहलाते हैं। हमारे भीतर जो जीवात्मा है वह सब प्राणियों में एक समान है। प्राणियों में भेद जीवात्माओं के पूर्वजन्मों के कर्मों के भेद के कारण होता है। हमें जो जन्म मिलता है वह हमारे पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर परमात्मा से मिलता है। यदि […]
स्व हरवंशलाल ओबेरॉय (अनेक प्राच्य भारतीय विद्याओं के अधिकृत जानकार, अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान) रूस आर्यों की पश्चिम यात्रा का यूरोप में प्रथम पड़ाव है। मनु के जल प्लावन के समय जब भारत, अरब ईरान का अधिकांश भाग, मध्यपूर्व के देश आदि जलमग्न हो गए थे तब आर्यों की पश्चिमोन्मुखी शाखा को, जहाँ काकेशस पर्वत की […]
श्रीकृष्ण ”जुगनू” शिल्प का एक वातायन स्तंभों की ओर भी खुलता है। अच्छे-अच्छे स्तंभ यानी खंभे। लकड़ी से लेकर पाषाण तक के खंभे। वेदों से लेकर पुराणों और शिल्पशास्त्रों तक में जिक्र-दर-जिक्र। शासकों ने यदि विजय के दिग्घोष के रूप में करवाए तो आराधकों ने देवताओं के यशवर्धन के उद्देश्य से स्तंभों का निर्माण करवाया। […]
डॉ. अजय खेमरिया वकील प्रशांत भूषण के ताजा अवमानना प्रकरण को बड़े व्यापक संदर्भ में समझने की आवश्यकता है। यह प्रकरण महज एक अवमानना भर का नहीं है बल्कि वामपंथ एवं कांग्रेस विचारधारा का विषैला और भारत विरोधी चेहरा भी उजागर करता है। संवैधानिक संस्थाएं और लोकतंत्र 2014 से पहले कभी खतरे में क्यों नहीं […]