चुनरी अंतःकरण की,धोय सके तो धोय चुनरी अंतःकरण की, धोय सके तो धोय। दिव्यलोक – नौका मिली, मत वृथा इसे खोय॥ 1261॥ व्याख्या:- हे मनुष्य! वस्त्रों में लगे दागों की तो तू चिंता करता है और उन्हें येन केन प्रकारेण साफ भी कर लेता है किन्तु तेरी नादानीयों के कारण यह मनुष्य- जीवन व्यर्थ जा […]
महीना: सितम्बर 2020
फोटो प्रतीकात्मक ऐसा लगता है कि तेलंगाना की सरकार शरिया कानून के हिसाब से कंगारू अदालतों के गठन का मन बना रही है। इसके लिए वक़्फ़ बोर्ड को ज्यूडिशियल पावर देने की तैयारी चल रही है। यह खुलासा ‘तेलंगाना टुडे’ की रिपोर्ट से हुआ है। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कोप्पुला ईश्वर ने कहा कि […]
श्याम सुंदर भाटिया बेल्जियम में जन्मे फादर कामिल बुल्के की जीवनभर कर्मभूमि हिंदुस्तान की माटी रही। हिंदी के पुजारी बुल्के मृत्युपर्यंत हिंदी, तुलसीदास और वाल्मीकि के अनन्य भक्त रहे। ‘कामिल’ शब्द के दो अर्थ हैं। एक- वेदी-सेवक जबकि दूसरा अर्थ है- एक पुष्प का नाम। फ़ादर कामिल बुल्के ने दोनों ही अर्थों को जीवन में […]
ओ३म् ============ ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना किसी नवीन मत-मतान्तर के प्रचार अथवा प्राचीन वैदिक धर्म के उद्धार के लिये ही नहीं की थी अपितु उन्होंने वेदों का जो पुनरुद्धार व प्रचार किया उसका उद्देश्य विश्व का कल्याण करना था। यह तथ्य उनके सम्पूर्ण जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालने व मूल्याकंन करने पर […]
डॉ अवधेश कुमार अवध भारत की व्यावसायिक/व्यापारिक राजधानी मुम्बई यूँ तो हमेशा से ही खास रही है। आजकल उद्धव- संजय की नादानियों ने और कंगना की विरुदावलि ने तापमान कुछ ज्यादा ही बढ़ा दिया है। देश की तथाकथित बुद्धिजीवी जनता भी दो खेमों में एक-दूसरे पर गुर्राती नजर आ रही है। केन्द्र में बैठी भाजपा […]
कृष्ण गोपाल आज जब हम देश की स्थिति को देखते हैं, तो बहुत सी ऐसी चीजें दिखती हैं जिससे लगता है कि देश में बहुत से अच्छे परिवर्तन हुए हैं। उदाहरण के लिए देखा जाए तो देश की साक्षरता में तेजी से सुधार आया है, आजादी के समय देश की साक्षरता बहुत कम थी। हालांकि […]
सुबोध कुमार (लेखक गौ एवं वेद विशेषज्ञ हैं।) गावो विश्वस्य मातर:। भारतीय परम्परा में गौ को विश्व की माता का स्थान दिया गया है। ऋग्वेद 6.48.13 के अनुसार गौ प्रत्यक्ष में तो केवल दूध देती है, परन्तु परोक्ष में विश्व को जैविक कृषि के द्वारा भोजन भी देती है। अथर्ववेद 10.5.4 के अनुसार ओजस्वी राजा, […]
ललित गर्ग प्रारंभिक दौर में सरकार एवं शासकों ने जिस तरह की सक्रियता, कोरोना पर विजय पाने का संकल्प एवं अपेक्षित प्रयत्नों का कर्म एवं मनोवैज्ञानिक प्रभाव देखने को मिला, अब वैसा वातावरण न बनना लोगों को अधिक निराश कर रहा है। कोरोना महामारी के प्रकोप से निपटने की चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं हर […]
डॉ. शंकर सुवन सिंह सुशांत सिंह राजपूत केस का कमजोर होना मुंबई पुलिस की दबंगई का परिणाम है। किसी भी राज्य में शासक दबंगई के बल पर शासन करने लगे तो समझ लेना चाहिए की वंहा गुंडाराज है। गुंडाराज किसी भी राज्य के लिए उपलब्धि नहीं है। हिंसा के जरिये जोर जुल्म से बात मनवाना […]
अंग्रेज चाहते थे देश को कई टुकड़ों में बांटना भारत के इतिहास का यह एक विडम्बना पूर्ण तथ्य है कि जिस स्वतन्त्रता की लड़ाई को यह देश 1235 वर्ष तक ‘वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति’ – के आधार पर लड़ता रहा , उसी स्वतन्त्रता के मिलने का जब समय आया तो स्वतन्त्रता के आन्दोलन पर […]