विनोद कुमार सर्वोदय सुदर्शन न्यूज चैनल के प्रधान श्री सुरेश चौहान के. जी की साहसिक पत्रकारिता का अद्भूत पराक्रम वर्षों से देशभक्तों को प्रेरित कर रहा हैं। जबकि देश विरोधी शक्तियां इनकी सच्ची अभिव्यक्ति पर प्रहार करने से कभी भी नहीं चूकती। इनके “बिंदास बोल” कार्यक्रम में वर्षों से राष्ट्र हित के विषयों को प्रमुखता […]
महीना: सितम्बर 2020
_____________________________ सनातन वैदिक संस्कृति का इतिहास नदियों के इतिहास वर्णन के बगैर अधूरा है| नदियों का विकास ही भारत का विकास है जब नदियां सदानीरा समृद्ध गंदगी अतिक्रमण से मुक्त थी तभी भारत समृद्ध था| रामायण महाभारत जैसे ऐतिहासिक महाकाव्य नैतिक शिक्षाप्रद ग्रंथों में सैकड़ों नदियों का नाम सहित अनेक प्रसंगों में उल्लेख आता है| […]
ओ३म् ========== मनुष्य को जीवन में अनेक कार्य करने होते हैं। उसे अपने निजी, पारिवारिक व सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति के लिये समय देना पड़ता है। धनोपार्जन भी एक गृहस्थी मनुष्य का आवश्यक कर्तव्य है। इन सब कार्यों को करते हुए मनुष्य को अवकाश कम ही मिलता है। अतः सभी कामों को समय विभाग के […]
प्रो. कुसुमलता केडिया (लेखिका प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं।) भारत की हजारों वर्षों की जिस संपन्नता की बात की जाती है, वह मुख्यतया किसानों, शिल्पियों और व्यापारियों पर टिकी थी। राजकोष में आने वाले धन का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों से प्राप्त होता था। मनुस्मृति, विष्णु धर्मसूत्र, गौतम धर्मसूत्र आदि में स्पष्ट व्यवस्था है कि सामान्यतया राज्य, […]
रामेश्वर प्रसाद मिश्र (लेखक गांधी विद्या संस्था, बनारस के निदेशक हैं।) यदि हम विश्व के सभी समाजों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि हिंदू समाज दुनिया का सबसे अधिक समरस, संगठित और सभ्य समाज है। परंतु दुर्भाग्यवश आज इसे सर्वाधिक भेदभावपूर्ण, बिखरा हुआ और संकीर्ण समाज के रूप में चित्रित किया जाता है। ये करने […]
डॉ. विवेक भटनागर कहा जाता है कि पुष्यमित्र शुंग के काल में ब्राह्मण और दलित जैसा विभाजन था, जबकि यह विभाजन मुसलमानों और अंग्रेजों की देन है। उन्होंने अपने समय में जो हमारी पुस्तकों से खिलवाड़ किया और हमारे समाज की वर्ण व्यवस्था को समझ नहीं सके। मुसलमानों को शेख सैयद, मुगल व पठान जैसे […]
डॉ. आनन्द वर्धन (लेखक म्यूजियम एसोशिएशन ऑफ इंडिया के सचिव हैं।) दुनिया की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों में धार्मिक प्रतीकों का व्यापक प्रयोग किया गया है। परंतु हमारे मंदिर केवल प्रतीक होने तक सीमित नहीं हैं। यदि हम वेदों की ऋषि-प्रज्ञा को मंदिर स्थापत्य की परंपरा से जोड़कर देखें तो उसमें उस समस्त वैज्ञानिकता का […]
1885 में कॉन्ग्रेस का जन्म हिन्दू विरोध और राष्ट्रविरोध की भावना से प्रेरित होकर किया गया था। ए0ओ0 ह्यूम नाम के एक अंग्रेज ईसाई द्वारा जब इस संगठन की स्थापना की गई थी तो इसने प्रारम्भ से ही हिन्दू विरोधी और राष्ट्रविरोधी नीति का अनुसरण किया । दुर्भाग्य से यही दोनों अवगुण इसके कुसंस्कार बन […]
केरल में 41 वर्षीय महिला CPI-M कैडर ने पार्टी कार्यालय के अंदर फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृत माकपा कार्यकर्ता का नाम आशा बताया जा रहा है। पुलिस ने मौके पर से आशा द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट बरामद किया है। इसमें आशा ने दो सीपीआई (एम) सदस्यों पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का […]
15 सितम्बर/जन्म-दिवस इतिहास और पुरातत्व के शीर्षस्थ विद्वान डा. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा की गिनती प्रमुख इतिहासकारों में होती है। जिन दिनों सब ओर भारतीय इतिहास को अंग्रेजी चश्मे से ही देखने का प्रचलन था, उन दिनों उन्होंने अपने शोध के बल पर राजस्थान का सही इतिहास विश्व के सम्मुख प्रस्तुत किया। गौरीशंकर जी का जन्म […]