आज समय नहीं सोने का है , आज समय नहीं खोने का है, युग के प्रहरी जाग कि मंजिल तेरी पास है। शूल सुसज्जित डोली पर विजय की चढ़ी बारात है। उपनिषद कहते हैं- चरैवेति, चरैवेति अर्थात् चलते रहो। चलते रहने का नाम जीवन है। हर स्थिति और परिस्थिति में आगे ही आगे बढ़ते चलने […]
