भावों के पंच गुण सर्वमान्य हैं ।पहला सरलता ,दूसरा समरसता, तीसरा मधुरता, चौथा कोमलता, पांचवां विशुद्धता। जो साधक होते हैं वह बिना ध्वनि के संगीत सुनना पसंद करते हैं ।जिसका तात्पर्य होता है कि वे ऐसा संगीत सुनना पसंद करते हैं जिसमें कोई स्वर न हो अर्थात वे अनहद का संगीत सुनते हैं। ऐसे भक्तों […]
श्रेय , प्रेय , धर्म और संस्कृति
