ललित गर्ग कोरोना कहर के बीच हर व्यक्ति स्वयं को दूषित और दमघोंटू वातावरण में टूटा-टूटा सा अनुभव कर रहा है। उसकी धमनियों में निराशा के विचारों, भय एवं आशंकाओं का रक्त संचरित हो रहा है। कोशिकाएँ अनिश्चितता एवं अनहोनी के धुएँ से जल रही हैं। कोरोना महामारी के बाद जीवनशैली में व्यापक बदलाव होंगे। […]
