1857 की क्रांति के महानायक धनसिंह कोतवाल शोध मेरठ ।( विशेष संवाददाता ) यहां पर 1857 के क्रांति नायक शहीद धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा “किसानों के मसीहा , कृषक सचेतक , चौधरी चरण सिंह एवं कृषक आंदोलन के प्रणेता धरती पुत्र श्री विजय सिंह पथिक” की पुण्यतिथि के अवसर पर एक उपनिषद ( […]
Month: May 2020
पुण्यतिथि 29 मई पर विशेष डॉ. राकेश राणा चौधरी चरण सिंह जानते थे कि इस देश की समृद्धि का रास्ता गांव और खेत-खलिहानों से ही निकलेगा। इसलिए जीवन भर यही कोशिश रही कि कैसे किसानों के जीवन को खुशहाल और बेहतर बनाया जाए क्योंकि इसके बिना भारत का विकास संभव नहीं। चौधरी चरण सिंह को […]
हमारे देश का झारखंड एक ऐसा प्रांत है जिसमें अपार संभावनाएं छिपी हुई हैं । झारखंड का जन्म भी इसी आशा और अपेक्षा से हुआ था कि यहां के लोग अलग राज्य बनने के बाद अपना सुनियोजित विकास होते हुए देख पाएंगे । यह अलग बात है कि राजनीति के पचड़े , लफड़े और झगड़े […]
29 मई/बलिदान-दिवस 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों ने भारत को स्वतन्त्र कर दिया; पर इसके साथ ही वे यहाँ की सभी रियासतों, राजे-रजवाड़ों को यह स्वतन्त्रता भी दे गये, कि वे अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में जा सकती हैं। देश की सभी रियासतें भारत में मिल गयीं; पर जूनागढ़ और भाग्यनगर (हैदराबाद) टेढ़ी-तिरछी हो […]
भारत में बोले जाते हैं यह 2 सबसे बड़े झूठ
भारत मे 2 झूठ बोले जाते हैं :– 1 कानून सबके लिए समान है। 2 शासन की दृष्टि मे सभी धर्म समान हैं। पालघर मे साधुओं की नृशंस हत्या पर न्यायालय मौन है पर उत्तरप्रदेश मे दंगाइयों को बचाते समय जज साहब को कानून याद आ जाता है। एक खबर मे आंशिक गलती पर opindia […]
1962 से 1967 वाला हठधर्मी चीन भारत के प्रति 1998 मे सुधरा था और इसे सुधारा था पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने, जो कि भारत चीन संबन्धो के सच्चे वास्तुकार कहे जाते हैं। वर्तमान मे भारत चीन सम्बंध मे जो भी सत्व है वह 1998 के परमाणु विस्फोट से लेकर 2003 तक के अटलबिहारी […]
यह अंग्रेजों की लगाई हुई आग है
अंग्रेज भारत आए उनकी नजर भारत के मैदानी पर्वतीय संसाधनों पर पड़ी… 200 वर्ष लूट लूट कर देश को चले गए साथ में खतरनाक सौगात अंधानुकरण करने वाले आजाद भारत के हमारे सरकारी विभागों को दे गए…! ऐसा ही एक विभाग है वन विभाग |अभी कुछ दिन पहले वैश्विक स्तर पर अमेजन के वर्षा वनों […]
संसार में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। जो मनुष्य जिस मत व सम्प्रदाय का अनुयायी होता है वह अपने मत, सम्प्रदाय व उसके आद्य आचार्य के जीवन की प्रेरणा से अपने जीवन को बनाता व उनके अनुसार व्यवहार करता है। महर्षि दयानन्द सभी मत व सम्प्रदायों के आचार्यों से सर्वथा भिन्न थे और उनकी शिक्षायें भी […]
विद्या और मानव समाज
परमेश्वर ने मनुष्य को जीवन को श्रेष्ठ कर्म करते हुए मुक्ति को प्राप्त करने का सुअवसर देने के लिये साधनरूप में देह को प्राप्त कराया है। मनुष्य विवेक प्राप्त कर मैं कौन हूं ? मेरा लक्ष्य क्या है ? आदि प्रश्नों के समाधान प्राप्त करता है। परमात्मा ने मनुष्य को सद्कर्मों से स्वयं आनन्द भोगने […]
सावरकर जी पर कविता : हिमालय सा अटल रहे
आजादी जंग के स्तंभ बम कांड लंदन का प्रथम जंग । आजादी के दीवाने बलिदानी हारे नहीं पापियों से जंग में ।। अत्याचार का पहाड़ टूटा धैर्य की बांध नहीं टूटी आप अपने संकल्प पर हिमालय सा अटल रहे ।। आपके बलिदान संघर्ष का इतिहास दुनिया में नहीं , लाखों वर्ष आपको नमन करेंगे […]