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विविधा

जनप्रतिनिधियों पर नही, ब्यूरोक्रेसी पर भरोस – योगी आदित्यनाथ

जनप्रतिनिधियों पर नही, ब्यूरोक्रेसी पर भरोसा – योगी आदित्यनाथ अजय कुमार योगी को टीम-11 की बजाए पूरी की पूरी ब्यूरोक्रेसी और अधिकारियों/कर्मचारियों का विश्वास जीत कर आगे बढ़ना चाहिए था। यहां सपा सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव का जिक्र जरूरी है, जिन्होंने भी योगी की टीम-11 को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उत्तर […]

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उगता भारत न्यूज़

भारत यूं ही नहीं बता रहा है POK का मौसम, मास्टरमाइंड अजित डोवाल का ये है गेम प्लान

नई दिल्ली। सरकारी प्रसारक दूरदर्शन (डीडी) और आकाशवाणी ने शुक्रवार से अपने प्राइट टाइम न्यूज बुलेटिन में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित के मौसम की खबरें प्रसारित करना शुरू कर दिया है। डीडी और आकाशवाणी पर मौसम संबंधी खबरों में पीओके के मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित की खबरें शामिल […]

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आज का चिंतन

प्रवासी मजदूरों के पलायन से देश के विकास मॉडल पर उठे बड़े सवाल

प्रह्लाद सबनानी उद्योग धंधे सामान्यतः उन इलाक़ों में अधिक स्थापित किए गए जहाँ कच्चा माल उपलब्ध था अथवा उन इलाक़ों में जहाँ उत्पाद का बाज़ार उपलब्ध था। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु आदि प्रदेशों में इन्हीं कारणों के चलते अधिक मात्रा में उद्योग पनपे हैं। देश में पलायन की समस्या इतनी विकराल तब दिखी जब कोरोना वायरस […]

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राजनीति

हर राष्ट्रभक्त का सपना है कि भारत 1857 के जैसा अखंड बने

“महात्मा गांधी जी की हिंदू-मुस्लिम एकता की विधि दूषित थी और उक्त लक्ष्य के विरुद्ध बैठी थी । उसका परिणाम 1946 – 47 के प्रचंड हत्याकांडों में प्रकट हुआ और अंत में देश – विभाजन हुआ , जिसके दु:खद परिणाम होने की संभावना तब तक बनी रहेगी , जब तक यह विभाजन स्थिर रहेगा।” —- […]

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भारतीय संस्कृति

बाहर के किवाड़ लगाकर भीतर के खोल दो

सुख ऊपर हमने स्पष्ट किया कि सुख और दुख दोनों इंद्रियों के विषय हैं। इंद्रियों को जो अच्छा लगे वह सुख है और जो बुरा लगे वह दुख है । इंद्रिया जिन विषयों में सुख खोजती हैं वह अंततः हमारे शरीर और आत्मा का पतन करते हैं । जिससे शरीर रुग्ण होकर मृत्यु को प्राप्त […]

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भारतीय संस्कृति

अधिकार से पहले कर्तव्य, अध्याय – 2 , संतान के प्रति माता पिता के कर्तव्य

आजकल जिसे हम कर्तव्य के नाम से जानते हैं प्राचीन काल में वही हमारे देश में विधि थी । उस समय विधि का पालन करना सबके लिए वैसे ही अनिवार्य था जैसे आज कानून का पालन करना अनिवार्य है । विधि विधेयात्मक होती है । जबकि कानून निषेधात्मक होता है । इन दोनों में मौलिक […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

जातिवाद की राजनीति बढ़ा रही है समाज में जातीय संघर्ष

पंडित रावेन्द्र तिवारी , अध्यक्ष,समानता परिषद देश की आजादी के साथ देश की सभ्यता और संस्कृति भी बदल गई । एक तरफ जहाँ आरक्षित सीटों पर भी चुनाव लड़ने वाले दलित व पिछड़ा वर्ग के नेताओं को कभी इस बात की चिंता नहीं होती है कि सवर्ण समाज वोट देगा अथवा नहीं देगा इन विंदुओं […]

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इतिहास के पन्नों से

महाभारत में रचे गए चक्रव्यूह का रहस्य

विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध। इतिहास में इतना भयंकर युद्ध केवल एक बार ही घटित हुआ था। अनुमान है कि महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में परमाणू हथियारों का उपयॊग भी किया गया था। ‘चक्र’ यानी ‘पहिया’ और ‘व्यूह’ यानी ‘गठन’। पहिए के जैसे घूमता हुआ व्यूह है चक्रव्यूह। कुरुक्षेत्र युद्ध […]

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आर्थिकी/व्यापार

आर्थिक प्रगति आँकने के पैमाने में नागरिकों की प्रसन्नता को भी आँकना चाहिए

आज विश्व के कई विकसित देशों में मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसा संभवत: इन देशों द्वारा आर्थिक प्रगति हेतु अपनाए गये पूँजीवादी मॉडल के कारण हो रहा है। हर व्यक्ति को केवल अपनी चिंता है और केवल “कमाने वाला खाएगा” के सिद्धांत पर ही इन देशों की […]

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कविता

सोच सको तो सोचो

गिलगित बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ। वरना जबरन ले लेंगे मत रोओ मत चिल्लाओ।। खून सने कातिल कुत्तों से जनता नहीं डरेगी। दे दो वरना तेरी छाती पर ये पाँव धरेगी।। तेरी मेरी जनता कहने की ना कर नादानी। याद करो आका जिन्ना की बातें पुन: पुरानी।। देश बाँटकर जाते जाते उसने यही कहा था- […]

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