हमारा राष्ट्रीय जीवन और व्यक्तिगत जीवन हमारे व्यक्तिगत जीवन की भांति हमारा एक राष्ट्रीय जीवन भी होता है। जैसे हम व्यक्तिगत जीवन में कभी अपने शुभकार्यों के परिणाम के आने पर प्रसन्नता और अशुभकार्यों के परिणाम के आने पर अप्रसन्नता प्रकट करते हैं, वैसे ही हमारे राष्ट्रीय जीवन में भी कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं-जब […]
महीना: अप्रैल 2018
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दु:ख भाग भवेत्।। अर्थात हे प्रभो! सब सुखी हों, सब स्वस्थ और निरोग हों, सबका कल्याण हो, कोई भी प्राणी दु:खी न हो, ऐसी कृपा कीजिए। हे ईश! सब सुखी हों, कोई न हो दुखारी। सब हों निरोग भगवन्, धन धान्य के भण्डारी।। सब […]
भारत में आर्य समाज की स्थापना चैत्र शुक्ल 5 विक्रम संवत् 1932 तदनुसार 10 अपै्रल 1875 को बम्बई में गिरगांव रोड स्थित डाक्टर माणिक चन्द की वाटिका में हुयी। बाद में इसने एक प्रभावी लोकप्रिय भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण आन्दोलन का रूप ले लिया। इसकी सक्रिय राष्ट्रवादी एवं सुधारात्मक गतिविधियों के कारण अंगे्रज सरकार आर्य समाज […]
इसके अतिरिक्त मैं कहां से आया हूं। मैं क्यों आया हूं? मुझे कहां जाना है? मैं क्या कर रहा हूं? मुझे क्या करना चाहिए? ‘मैं’ और ‘वह’ अर्थात आत्मा और परमात्मा का संबंध क्या है? इसे कैसे प्रगाढ़ किया जा सकता है? यह सृष्टिक्रम क्या है? हम अपने स्वामी कैसे बने? परमात्मा को कैसे प्राप्त […]
प्रदेश व देश में जबसे योगी-मोदी की सरकार आई है तब से गोधन की रक्षा के लिए लोगों को बड़ी-बड़ी अपेक्षाएँ इन सरकारों से पैदा हुई हैं। परंतु यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि गोधन के संरक्षण और सुरक्षा के लिए कोई ठोस व कारगर कार्यप्रणाली नहीं अपनाई गई है। केंद्र की मोदी सरकार को […]
गीता का अठारहवां अध्याय भारतीय संस्कृति का उच्चादर्श इस पृथ्वी को स्वर्ग बना देना है और यह धरती स्वर्ग तभी बनेगी जब सभी लोग ईश्वरभक्त हो जाएंगे, और ईश्वरभक्त बनकर ईश्वरीय वेदवाणी को संसार के कोने-कोने में फैलाने के लिए कार्य करने लगेंगे। धरती को स्वर्ग बनाना और उसके लिए जुट जाना ईश्वरीय आज्ञा का […]
पुन: मेवाड़ की ओर अब हम एक बार पुन: राजस्थान के मेवाड़ के उस गौरवशाली राजवंश की ओर चलते हैं जिसकी गौरव गाथाओं को सुन-सुनकर प्रत्येक भारतवासी के हृदय में देशभक्ति मचलने लगती है। जी हां, हमारा संकेत महाराणा राजवंश की ओर ही है। जिसके राणा प्रताप के विषय में 1913 ई. में अपनी पत्रिका […]
किसी भी देश का, समाज का, राष्ट्र और संगठन या परिवार का नेतृत्व वास्तव में उसके बौद्धिक मार्गदर्शकों के पास होता है। जिस देश का बौद्धिक नेतृत्व दिग्भ्रमित हो जाता है, वह देश भी दिग्भ्रमित हो जाता है। भारत के साथ इस समय सबसे बड़ी समस्या ही ये है कि इसका बौद्धिक नेतृत्व दिग्भ्रमित है। […]
गतांक से आगे…. क्या कभी इस विषय पर गम्भीर चिन्तन किया है? यह नैतिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पतन नहीं तो और क्या है? लज्जा-जिसे लोक लिहाज कहते हैं, उसका दिवाला नहीं तो और क्या है? यह हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों के दिये हुए प्रेरणास्पद प्रवचनों का अपमान नहीं तो और क्या है? यह वेदों की घोर […]
गीता का अठारहवां अध्याय अपने आपको मुझमें लगा, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन कर, मुझे नमस्कार कर, ऐसा करने से तू मुझ तक पहुंच जाएगा। क्योंकि तू मेरा प्रिय है। श्रीकृष्णजी ऐसा कहकर अर्जुन रूपी बालक को भगवान रूपी माता केदुग्धामृत का पान करने के लिए उसकी ओर बढऩे की प्रेरणा दे रहे हैं। इस […]