चित चिंतन और चरित्र को, राखो सदा पुनीत भाव यह है कि प्रेम के बिना संसार के सारे रिश्ते ऐसे लगते हैं जैसे सूखा गन्ना। सूखा गन्ना शक्ल सूरत से तो बेशक गन्ना दिखाई देता है किंतु रस न होने के कारण वह अनुपयोगी हो जाता है। ठीक इसी प्रकार यदि सांसारिक रिश्तों में प्रेम […]
महीना: मार्च 2017
युवा जीयें भविष्य में, ऐसा विधि-विधान जो जन आसक्ति रहित, अपनी सिद्धि में लीन। भूसुर ज्ञानी तपस्वी, मिलें दुर्लभ ऐसे कुलीन ॥813॥ स्वयं को करता माफ तू, गैरों से प्रतिशोध। ये तो आत्मप्रवंचना, कब जागेगा बोध ॥814॥ आत्मप्रवंचना- अपने आपको धोखा देना। कब जागेगा बोध से अभिप्राय है- अपनी गलती को मानने का विवेक कब […]
सोये शेर के मुखन में, हिरण कभी नहीं आय प्रेम का शाश्वत नियम है- “प्रेम यदि हृदय में हो तो नेत्र में उतरता है, नेत्र से फिर वह सामने वाले के हृदय में उतरता है।” यश धन अदने को मिलै, तो अपनों से कट जाए। ज्यों गुब्बारे में हवा, अधिक आय फट जाए ॥786॥ ‘अपनों […]
बिखरे मोती भाग – 57 दया की करे अपेक्षा, खुद है दयविहीन। आड़े वक्त में तड़फता, जैसे जल बिन मीन ॥646॥ प्राय देखा गया है कि लोग स्वयं पर संकट आने पर परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते हैं- हे प्रभु! दया करना, जबकि दूसरे पर संकट आने पर मुंह फेर लेते हैं अथवा उपहास करते […]
बुद्धिमान को चाहिए, छिपावै कुल का दोष जैसा लेकर भाग्य नर, आता इस संसार। सगे सहायक वैसे मिलें, जीविका कारोबार ॥467॥ कालचक्र तब भी चले, जब सोता इंसान। समा गए सब गर्भ में, काल बड़ा बलवान ॥468॥ जन्मांध और कामान्ध को, कुछ न दिखाई देय। भला बुरा दिखता नहीं, स्वार्थी को दीखै ध्येय ॥469।। कर्मों […]
आधी बीती नींद में, कुछ रोग भोग में जाए। पुण्य किया नहीं हरी भजा, सारी बीती जाए ॥415॥ धर्म कर्म का उपार्जन, खोले सुखों के द्वार। इनमें मत प्रमाद कर, कल खड़यो है त्यार ॥416॥ रसों में रस है ब्रह्मा रस, रोज सवायो होय। जितना हो रसपान कर, सारे दुखड़ा खोय ॥417॥ पग-पग पर यहाँ […]
बहुत सी दुर्बलताओं के उपरांत भी कांग्रेस का गौरवपूर्ण इतिहास है। इसके गौरवपूर्ण पक्ष पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लालबहादुर शास्त्री और इन जैसी अनेकों प्रतिभाएं अपना डेरा डाले बैठी हैं, जिनको पढ़े बिना कांग्रेस का इतिहास किसी भी जिज्ञासु विद्यार्थी की समझ आ नहीं सकता। जिन लोगों ने कांग्रेस को केवल […]
पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में भाजपा ने पहली बार अपनी सरकार बनाई है। यहां पर यद्यपि कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, परंतु भाजपा का उछाल यह स्पष्ट कर रहा था कि यहां की जनता ने अपना समर्थन भाजपा को दिया है। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि भाजपा […]
भारत का संविधान अपने मौलिक स्वरूप में पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह पंथनिरपेक्षता शब्द अपने आप में प्रत्येक व्यक्ति के उन सभी अधिकारों की सुरक्षा करता है जिनकी कल्पना तक आज के मानवाधिकारवादी कर भी नहीं सकते। राज्य किसी के प्रति पक्षपाती नहीं होगा और देश के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुलभ […]
हमें बाबा रामदेवजी और आचार्य बालकृष्ण जी जैसी महान विभूतियों का इस बात के लिए ऋणी होना चाहिए कि उन्होंने भारत को विश्वगुरू बनाने की दिशा में ठोस पहल की है और भारतीय धर्म, संस्कृति और चिकित्सा प्रणाली सहित भारत की महान विरासत अर्थात योग की ओर भी संसार का ध्यानाकर्षित करने में महान सफलता […]