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देश विदेश संपादकीय

अमेरिका चीन और विश्व शांति

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अपने पद भार संभालने के दिन से ही वैश्विक राजनीति के समीकरणों में जोरदार परिवर्तन देखे जा रहे हैं। बराक ओबामा के काल में जहां रूस और अमेरिका के संबंधों में कुछ नरमी के संकेत देखे जा रहे थे वहीं चीन से भी अमेरिका कुछ दूरी पर रहकर ही […]

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मुद्दा संपादकीय समाज

देश को जाति युद्घ से बचाओ

हमारे संविधान निर्माताओं ने देश की आर्थिक प्रगति में सभी वर्गों और आंचलों के निवासियों को जोडऩे के लिए और आर्थिक नीतियों का सबको समान लाभ प्रदान करने के लिए ‘आरक्षण’ की व्यवस्था लागू की थी। आरक्षण की यह व्यवस्था पूर्णत: मानवीय ही थी-क्योंकि इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से उपेक्षित रहे, दबे, कुचले लोगों को […]

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राजनीति संपादकीय

कांग्रेस का समाजवाद के प्रति दृष्टिकोण

कांग्रेस का समाजवाद के प्रति दृष्टिकोण 1955 में आवाड़ी में हुए एक सम्मेलन में देखने को मिला। जब उसने यह प्रस्ताव पास किया- कांग्रेस के उद्देश्य की पूर्ति के लिए …..भारत के संविधान की उद्देशिका और राज्य की नीति के निदेशक तत्वों में कथित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए योजना इस प्रकार की जानी चाहिए […]

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अन्य राजनीति संपादकीय

ये तो चुनावी वायदे नही हैं

पांच राज्यों में चुनावी प्रक्रिया अपने सबाब पर है। ज्यों-ज्यों चुनावी तारीखें निकट आ रही हैं, त्यों-त्यों राजनीतिक दल अगले पांच वर्ष के लिए पांचों राज्यों को अपने लिए कब्जाने के प्रयासों में तेजी लाते जा रहे हैं। हर प्रत्याशी अपने लिए वोटों के गुणाभाग लगाने में व्यस्त है। इसी समय भाजपा, सपा, बसपा और […]

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विधि-कानून

समान नागरिक संहिता और हमारा संविधान

अब जब हम अपने देश का 68वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं तो हमें कुछ सोचना होगा, कुछ समझना होगा। कुछ विचार करना होगा कि देश अपने गंतव्य की ओर आगे न बढक़र किधर चला गया, और क्यों चला गया? चिंतन के पश्चात आपका यही निष्कर्ष निकलेगा कि युग-युगों से अपने सनातन धर्म के आलोक […]

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आओ कुछ जाने देश विदेश संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

क्या है ‘गणराज्य’ या गणतंत्र?

संविधान के अधीन सभी प्राधिकारों का स्त्रोत भारत के लोग हैं। भारत एक स्वाधीन राज्य है और अब वह किसी बाहरी प्राधिकारी के प्रति निष्ठावान नहीं है। हमारे देश का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति है। अब इस पद सहित किसी भी पद पर भारत के नागरिक की नियुक्ति होना संभव है। […]

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अन्य राजनीति संपादकीय

गठबंधन नहीं ‘घटिया’ बंधन है ये

भारत का लोकतंत्र बड़े-बड़े अजूबों से भरा है। यहां लोगों को भ्रमित करने के हथकंडे अपनाने वाले राजनीतिज्ञों की कमी नहीं है। कदम-कदम पर ऐसी बारूदी सुरंगें बिछाने की शतरंजी चालों को चलने में हमारे नेता इतने कुशल हैं कि सारे विश्व के राजनीतिज्ञ संभवत: इनसे मात खा जाएंगे। निश्चित रूप से ये बारूदी सुरंगें […]

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राजनीति संपादकीय

अखिलेश, राहुल और मुलायम

उत्तर प्रदेश में चुनावी संघर्ष नये-नये रूप दिखा रहा है। ‘महाभारत’ आरंभ हो गया है। किस रथी या महारथी को किस पक्ष से लडऩा है-यह भी पूर्णत: निश्चित हो चुका है। इस दौरान कुछ मनोरंजक दृश्य भी देखने को मिल रहे हैं। सपा के ‘अर्जुन’ बने अखिलेश ने युद्घ आरंभ कर दिया है-पर आज के […]

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आर्थिकी/व्यापार संपादकीय

एक संतुलित और दूरगामी बजट

केन्द्रीय वित्तमंत्री श्री अरूण जेटली द्वारा प्रस्तुत 2017-18 वित्तीय वर्ष का आम बजट कई मामलों में अनूठा और सराहनीय है। इस बजट को पहली बार एक फरवरी को प्रस्तुत किया गया है, इससे पूर्व रेल बजट और आम बजट फरवरी के अंत में आया करते थे, रेल बजट को रेलमंत्री तथा आम बजट को भारतीय […]

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राजनीति संपादकीय

शाह, बादशाह और शाहजादे

आजकल जुमलों की राजनीति का दौर है। इस समय पांच प्रांतों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में हर राजनीतिक  दल ने एक दूसरे पर जुमले उछाल-उछालकर हमला करने तेज कर दिये हैं। भाजपा में मोदी और अमित शाह की जोड़ी अपने विरोधियों पर तीखे वार करने के लिए जानी जाती हैं, उनकी देखा […]

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