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बिखरे मोती

विषय की चेतना की अनुभूति ‘चित्त’ में होती है

बिखरे मोती-भाग 172 गतांक से आगे…. यह सुनकर सनत्कुमार ने देवर्षि नारद से पूछा-जो कुछ तुम जानते हो, पहले वह बताओ? नारद ने कहा, मैंने चारों वेद, उपवेद, इतिहास, पुराण, गणित, नीति शास्त्र, तर्कशास्त्र अथवा कानून , देवविद्या (निरूक्त) भौतिक रसायन व प्राणीशास्त्र नक्षत्र विद्या (ज्योतिष) निधि शास्त्र (अर्थशास्त्र) ब्रह्मविद्या इत्यादि को पढ़ा है। यह […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-45

भावना मिट जायें मन से पाप अत्याचार की वैदिक संस्कृति में गृहस्थ धर्म को  सर्वोत्तम माना गया है। वेद ने एक सदगृहस्थ का चित्र खींचते हुए कहा है :- ”तुम दोनों व्यवहारों में (पति-पत्नी की ओर संकेत है) सदा सत्य बोलते हुए भरपूर धन कमाओ। हमारी प्रभु से कामना है कि यह पत्नी तुझ पति […]

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बिखरे मोती

मन के संग जब तन जुड़ै, तब होवै तल्लीन

बिखरे मोती-भाग 171 गतांक से आगे…. सूर्य तो निरंतर दीप्तिमान है। पृथ्वी की दैनिक गति के कारण जो भूभाग सूर्य के सामने होता है वहां दिन होता है और जिस भूभाग पर सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं वहां रात होती है। ठीक इसी प्रकार जीव (मैं अर्थात आत्मा) ब्रह्म, प्रकृति अनादि हैं। इनकी […]

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मुद्दा राजनीति

फतवों की राजनीति में सुराज्य की कल्पना कैसे साकार होगी

सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावों में धर्म, जाति, सम्प्रदाय या वर्ग विशेष के नाम पर वोट मांगने को या वोट देने के लिये प्रेरित करने को भ्रष्ट प्रक्रिया करार देकर भारतीय लोकतंत्र में पहली सबसे खतरनाक बीमारी को दूर करने का प्रयास किया है। बावजूद इसके दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने बहुजन […]

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महत्वपूर्ण लेख

संस्थानों को नये स्वरूप में गढ़ सकते हैं व्यक्ति

एक सामान्य सी अपेक्षा रहती है कि हर संवैधानिक एवं अन्य संस्थान स्वतंत्र व पारदर्शी रूप से कार्य करे। बेशक किसी भी संगठन की ढांचागत व्यवस्था उसमें निष्पक्ष प्रदर्शन की नींव डालती है, लेकिन न्याय के लक्ष्य को हासिल करने में उस संगठन में कार्यरत व्यक्तियों की भी अहम भूमिका रहती है। जब कोई नाकारा […]

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विधि-कानून संपादकीय

तीन तलाक और संविधान पीठ

तीन तलाक के मुद्दे पर एक ठोस और सकारात्मक पहल करते हुए केन्द्र सरकार ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से चार प्रश्न पूछे हैं। जिनमें पहला है कि क्या ‘तलाक-एक-बिद्दत’ (एक बार में तीन तलाक देना) निकाह, हलाला और बहुविवाह को संविधान के अनुच्छेद 25 (1) (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) में संरक्षण प्राप्त है? […]

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धर्म-अध्यात्म हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी सत्यपति जी को समाधि अवस्था में हुई कुछ अनुभूतियां

ऋषि भक्त स्वामी सत्यपति जी महाराज ऋषि दयानन्द जी की वैदिक विचारधारा और पातंजल योग दर्शन के सफल साधक हैं। आपने दर्शन योग महाविद्यालय और वानप्रस्थ साधक आश्रम की रोजड़, गुजरात में स्थापना की है और अपने अनेक शिष्यों को दर्शनों का आचार्य बनाया है। दर्शन के अध्ययन सहित आपने उन्हें योगाभ्यास भी कराया है। […]

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शिक्षा/रोजगार

स्कूलों में होते जा रहे हैं हमारे बच्चे असुरक्षित

यह दिल दहला देने वाला कृत्य है कि जयपुर में एक शिक्षक ने दस साल में तकरीबन दो सौ से अधिक बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाया। शिक्षक पर यह भी आरोप है कि वह पीडि़त बच्चों को ब्लैकमेल कर उनसे पैसा भी वसूलता था। स्कूल प्रबंधन की भूमिका भी संदेह के घेरे में […]

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राजनीति

अब देश में गढ़ा जा रहा है विकास का नया वोट बैंक

न केवल पिछड़ों का, बल्कि इन वोट बैंक माने जाने वाले वर्गों का भी अच्छा खासा हिस्सा उन दलों में बंटता है, जिनको इनके खिलाफ माना जाता रहा है। इनमें से बहुत से मतदाता अपने प्रत्याशी अथवा दल की उपलब्धियों और विकास की नीतियों के कारण उसे मत देते हैं। यह अपने आप में सकारात्मक […]

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अन्य राजनीति संपादकीय

शशिकला: लोकतंत्र का एक अभिशाप

महात्मा विदुर का मानना है कि राजा को चाहिए कि वह राजा कहलाने और राजछत्र धारण करने मात्र से ही संतुष्ट रहे, अर्थात राजा का ऐश्वर्य उसका राजा कहलवाना और राजछत्र धारण करना ही है। उसे चाहिए कि राज्य के ऐश्वर्यों को राज्यकर्मचारियों और प्रजा के लिए छोड़ दे, उनमें बांट दे, सब कुछ अकेला […]

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