श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया)1. आंवला: आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक रोज सुबह-शाम को पीने से स्त्रियों को होने वाला श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) नष्ट हो जाता है।2. झरबेरी: झरबेरी के बेरों को सुखाकर रख लें। इसे बारीक चूर्ण […]
महीना: अक्टूबर 2015
मुजफ्फर हुसैन पाकिस्तान में लाहौर से प्रकाशित अगस्त 2002 के मासिक तरजुमानुल कुरान में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें इतनी सनसनीपूर्ण जानकारी है कि सामान्य नागरिक उस पर विश्वास भी नही कर सकता है। लेकिन यह सब कुछ यथार्थ है। इतना यथार्थ है कि यदि दुनिया से आतंकवाद समाप्त करना है तो उसे आज नही […]
आप कब लौटाएंगे कश्मीर?
डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत सरकार को मैं बधाई देता हूं। उसने संयुक्तराष्ट्र में वह बात उठाई है, जो बात आज तक हमारे किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं उठाई। कश्मीर के सवाल पर हमारी सभी सरकारें- नेहरु से लेकर मोदी तक- दब्बूपन की नीति चलाती रही हैं। वे या तो कश्मीर पर बात करने से कतराती […]
विनोद बंसल द्वापर युग के अन्त और कलयुग के प्रारम्भ में एक ऐसे महापुरुष का प्रादुर्भाव हुआ जिसने न सिफऱ् भारत में एक गणतांत्रिक शासन व्यवस्था, उत्तम सिंचाई व्यवस्था, समाजवाद, समरसता व समानता का पाठ पढाया वल्कि सच्चे राम राज्य की स्थापना कर ऐसे संस्कारी पुत्र दिए जो आज भी पूरे विश्व का भरण पोषण […]
नई संभावनाओं का अंतरिक्ष
जाहिद खान अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने कामयाबी का एक और नया अध्याय लिख दिया है। हाल ही में उसने खगोलीय शोध को समर्पित भारत की पहली वेधशाला एस्ट्रोसैट का सफल प्रक्षेपण किया। ‘एस्ट्रोसैट’ बहु-तरंगदैध्र्य वाला अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह है, जो ब्रह्मांड के बारे में अहम जानकारियां प्रदान […]
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्बन उत्सर्जन को लेकर युरोपियन देशों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जिस तरह से फटकार लगाना शुरू किया है, उससे अब साफ झलकने लगा है कि दुनिया में भारत आज स्वस्थ वैश्विक पर्यावरण को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित है। भारत की ओर से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस […]
लोकतंत्र के लिए खुद को बचाए कांग्रेस
प्रो. एनके सिंह कांग्रेस अब तक जिस अंदाज में काम करती आई है, उसे छोडक़र अब आगे बढऩे के लिए नई दिशाएं चुननी होंगी। गांधीजी के कार्य के तौर-तरीके मौलिक थे और इसी वजह से आज उनकी गिनती ऐसे राजनेताओं में होती है, जिन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी एक खास छाप छोड़ी है। हालांकि इससे पहले […]
लावारिस बना अरबों का खेल ढांचा
भूपिंदर सिंह वर्षों आधारभूत ढांचे का रोना रोने वाले खेल संघ आज कहां हैं? क्यों इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं? क्या खेल संघों की कुर्सी पर एक बार कब्जा जमा लेने के बाद फिर खेल की सुध लेने के फर्ज से ये मुक्त हो जाते हैंज् हिमाचल […]
डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री निआरकस की बहुत बुरी हालत हो गई थी। उसकी तमाम सेना नष्ट हो गई। जब वह अपनी नावों को लेकर यहाँ – वहां भटक रहा था, तब उसे किसी प्रकार फारस और ओमान की खाड़ी के मध्य स्थित हरमुज में अनामिस नदी के किनारे लंगर डालने का अवसर मिला। उधर सिकंदर ने […]
21वीं सदी में 14वीं सदी की सोच
21वीं सदी का मानव अपने आपको सुसभ्य मानता है, इसलिए अन्याय, अत्याचार, शोषण और दमन को बहुत से भ्रांतिवश 14वीं शताब्दी की बात मानते हैं, परंतु आज भी इस धरती से अन्याय और अत्याचार, शोषण और दमन समाप्त नही हुए हैं, अपितु कहीं-कहीं तो बहुत ही भयावह रूप में हमारे बीच खड़े हैं। इनकी उपस्थिति […]