जिस औरंगजेब ने 9 अप्रैल 1669ई. को विधिवत एक राजाज्ञा जारी करके हिंदुओं के मंदिरों और विद्यालयों अथवा गुरूकुलों को ध्वस्त कराने के लिए अपने अधिकारियों को निर्देश जारी किये थे और उस राजाज्ञा के जारी होते ही उसके दुष्ट अधिकारियों ने काशी का विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण मंदिर सहित अनेकों प्रसिद्घ मंदिरों […]
महीना: सितम्बर 2015
वाराणसी। यहां आज जो कार्यक्रम हो रहा है वह सिर्फ गरीबों ही नहीं बल्कि काशी का भी भाग्य बदलेगा। क्योंकि गरीबों की मेहनत में थोड़ी सी तकनीक जोड़ दी जाय तो वह बहुत ज्यादा कमा सकता है। कौशल प्रशिक्षण, ई-रिक्शा वितरण इसकी शुरुआत है। केंद्र सरकार गरीबों का भाग्य बदलने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास […]
मनमोहन सिंह आर्य सृष्टि की रचना करने के बाद से ईश्वर मनुष्यों को जन्म देता, पालन करता व उनकी सभी सुख सुविधा की व्यवस्थायें करता चला आ रहा है। हमारी यह सृष्टि लगभग 1 अरब 96 करोड़ वर्ष पूर्व ईश्वर के द्वारा अस्तित्व में आई है। सृष्टि को बनाकर ईश्वर ने वनस्पतियों व प्राणीजगत को […]
अशोक प्रवृद्ध दिव्य अध्यात्मज्ञान, योगबल, तप-साधना एवं मन्त्रशक्ति के लिए विशेष रूप से प्रतिष्ठित महर्षि अंगिरा भारतीय सनातन वैदिक परम्परा के आदि पुरूषों में से एक हैं, जिन्हें सृष्टि के आदि काल में वेद ज्ञान को सुनने , समझने और आदिपुरूष ब्रह्मा को समझाने का सौभाग्य प्राप्त है ।पुरातन ग्रंथों के अनुसार महर्षि अंगिरा ब्रह्मा […]
अर्थराइटिस का दर्द इतना तीव्र होता है कि व्यक्ति को चलने–फिरने और घुटनों को मोड़ने में भी बहुत परेशानी होती है। 1) अर्थराइटिसअर्थराइटिस होने पर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है। सूजन के साथ-साथ उस स्थान पर दर्द भी होने लगता है। अर्थराइटिस […]
जन्म के महीने से व्याक्ति का व्यक्तित्व तो झलकता है साथ ही किसी के जन्म का महीना उसके स्वास्थ्य के बारे में भी बताता है, तो आप भी जानिये, क्या कहता है आपके जन्म का महीना? किस महीने में पैदा हुए आप!आप किस महीने में पैदा हुए हैं, इसका आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। […]
डेंगू का उपचार समय पर न हो तो यह जानलेवा भी हो सकता है, इसके उपचार के लिए आप घर में मिलने वाले इन आसान नुस्खोंह से इससे बचाव कर सकते हैं। इन नुस्खों से दूसरों की मदद भी करें। 1.डेंगू के लिए घरेलू नुस्खेडेंगू का प्राकोप आजकल बहुत तेजी से फैल रहा है। यह […]
वैदिक जीवन चार आश्रम और चार वर्णों पर केन्द्रित व्यवस्था व प्रणाली है। ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास यह चार आश्रम हैं और शूद्र, वैश्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण यह चार वर्ण कहलाते हैं। जन्म के समय सभी बच्चे शूद्र पैदा होते हैं। गुरूकुल व विद्यालय में अध्ययन कर उनके जैसे गुण-कर्म-स्वभाव व योग्यता होती है […]
महर्षि दयानन्द ने पहले पूना प्रवचन और बाद में थ्योसोफिकल सोसायटी के लिए अपना संक्षिप्त आत्मकथन लिखते हुए, इन दो अवसरों पर न तो अपने जन्म स्थान को ही पूरी तरह से सूचित किया और न हि जन्म के मास व तिथि का उल्लेख किया। अतः उनके सुविज्ञ अनुयायियों पर यह दायित्व आ गया कि […]
डॉ. मधुसूदन 1. कृषकों की आत्महत्त्याओं को घटाने के लिए।प्रायः ६० करोड की कृषक जनसंख्या, सकल घरेलु उत्पाद का केवल १५ % का योगदान करती है। और उसीपर जीविका चलाती है।विचारक विचार करें।अर्थात, भारत की प्रायः आधी जनसंख्या और, केवल १५% सकल घरेलु उत्पाद? बस? जब वर्षा अनियमित होती है, तब इन का उत्पाद घट कर […]