शैलेन्द्र चौहान एक ओर तो मीडिया के शहंशाह कहे जाने वाले रुपर्ट मर्डोक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज़ाद भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ नेता’ बता रहे हैं. वहीँ अमरीकी उद्योग जगत के एक प्रतिनिधि ने कुछ दिन पहले ही यह बयान दिया कि भारत की नौकरशाही में अबतक कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है […]
Month: September 2015
वीरेन्द्र सिंह परिहार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघंचालक ने आरक्षण के संबंध में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि एक समिति बनाई जानी चाहिए जो यह तय करे कि किन लोगों को और कितनों दिनों तक आरक्षण की आवश्यकता है । उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी समिति में राजनीतिज्ञों […]
बेरोजगारी की डराती तस्वीर
प्रमोद भार्गव भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बना देने का सपना दिखाने वालों की नींद अब टूटनी चाहिए। जिस युवा जनसंख्या के बूते इक्कीसवीं शताब्दी के भारतीय युवाओं की शताब्दी होने का दंभ भरा जा रहा है, उसे उत्तर प्रदेश में खड़ी शिक्षित बेरोजगारों की फौज ने आईना दिखा दिया है, जहां विधानसभा सचिवालय में […]
एकाग्रता उत्पन्न करो (2)
आज का काम आज जिस काम की आज आवश्यकता है, या जिस कार्य को आज ही पूर्ण हो जाना चाहिए-उसके लिए हमारा प्रयास होना चाहिए कि वह आज ही पूर्ण हो जाना चाहिए। आज के कार्य को कल के भरोसे छोडऩा उचित नही, क्योंकि कल को जब सूर्यदेव आकर नमस्कार करेंगे तो उनके साथ ही […]
पिछली पच्चीस अगस्त को लिनक्स पच्चीसवें साल में प्रवेश कर गया। अगला एक साल लिनक्स के लिए रजत जयंती वर्ष है। लिनक्स यानी विंडोज़ और एंड्रोइड जैसा ही एक ऑपरेटिंग सिस्टम, जो आम लोगों के बीच तो ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो सका, लेकिन कंपनियों और सरकारों के संवेदनशील तथा सुरक्षित कामकाज के लिए खूब इस्तेमाल […]
हिमालयन एनवायरमेंट स्टडीज एंड कंजर्वेशन आर्गेनाइजेश (एचईएससीओ) के प्रमुख डा. अनिल जोशी का मानना है कि विकास की गलत नीतियों के कारण उत्तराखंड के गांवों में आज भी विकास की किरणें नहीं पहुंच पाई हैं। राज्य बनने के डेढ़ दशक के गांवों की स्थिति नहीं सुधरी। पहले गांव सिर्फ बदहाल थे लेकिन अब बंजर भी […]
तंग नजरिए के खिलाफ एक संदेश
जाहिद खान पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की जिंदगी पर आधारित ईरान के विख्यात फिल्मकार माजिद माजिदी की नई फिल्म ‘मोहम्मद: मैसेंजर ऑफ गॉड’ को लेकर अरब देशों में तो बवाल है ही, हमारे देश में भी मुंबई स्थित एक कट्टर सुन्नी मुसलिम संगठन रजा अकादमी ने संगीतकार एआर रहमान के खिलाफ इस फिल्म में संगीत […]
एकात्म मानववाद की बढ़ती प्रासंगिकता
डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री अर्थवादी यह समझते हैं कि ज्यादा भोग से ही ही सुख मिलता है, परंतु दीनदयाल जी ने उदाहरण देकर कहा कि सुख मन की स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए विकास की समग्र अवधारणा का समर्थन किया, जिसमें मन, बुद्धि और शरीर तीनों के विकास का समन्वय हो। आज जब भोगवादी […]
अशोक प्रवृद्ध यह परम सत्य है किमनुष्य को जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलती । आदिकाल से लेकर आज तक के इतिहास और मानव प्रवृति का अध्ययन करने से इस सत्य का सत्यापन होता है कि मानव के साथ समस्याओं का चोली-दामन का साथ रहा है। जीवन की पहेली आज जितनी उलझी […]
धर्म ही अटल हैचाणक्यनीति (5/10) में कहा गया है :-‘चला लक्ष्मीश्चला: प्राणाश्चले जीवितयौवने। चला चले च संसारे धर्म एकोहि निश्चल:।।’अर्थात इस चराचर जगत में लक्ष्मी, प्राण, यौवन और जीवन सब कुछ नाशवान हैं, केवल एक धर्म की अटल है।अटल धर्म के प्रति भारत के लोगों की आस्था भी अटल रही है। इसलिए महाभारत में भी […]