सुरेश हिंदुस्थानी बिहार में चल रहे राजनीतिक घमासान में एक तरफ बेमेल जुगलबंदी राज्य की सत्ता प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी तरफ भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा की तरह ही अपनी भाषण शैली के माध्यम से जनता को खींचने का प्रयास कर रहे हैं। बिहार में मोदी का […]
महीना: सितम्बर 2015
आज जब राजस्थान के राज्यपाल माननीय कल्याणसिंह जैसे लोग ‘जन-गण-मन’ के ‘अधिनायक’ शब्द पर आपत्ति करते हैं तो उसका अभिप्राय यह भी होता है कि हमारे द्वारा की गयी अब तक की ‘अधिनायक’ की चाटुकारिता ने इस देश के सम्मान को चोट पहुंचाई है और यह पूर्णत: हमारी गुलामी की मानसिकता का परिचायक है। इसलिए […]
देवेन्द्रसिंह आर्य जनता के प्रतिनिधि अपने बचाव के लिए अक्सर यह कहते मिलते हैं कि व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन अलग होता है और सार्वजनिक जीवन अलग होता है। इसलिए व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में कभी तांक-झांक नही करनी चाहिए। यह तर्क दिखने में तो अच्छा लगता है और ऐसा आभास देता है कि ऐसा ही […]
आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने मनुष्य का जीवन जहां आसान व सुविधाओं से पूर्ण बनाया है वहां अनेक समस्यायें एवं सामाजिक विषमतायें आदि भी उत्पन्न हुई हैं। विज्ञान व ज्ञान से युक्त मनुष्यों से अपेक्षा की जाती है कि वह जिस बात को जितना जाने उतना कहें और जहां उनकी पहुंच […]
काउंसलर्स के पास अक्सर इस तरह के फोन, ईमेल और पत्र आते हैं, जिनमें गांवों-कस्बों तथा छोटे शहरों के विद्यार्थी संसाधनों और मार्गदर्शन को लेकर अपनी व्यथा साझा करते हुए उपाय बताने का अनुरोध करते हैं। आम तौर पर इन इलाकों में रहकर स्वत: प्रेरणा और हौसले से मुश्किल डगर पर चलते हुए कामयाबी की […]
बालेन्दु शर्मा दाधीच अगर आपने कभी कंप्यूटर असेंबल करवाया हो तो आप जानते होंगे कि तमाम कलपुर्जों और हिस्सों को आपस में जोडक़र सीपीयू तैयार करना कितना मुश्किल काम है। बहरहाल, दूसरी चीजों के साथ-साथ कंप्यूटर भी बदल रहा है और उसका डिजाइन भी। ताइवानी कंपनी एसर ने कंप्यूटर सीपीयू के भविष्य की झलक दी […]
भारत जब भी अपने आजाद होने पर गर्व महसूस करता है तो उसका सर उन महापुरुषों के लिए हमेशा झुकता है जिन्होंने देश प्रेम की राह में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया. देश के स्वतंत्रता संग्राम में हजारों ऐसे नौजवान भी थे जिन्होंने ताकत के बल पर आजादी दिलाने की ठानी और क्रांतिकारी कहलाए. […]
भारत विभिन्न धर्मों, जातियों और अलग-अलग विश्वासों को मानने वालों का देश है। यहां का संविधान देश के सभी नागरिकों को समान रूप से अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करने की इजाजत देता है। पर राजनीति में गहरे जड़ें जमा चुकी तुष्टीकरण की प्रवृत्ति और वोट बैंक की सियासत ने समय-समय पर विभिन्न धर्मों और […]
डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री किसी भी राष्ट्र की प्राण चेतना उसके समाज में ही होती है। उसको निरंतर सींचते रहना चाहिए, ताकि वह निर्जीव न हो जाए। यदि समाज निर्जीव हो जाएगा तो राष्ट्र भी निर्जीव हो जाएगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसी समाज चेतना को सशक्त करने के प्रयास में लगा है। राजनीति, समाज के […]
प्रमोद भार्गव सडक़ हादसों में मारे जा रहे युवाओं की दिल दहलाने वाली रिपोर्ट आई है। सडक़ परिवहन और राजमार्ग द्वारा सडक़ हादसों से जुड़ी 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 34 आयु वर्ग के 75,048 युवा 2014 में सडक़ दुर्घटनाओं में मारे गए हैं। युवाओं के मरने का यह आंकड़ा 53.8 फीसदी है। […]