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अन्य कविता

चमचे चुगलखोर

जय हो चमचे चुगलखोर, तेरे जादू में बड़ा जोर।जय हो चमचे चुगलखोर, भूतल पर जितने प्राणी हैं, तू उन सबमें है कुछ विशिष्ट।चुगली और चापलूसी करके, बनता है कत्र्तव्यनिष्ठ। जितने जहां में उद्यमी हैं, उपेक्षा उनकी कराता है।बात बनाकर चिकनी चुपड़़ी, हर श्रेय को पाता है। पर प्रतिष्ठा समाप्त कर, अपनी की नींव जगाता है।स्वार्थसिद्घि […]

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संपादकीय

नेता समस्या उत्पन्न करते हैं-(1)

हम समाज में देखते हैं कि यहां भावनाएं कत्र्तव्य से आगे चलकर कार्य करती हैं। इन भावनाओं को साम्प्रदायिक नारे संप्रदाय, जाति आदि के विचार और भी अधिक उभारते हैं। मनुष्य अज्ञानवश इन नारों और संप्रदाय व जाति की बातों में फंसकर बह जाता है। मनुष्य का इन छोटी बातों को बड़ा मानना और उनमें […]

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अन्य

आनंदीसहाय शुक्ल: टूट गया सांसों का इकतारा

गिरीश पंकज पं.आनंदी सहाय शुक्ल हम सब को रोता बिलखता छोड़ कर चले गए। उनके निधन की खबर सुनते ही मुझे उनकी ही कविता याद आ गई, जिसमें वे कहते हैं उधो सांसों का इकतारा बजता रहे तार मत टूटे गाता मन बंजारा बाणों की शैया पर लेटा, फिर भी मत्यु न चाहे इस इच्छा […]

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राजनीति

राजनीति के ये एक ही थाली के चटटे-बट्टे

रविन्द्र प्रताप सिंह सियासतदारों की जिद्द के आगे संसद का पूरा मानसून-सत्र धूल गया। हर किसी की जुबान पर इनकी करतूत के चर्चे हैं। लेकिन ,इनको इसका कोई पछतावा नहीं। हो भी क्योंज्..क्योकि इनकी पुरानी फितरत है वादे करके, भूल जाना। लगता है अब भारतीय राजनीति की यही परम्परा बन गई है। जिस वंदनीय संसद […]

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अन्य स्वास्थ्य

किडनी फेल या पास

देश में हर साल लाखों लोग किडनी की बीमारियों की वजह से जान गंवा बैठते हैं, लेकिन इसका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि किडनी की बीमारी का पता तब चलता है, जब किडनियां 60 से 65 प्रतिशत तक डैमेज हो चुकी होती हैं, इसलिए सावधानी ही इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका है। कैसे, […]

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अन्य

मौसमी समझ से जुड़ी है नागपंचमी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि का स्वामी नाग है। इस तिथि को नाग पूजन करने से ग्रह-नक्षत्र अनुकूल रहते हैं। श्रावण , शुक्लपक्ष की पंचमी का नागपूजन की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्व है, इसीलिए इस तिथि का नाम ही नागपंचमी पड़ गया है। नागपंचमी हमारे पूर्वजों की मौसम की समझ से भी जुड़ी हुई […]

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अन्य कविता

स्वामी विवेकानंद

आज भी परिभाषित हैउसकी ओज भरी वाणी सेनिकले हुए वचन ;जिसका नाम था विवेकानंद ! उठो ,जागो , सिंहो ;यही कहा था कई सदियाँ पहलेउस महान साधू ने ,जिसका नाम था विवेकानंद ! तब तक न रुको ,जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न होकहा था उस विद्वान ने ;जिसका नाम था विवेकानंद ! सोचो तो […]

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महत्वपूर्ण लेख

हस्तकरघा क्षेत्र के द्वारा स्वदेशी को प्रश्रय देने की कोशिश

अशोक प्रवृद्ध स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1905 में 7 अगस्त को स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की गई थी। भारत सरकार ने इसी की याद में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रुप में घोषित किया है।हस्तकरघा क्षेत्र के द्वारा  स्वदेशी को प्रश्रय देने के उद्देश्य सेप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त शुक्रवार को […]

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अन्य कविता

आधुनिक विज्ञान से-भाग-आठ

सबसे सस्ता आज जहां में, बिकता है ईमान।तू सर्वेसर्वा मानता नेचर, कहता क्या होता भगवान?अरे ओ आधुनिक विज्ञान! अरे ओ मतवाले विज्ञान, किये तूने कितने आविष्कार?किंतु आज भी वंचित क्यों है, सुख शांति से संसार? अंतिम दम तक आइनस्टाईन, करता रहा पुकार।श्रेष्ठ पुरूषों के बिन नही होगा, सुख शांति का संसार। अत: समय रहते तू […]

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संपादकीय

स्वच्छता अभियान के अर्थ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। अच्छा लगता है जब लोगों को भी इस ओर जागरूक होते देखा जाता है। सचमुच हमने अपने मरने के लिए अपने आप ही प्रकृति और पर्यावरण के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब यदि इसकी भरपायी न की गयी तो स्थिति संभालनी […]

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