सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में भारत की संसद में जिस प्रकार का विरोधाभास दिखाई दे रहा है, उसमें लोकतंत्र की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं। अपने अपने पक्ष पर फेविकोल की तरह चिपकी हुई दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी टस से मस होने का नाम तक नहीं ले रहीं है। ऐसे […]
Month: August 2015
दिनेश चंद्र त्यागी स्वतंत्र भारत के इतिहास में 7 नवंबर 1966 वह अविस्मरणीय दिवस है जिस दिन राजधानी दिल्ली में सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान समिति के तत्वाधान में गोवंश हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर संसद के सामने अभूतपूर्व विराट प्रदर्शन के लिए 10 लाख गोभक्तों का जनसमुद्र उमड़ पड़ा था। इतना विराट […]
स्वरूप बिगड़ता देख कर अपना, क्या तू भी कभी बोलती है?उत्खनन हो रहा खनिजों का, सोना, चांदी, हीरे, मोती।चलते हो बम दमादम जब, क्या तू भी सिर धुनकर रोती? रोती होगी तू अवश्यमेव, यह होता आभास।आंसू छलके जब जब तेरे, यह बता रहा इतिहास। मत दे जीवन धरनी उनको, है दिल की यह अरदास।मानव रक्त […]
अंग्रेजी काल का ये पुलिस प्रशासन
स्वतंत्र भारत की पहली सरकार जब पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अस्तित्व में आयी थी तो उसके लिए नौकरशाही वही कार्य कर रही थी जो 15 अगस्त 1947 तक अंग्रेजों के लिए कार्य करती रही थी। शासन प्रशासन में से प्रशासन वही था जो अंग्रेजों का था और शासन में वो लोग सत्तासीन हुए […]
मनमोहन सिंह आर्य संसार में समस्त धार्मिक ग्रन्थों में वेद के बाद सत्यार्थप्रकाश का प्रमुख स्थान है। इसका कारण इन दोनों ग्रन्थों का मनुष्य जीवन के लिए सर्वोपरि महत्व है। वेद ईश्वर प्रदत्त अध्यात्म व सांसारिक ज्ञान है। यह बताना आवश्यक है कि सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, निराकार, सर्वान्तर्यामी ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी […]
डॉ प्रवीण तिवारी मुंबई धमाकों का गुनहगार फांसी पर चढ़ा दिया गया। भारतीय न्यायव्यवस्था और लोकतंत्र की सुंदरता भी दुनिया के सामने आई। इतने बड़े गुनाह के लिए किसी और मुल्क में पकड़े जाने के बाद ही सरेआम किसी को सजा दे दी जाती लेकिन ये हमारे लोकतंत्र की मजबूती है कि हमारे देश में […]
अंकुर विजयवर्गीय यदि हम ईरान और अयातुल्ला खुमैनी को जानते हैं, यदि हम रूस, चीन और मध्य-पूर्व एशिया के देशों से ईरान के गहरे रिश्तों को जानते हैं, और यदि हम अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्वकर्ता देशों को जानते हैं, तो यह कहने में हमें कोई हिचक नहीं होगी कि 18 दिनों की लंबी […]
अशोक प्रवृद्ध उपनिषदों की एक कथा के अनुसार शरीर के इन्द्रियों में अपनी-अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो जाने और सर्वश्रेष्ठता का निश्चय नहीं कर पाने पर वे प्रजापति के समक्ष गई और कहने लगीं कि उनमे से कौन सर्वश्रेष्ठ है? प्रजापति के सुझाव पर सब इन्द्रियाँ एक-एक कर शरीर छोडक़र गयीं और वापस लौट […]
मनमोहन कुमार आर्य भारत में मूर्तिपूजा का प्रचलन बौद्ध व जैन मत से आरम्भ हुआ है। बौद्ध मत के बढ़ते प्रभाव व वैदिक धर्म में ऋषियों व आप्त पुरूषों की कमी व अभाव के कारण अज्ञानता के कारण मूर्तिपूजा प्रचलन में आई है। रामायण एवं महाभारत काल में भारत में मूर्तिपूजा का प्रचलन नहीं था। […]
कलाम की यादों को सलाम
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार सरकार ने सरदार पटेल, लालबहादुर शास्त्री, पीवी नरसिंहाराव सरीखे कांग्रेसी नेताओं को कांग्रेस से छीनकर अपनी झोली में उन्हें सम्मानपूर्ण स्थान दिलाया है। अब इसी कड़ी में मोदी सरकार ने अच्छी पहल करते हुए विविध क्षेत्रों में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के शानदार योगदान एवं यादों को संस्थागत रूप […]