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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

दुर्लभ पत्रों में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम

प्रमोद भार्गव पाश्चात्य इतिहास लेखकों की स्वार्थपरक और कूटनीतिक विचारधारा से कदमताल मिलाकर चलने वाले कुछ भारतीय इतिहास लेखकों के चलते आज भी इतिहास की कुछ पुस्तकों और ज्यादातर पाठ्य-पुस्तकों में यह मान्यता चली आ रही है कि 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अंग्रेजी मान्यता के खिलाफ बर्बरतापूर्ण संघर्ष था। यह संग्राम तत्कालीन ब्रितानी हुकूमत […]

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संपादकीय

चरित्रनिर्माण और  राष्ट्रनिर्माण

हमारे देश में राष्ट्र-निर्माण की बातें अक्सर लोग अपने भाषणों में और अपनी परस्पर की चर्चा में करते हैं। देश के स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस की बेला पर यह चर्चा और भी तीव्र हो जाती है। कई लोग चरित्र-निर्माण की बातें करते हैं। उसी में राष्ट्रनिर्माण को लाकर जोड़ देते हैं, तो कई चरित्र-निर्माण […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

भारत के ‘गौरव’ को लौटाना चाहते थे राणा सांगा

महर्षि दयानंद का मत जिन लोगों ने विदेशियों का अंधानुकरण करते-करते स्वदेश और स्वदेशी की भावना को अपने लिए अपमानजनक समझकर उसे कोसना आरंभ किया, उन लोगों को देखकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज को असीम पीड़ा हुआ करती थी। उन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ समुल्लास-11 में लिखा है- ‘‘अपने देश की प्रशंसा वा पूर्वजों की बड़ाई […]

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महत्वपूर्ण लेख

ईश्वर की कृपा व वेदाध्ययन से ही नास्तिकता की समाप्ति सम्भव

‘खुदा के बन्दो को देखकर खुदा से मुनकिर हुई है दुनिया, कि जिसके ऐसे बन्दे हैं वो कोई अच्छा खुदा नहीं।।‘ आजकल संसार में सभी मतों के शिक्षित व धनिक मनुष्यों का आचरण प्रायः श्रेष्ठ मानवीय गुणों के विपरीत पाया जाता है जो मनुष्यों को नास्तिक बनाने में सहायक होता। इसका एक कारण ऐसे लोगों […]

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राजनीति

क्या बिहार में जंगलराज था या है ? अगर ‘हाँ’ …तो इसमें भाजपा का भी योगदान है

आज से कुछ दिनों पहले , रविवार ९ अगस्त २०१५ को , गया की रैली में बिहार के पिछले २५ वर्षों के शासनकाल को , जंगलराज , कुशासन और बिहार की बदहाली का कारण बता कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो भाजपा की प्रदेश इकाई को सांसत में ही डाल दिया है l प्रधानमंत्री के इस बयान […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

काहे की आजादी

अनिल कुमार पाण्डेयभारत १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ था। अंग्रेजों से राजनैतिक मुक्ति की ये ६९वीं वर्षगांठ है। आज देश को आजादी मिले सात दशक गुजर गये, बावजूद इसके आज भी हमारी मानसिकता का स्तर ठीक वैसा ही है जैसा कि आजादी के पहले का था। मानसिक गुलामी आज भी […]

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राजनीति

अब समाजवाद की बागडोर अखिलेश को सौपने की तैयारी

मृत्युंजय दीक्षित राजधानी लखनऊ में विगत 4 अगस्त को समाजवादियों का सम्मान समारोह किया गया इस बहाने देशभर के समाजवादी एकत्र हुए तथा भविष्य में समाजवादी की भूमिका पर अपने विचारों का आदान प्रदान भी किया। यह सम्मेलन तो था समाजवादियों के सम्मान का लेकिन इसके मुख्य केंद्रबिंदु युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही थे। सभी […]

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आओ कुछ जाने

सोशल वेबसाइट “Facebook” के बनने के पीछे के कहानी

सोशल वेबसाइट FB यानी facebook चलाने वालों मे एक फीसदी लोगों को भी यह पता नहीं होगा कि इसके फाउंडर मार्क जुकरबर्ग नहीं बल्कि अप्रवासी भारतीय दिव्य नरेंद्र है। दिव्य नरेंद्र हिंदुस्तानियों के लिए ज्यादा जाना-पहचाना नाम नहीं है। महज 29 साल के दिव्य नरेंद्र अमरीका में रहने वाले अप्रावासी भारतीय हैं। उनके माता-पिता काफी […]

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अन्य स्वास्थ्य

तांबे के बरतन में रखे पानी

चमत्कारी प्रयोग: ताम्र जल को पीने की परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे वैज्ञानिक आधार भी है. अगर आठ घंटे तांबे के बरतन में रखा हुआ पानी सुबह में खाली पेट पिया जाये, तो यह सेहत के लिए कई तरह से उत्तम है. भारत में तांबे के बरतनों में […]

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महत्वपूर्ण लेख

सांस्कृतिक भारत का अखंड स्वरुप

डा0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री कहा जाता है कि वीर सावरकर की अस्थियाँ अभी भी उनके वंशजों के पास सुरक्षित हैं । वे अपनी मृत्यु से पूर्व वसीयत कर गये थे कि उनकी अस्थियाँ सिन्धु नदी में तभी प्रवाहित की जायें जब भारत एक बार फिर से अखंड हो जाये । अखंड भारत का क्या अर्थ […]

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