भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]
Month: June 2015
भाजपा, नैतिकता और गोविन्दाचार्य
भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]
क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]
क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]
नया करने की सोच बदलेगी जिंदगी
रेनू सैनी कुछ नया करके चीजों को बेहतर बनाने की प्रक्रिया नवाचार है। आज की युवा पीढ़ी न सिर्फ नवाचार में विश्वास रखती है, अपितु इसी तरीके से काम भी करती है और सफल भी होती है। नवाचार लीक की सोच से हटकर होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि, ‘मनुष्य द्वारा अपने मस्तिष्क का […]
नया करने की सोच बदलेगी जिंदगी
रेनू सैनी कुछ नया करके चीजों को बेहतर बनाने की प्रक्रिया नवाचार है। आज की युवा पीढ़ी न सिर्फ नवाचार में विश्वास रखती है, अपितु इसी तरीके से काम भी करती है और सफल भी होती है। नवाचार लीक की सोच से हटकर होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि, ‘मनुष्य द्वारा अपने मस्तिष्क का […]
शाहिद रहीम अपनी पुस्तक ‘संस्कृति और संक्रमण’ के पृष्ठ 243 पर लिखते हैं- ‘1026 ई. से 1174 ई. तक की डेढ़ शताब्दी में कोई आक्रमण (भारत पर) नहीं हुआ। लेकिन संक्रमण के राजनीतिक प्रभाव से स्थिति इतनी दुरूह हो गयी कि संपूर्ण भौगोलिक क्षमता को आधार बनाकर कोई केन्द्रीय सत्ता स्थापित न हो सकी। धरती […]
शाहिद रहीम अपनी पुस्तक ‘संस्कृति और संक्रमण’ के पृष्ठ 243 पर लिखते हैं- ‘1026 ई. से 1174 ई. तक की डेढ़ शताब्दी में कोई आक्रमण (भारत पर) नहीं हुआ। लेकिन संक्रमण के राजनीतिक प्रभाव से स्थिति इतनी दुरूह हो गयी कि संपूर्ण भौगोलिक क्षमता को आधार बनाकर कोई केन्द्रीय सत्ता स्थापित न हो सकी। धरती […]
ड्रेसेज के मामले में युवाओं की पहली पसंद है जींस। जींस में इतनी वैरायटी आ गयी हैं कि युवाओं का ध्यान किसी और तरफ जाता ही नहीं। लेकिन ज्यादा टाइट जींस पहनने से आप बीमारियों के भी शिकार हो सकते हैं। टाइट कपड़ों से नुकसान- टाइट फिटिंग वाली जींस, स्कटर्स और अन्य ड्रेसेज आपको आकर्षक […]
ड्रेसेज के मामले में युवाओं की पहली पसंद है जींस। जींस में इतनी वैरायटी आ गयी हैं कि युवाओं का ध्यान किसी और तरफ जाता ही नहीं। लेकिन ज्यादा टाइट जींस पहनने से आप बीमारियों के भी शिकार हो सकते हैं। टाइट कपड़ों से नुकसान- टाइट फिटिंग वाली जींस, स्कटर्स और अन्य ड्रेसेज आपको आकर्षक […]