छः महिला चित्रकारों का सम्मान नई दिल्ली,20 अप्रेल, 2015। नई दिल्ली में आई.टी.ओ. स्थित प्यारे लाल भवन के गांधी मेमोरियल हॉल की आर्टिजन आर्ट गैलरी में आयोजित 45दिवसीय ’’स्पंदन‘‘ प्रदर्शनी के पहले चरण में आठ राज्यों की 25 महिलाओं द्वारा आयोजित अनूठी कला प्रदर्शनी सम्पन्न हुई। राजस्थान सूचना केन्द्र, नई दिल्ली के अतिरिक्त […]
Month: April 2015
हमेशा दर्द ही लाते हैं अब तो द्वार के कागज,नहीं खुशियाँ दिखाते हैं हमें संचार के कागज,पढूँ हिंदी या अँग्रेजी में मैं किस्सा किसानों का,भरे हैं मौत की खबरों से सब अखबार के कागज, जो सावन की बौछारों से अपना घरबार बचाता है,जो शीतलहर की रातों में जा खेतों में सो जाता है,उसके घर के […]
डाॅ0 वेद प्रताप वैदिक की कलम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह त्रि-राष्ट्रीय विदेश-यात्रा अब तक की सभी विदेश-यात्राओं में सबसे अधिक सफल मानी जा सकती है। फ्रांस, जर्मनी और कनाडा यूं भी पूर्व के उन देशों से कहीं अधिक शक्तिशाली और संपन्न हैं, जिनमें मोदी अब तक गए थे। मोदी पहले पड़ोसी देशों में […]
लो, फिर आ गया हूँ, मैं
राहुल गाँधी की वापसी राष्ट्रीय मज़ाक बन गई है। टीवी चैनलों और अखबारों की उछल-कूद के मज़े जनता खूब ले रही है। सोनिया-परिवार के दरबारदारी अपने महान नेता का हार्दिक स्वागत कर रहे हैं। स्वागत हार्दिक है और हृदय सीने में होता है, इसलिए सीने का फूलना तो जरूरी है। बेचारे लुटे-पिटे कांग्रेसियों का सीना […]
सहज सुलभ उपाय …. 99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है पीपल का पत्ता…. पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें। पत्ते का बीच का भाग […]
मनुवाद से मुक्ति, शुरूआत कैसे?
मनुवादी-धार्मिक-अंधविश्वासों के चलते हर दिन सैकड़ों लोग बेमौत मारे जा रहे हैं! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ सोशल मीडिया के मार्फ़त देशभर में मनुवाद के खिलाफ एक बौद्धिक मुहिम शुरू हो चुकी है। जिसका कुछ-कुछ असर जमीनी स्तर पर भी नजर आने लगा है! लेकिन हमारे लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विचारणीय सवाल यह है कि यदि […]
यह लोकतंत्र नही, यह तो ‘शोकतंत्र’ है
लोकतंत्र को सभी शासन प्रणालियों में सर्वोत्तम शासन प्रणाली के रूप में दर्शित किया जाता है। वैसे लोकतंत्र का अर्थ लोक की लोक के द्वारा लोक के लिए अपनायी गयी शासन व्यवस्था है। जिसमें हमें अपने सर्वांगीण विकास के सभी अवसर उपलब्ध होते हैं। वेद ने ऐसी व्यवस्था को ‘स्वराज्यम्’ कहा है। अत: विश्व में […]
कभी कहावत थी कि-‘पढ़े फारसी बेचे तेल।’ यह उस समय की बात है जब देश पर मुगलों का शासन था। उस समय फारसी पढ़े लिखे व्यक्ति को बेरोजगार नही रहना पड़ता था, पर यदि फारसी पढक़र भी कोई व्यक्ति बेरोजगार रह जाता था, अपने परंपरागत व्यवसाय (तेल बेचना आदि) में ही लगा रह जाता था […]
स्वतंत्रता, हमारी सांस्कृतिक धरोहर अग्नि का स्वाभाविक गुण (धर्म) जलाना है, इसलिए अग्नि से किसी को ये कहना नही पड़ता कि-‘हे, अग्निदेवता! आप लकड़ी को जला डालो।’ इसके विपरीत बिना कहे अग्नि स्वयं ही लकड़ी को जला डालती है। इसी प्रकार भगवान की करूणा है, जिसे मांगा नही जाता। वह स्वयं ही हमें अपनी करूणा […]
पुण्य प्रसून बाजपेयी पचास बरस पहले संघ के मुखिया गुरु गोलवरकर विनोबा भावे के भूदान आंदोलन को समर्थन देने बिहार पहुंचे। लेकिन चुनाव हुये तो भी जनसंघ हाशिये पर ही रहा। पैंतिस बरस पहले संघ के मुखिया देवरस के इशारे पर बाबू जगजीवनराम को पीएम बनाने का सिक्का उछला गया लेकिन बिहार में सफलता फिर […]