निकम्मापन जरा ज्यादा सख्त शब्द है। लेकिन फिलहाल हमारी राजनीति के लिए यही शब्द इस्तेमाल करने का मन हो रहा है। क्यों हो रहा है? इसलिए हो रहा है कि आज से 50-60 साल पहले की राजनीति मैंने देखी है। इंदौर और दिल्ली में लगभग सभी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ काम करने […]
Month: January 2015
..अनुच्छेद 370 हटाओ कश्मीर बचाओ .. इस सच्चाई से बचा नहीं जा सकता कि 68 वर्ष पश्चात भी विभाजन का दंश झेल रही निर्दोष भोली -भाली जनता की तीसरी पीढ़ी भी आज अपने ही देश के जम्मू-कश्मीर में तिरस्कृत व उपेक्षित जीवन जीने को विवश […]
कोटा, 20 जनवरी/कोटा संभाग मुख्यालय पर रोज़ सोसायटी ऑफ राजस्थान, कोटा चेप्टर के तत्वावधान में कोटा संभाग मुख्यालय पर अनेक वर्षों से परंपरागत रूप से आयोजित होने वाली गुलाब एवं पुष्प प्रदर्शनी के सफल आयोजन के संबंध में बैठक आगामी 28 जनवरी को अपराह्न 4 बजे नोडल आफिसर (अतिरिक्त जिला कलक्टर-शहर) […]
बिजली क्षेत्रा से जुड़ी समस्याओं के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय मदद मांगी नई दिल्ली, 20 जनवरी। राजस्थान की मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने केन्द्र सरकार से राजस्थान की जनता को बिजली की निर्बाध एवं समुचित आपूर्ति करने और प्रदेश की ऊर्जा परियोजनाओं एवं बिजली से जुड़ी कतिपय समस्याओं का निराकरण कराने के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय […]
जय मूर्छित लोकतन्त्र की!!
लालू यादव के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में 1 मार्च 2007 को रिव्यु याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को राज्य सरकार की सहमति के बिना जांच का आदेश देने को क्षेत्राधिकार से बाहर बताया और कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है | याचिका पर न्यायाधिपतिगण कबीर और दत्तु ने सुनवाई […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी देश की सियासी राजनीति की प्रयोगशाला दिल्ली बन चुकी है। नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जनता परिवार की सियासी एकजुटता को भी दिल्ली के राजनीतिक प्रयोग में अपनी जीत-हार दिखायी दे रही है। और मोदी के नाम पर हिन्दु राष्ट्रवाद और सांप्रदायिकता की राजनीति के उभार के भविष्य का फैसला भी दिल्ली चुनाव […]
आंदोलन क्यों हारा सियासत क्यों जीती ?
पुण्य प्रसून वाजपेयी जेपी के बाद अन्ना आंदोलन ने ही सत्ता की धड़कनें बढ़ायी। और दो बरस में ही सत्ता के दरवाजे पर जेपी के आंदोलनकारी रेंगते और आपस में झगड़ते दिखायी दिये थे। वहीं दो बरस के भीतर ही अन्ना के सिपहसलार राजनीतिक सत्ता की दो धाराओं में बंट भी गये। तो क्या देश […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी धारदार पत्रकारिता से मात तो मीडिया को ही देनी है दीपक शर्मा ! बीपीएल या बीएमडब्ल्यू। रास्ता तो एक ही है। फिर यह सवाल पहले नहीं था। था लेकिन पहले मीडिया की धार न तो इतनी पैनी थी और न ही इतनी भोथरी। पैनी और भोथरी। दोनों एक साथ कैसे। पहले सोशल […]
— डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री जब १९४७ में देश का विभाजन हुआ तो उसकी सबसे ज़्यादा मार पंजाब को ही सहनी पड़ी थी । लंदन सरकार ने जिस भारत स्वतंत्रता अधिनियम के आधार पर देश का विभाजन किया था […]
नादान चेतन भगत की नादान समझ!
अंग्रेजी भाषा में उपन्यास आदि लिखने वाले एक नौजवान (चेतन भगत) ने, जो हिंदी प्रेमी भी है, एक लेख लिखा है। वह लेख हिंदी और अंग्रेजी अखबारों में छपा है। उस लेख में कहा गया है कि सारे हिंदी भाषी रोमन लिपि अपना लें। अपनी देवनागरी छोड़ दें। यह लेख इतन सद्भावनापूर्ण और नम्रतापूर्ण ढंग […]