कायर कौन होता हैइस आलेख का शुभारंभ हम इसी प्रश्न से करेंगे कि कायर होता कौन है? यह दोषारोपण सामान्यत: हिंदुओं पर किया जाता है कि वे विगत 1200-1300 वर्षों के इतिहासकाल में कायर रहे हैं। हमने भी यहां कायर के विषय में ही प्रश्न कर दिया है कि ये होता कौन है?अब इस प्रश्न […]
महीना: अक्टूबर 2014
तनवीर जाफरी सीरिया व इराक में सक्रिय आतंकवादी जो स्वयं को इस्लामिक स्टेट्स के सिपाही बताते हैं उनका मानवता के विरुद्ध कहर जारी है। यह संगठन अपनी शक्ति तथा क्रूरता के बल पर सीरिया व इराक के अतिरिक्त तुर्की व अन्य कई अरब देशों में अपना विस्तार करना चाह रहा है। इनकी कल्पनाओं के मानचित्र […]
रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड ! निर्मल रानी कहने को तो हमारे देश में प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून बनाए गए हैं। परंतु यदि इस बात की धरातलीय पड़ताल की जाए तो कई ऐसे विषय हैं जिन्हें देखकरयह कहा जा सकता है कि या तो वर्ग विशेष कानून की धज्जियां उड़ाने […]
निर्मल रानी जनता दल युनाईटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने पिछले दिनों अपने एक बयान में कहा कि सभी धर्मस्थानों से लाऊडस्पीकर हटा दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु लोग स्वेच्छा से धर्म स्थलों को जा सकते हैं उन्हें बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यादव ने कहा कि धर्मस्थलों पर लाऊडस्पीकर के इस्तेमाल […]
डा. शशि तिवारी विश्वास आदमी को बांधता है लेकिन विश्वास से उपजा विश्वास जब टूटता है तो आदमी न केवल […]
प्राकृतिक आपदाओं से हमारा रिश्ता ज्यादा से ज्यादा गहरा होता जा रहा है। ज्यों-ज्यों हम प्रकृति को उत्तेजित करते हैं, शोषण के मनोभावों से नैसर्गिक संपदा का अंधाधुंध दोहन करते हैं, त्यों-त्यों प्रकृति हमसे कुपित होती है। कई सारी आपदाएं प्राकृतिक हैं और ढेरों ऎसी हैं जो मानव निर्मित हैं। मानव में जब से स्वार्थ […]
शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़जाती है . धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी ठीक 25 बरस पहले वीपी सिंह स्विस बैंक का नाम लेते तो सुनने वाले तालियां बजाते थे। और 25 बरस बाद नरेन्द्र मोदी ने जब स्विस बैंक में जमा कालेधन का जिक्र किया तो भी तालियां बजीं। नारे लगे। 1989 में स्विस बैंक की चुनावी हवा ने वीपी को 1989 में पीएम […]
-फ़िरदौस ख़ान एक लड़की जो जीना चाहती थी… अरमानों के पंखों के साथ आसमान में उड़ना चाहती थी, लेकिन हवस के भूखे एक वहशी दरिन्दे ने उसकी जान ले ली. एक चहकती-मुस्कराती लड़की अब क़ब्र में सो रही होगी… उसकी रूह कितनी बेचैन होगी… सोचकर ही रूह कांप जाती है… लगता है, उस क़ब्र में […]
आजकल सभी को अफसरी का जबरदस्त भूत सवार है। अफसरी का किसी पद से कोई सरोकार नहीं है बल्कि वे लोग हैं जो खुद कुछ करना न जानते हैं, न चाहते हैं लेकिन प्रदर्शित ऎसे करते हैं जैसे कि सर्वज्ञ, संप्रभुतासम्पन्न, सर्वव्यापी, सर्वप्रिय और सर्वोत्कृष्ट हैं और भगवान ने दूसरों पर अधिकार जमाने के लिए […]